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छिंदवाड़ा के बाद बैतूल में भी ‘कफ सिरप कांड’! दो मासूमों की मौत, क्या वही ज़हरीली दवा है वजह?

मध्य प्रदेश में कफ सिरप से बच्चों की मौत का मामला अब राज्यभर में भय का कारण बन गया है. छिंदवाड़ा में 11 मासूमों की जान लेने वाले इस कांड के बाद अब बैतूल जिले में भी दो बच्चों की मौत से स्वास्थ्य विभाग में हड़कंप मच गया है. आमला ब्लॉक के दो गांवों में कफ सिरप पीने के बाद ढाई और चार साल के दो बच्चों की तबीयत अचानक बिगड़ गई, जिनकी इलाज के दौरान मौत हो गई. डॉक्टरों ने दोनों मामलों में किडनी फेल होने की पुष्टि की है.

छिंदवाड़ा के बाद बैतूल में भी ‘कफ सिरप कांड’! दो मासूमों की मौत, क्या वही ज़हरीली दवा है वजह?
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( Image Source:  sora ai )
नवनीत कुमार
Edited By: नवनीत कुमार

Published on: 5 Oct 2025 12:28 PM

मध्य प्रदेश में कफ सिरप से बच्चों की मौत का मामला थमने का नाम नहीं ले रहा. छिंदवाड़ा में 11 मासूमों की जान लेने वाला यह कांड अब बैतूल जिले तक पहुंच गया है. बैतूल के आमला ब्लॉक के दो गांवों में कफ सिरप पीने के बाद दो बच्चों की मौत हो गई. स्वास्थ्य विभाग ने इसे गंभीर मामला मानते हुए तत्काल जांच शुरू कर दी है. दोनों बच्चों की उम्र ढाई और चार साल बताई जा रही है, जिनकी हालत सिरप पीने के कुछ ही घंटों बाद बिगड़ गई थी.

बैतूल के जामुन बिछुआ गांव के गर्मित और कलमेश्वरा गांव के कबीर यादव की तबीयत अचानक बिगड़ने के बाद परिजन उन्हें परासिया इलाके के एक डॉक्टर के पास ले गए थे. वहीं से बच्चों को एक कफ सिरप दिया गया, जिसे पीने के बाद दोनों की तबीयत लगातार खराब होती चली गई. परिवार ने पहले आमला अस्पताल, फिर बैतूल जिला अस्पताल का रुख किया, लेकिन सुधार नहीं हुआ. हालत नाजुक होने पर दोनों को भोपाल के हमीदिया अस्पताल रेफर किया गया.

जांच में सामने आई चौंकाने वाली बात

चार साल के कबीर यादव की मौत 8 सितंबर को हमीदिया अस्पताल में हुई, जबकि ढाई साल के गर्मित की मौत 1 अक्टूबर को इलाज के दौरान हो गई. डॉक्टरों ने बताया कि गर्मित की किडनी पूरी तरह फेल हो चुकी थी. इस खुलासे ने स्वास्थ्य अमले को झकझोर दिया है. प्रारंभिक रिपोर्ट के आधार पर अब यह जांच की जा रही है कि बच्चों को दी गई कफ सिरप में कहीं वही तत्व तो नहीं मिले जो छिंदवाड़ा में हुई मौतों की वजह बने थे.

स्वास्थ्य विभाग ने बढ़ाई सख्ती

बैतूल के बीएमओ डॉ. अशोक नरवरे ने पुष्टि की कि दोनों बच्चों की मौत इलाज के दौरान हुई. उन्होंने बताया कि परिजनों से पूछताछ के बाद पूरी रिपोर्ट जिला प्रशासन को सौंप दी गई है. अब प्रशासन परासिया के उस डॉक्टर की भूमिका की जांच कर रहा है, जिसने बच्चों को दवा दी थी. प्रदेशभर में औषधि विभाग को अलर्ट किया गया है और संदिग्ध सिरप की सैंपलिंग की जा रही है.

क्या बैतूल में भी वही सिरप?

प्रशासन की सबसे बड़ी चिंता यही है कि क्या बैतूल में वही कफ सिरप इस्तेमाल किया गया था, जिसने छिंदवाड़ा में 11 बच्चों की जान ली थी. स्वास्थ्य अधिकारियों ने बताया कि प्रयोगशाला से रिपोर्ट आने के बाद ही स्थिति स्पष्ट होगी. फिलहाल दवा की बॉटल्स को सील कर फोरेंसिक जांच के लिए भेजा गया है. यदि दोनों मामलों में समान रासायनिक तत्व मिलते हैं, तो यह एक बड़े फार्मा नेटवर्क पर शिकंजा कसने की शुरुआत हो सकती है.

सरकार से जवाबदेही की मांग

गांवों में अब भय और गुस्सा दोनों है. जिन परिवारों ने अपने बच्चों को खोया, वे अब सरकारी लापरवाही पर सवाल उठा रहे हैं. लोग मांग कर रहे हैं कि राज्य सरकार न केवल जिम्मेदार डॉक्टरों और दवा कंपनियों पर कार्रवाई करे, बल्कि प्रभावित परिवारों को न्याय और मुआवजा भी दे. छिंदवाड़ा से लेकर बैतूल तक फैल रहे इस ‘कफ सिरप कांड’ ने प्रदेश की स्वास्थ्य व्यवस्था की पोल खोल दी है.

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