RIMS में निदेशक और हेल्थ मिनिस्टर के बीच क्यों हुई लड़ाई? सांसद को करना पड़ा बीच बचाव
रिम्स में बुधवार को हुई शासी परिषद की बैठक एक बार फिर गर्मा गई. बैठक के दौरान रिम्स निदेशक और स्वास्थ्य मंत्री के बीच छुट्टी को लेकर तीखी बहस हो गई. मामला तब बिगड़ गया जब मंत्री ने निदेशक से बिना अनुमति छुट्टी लेकर राज्य से बाहर जाने पर जवाब मांगा.
रांची के रिम्स (राजेंद्र आयुर्विज्ञान संस्थान) में बुधवार को हुई शासी परिषद की 63वीं बैठक एक बार फिर विवादों से घिर गई. बैठक की शुरुआत ही तीखी बहस से हुई जब रिम्स निदेशक और स्वास्थ्य मंत्री के बीच छुट्टी को लेकर टकराव हो गया.
हालांकि, सांसद संजय सेठ के दखल के बाद मामला शांत हुआ और बैठक आगे बढ़ी. इसके बाद कई अहम फैसले लिए गए जो रिम्स को राज्य का “मॉडल अस्पताल” बनाने की दिशा में बड़ा कदम साबित हो सकते हैं.
छुट्टी को लेकर निदेशक और मंत्री आमने-सामने
बैठक का माहौल उस वक्त गरमा गया जब एजेंडे के तहत रिम्स निदेशक डॉ. राजकुमार से पूछा गया कि वे बिना अनुमति के राज्य से बाहर कैसे चले गए. निदेशक ने सफाई देते हुए कहा कि उन्होंने दो माह पहले छुट्टी का आवेदन दिया था, लेकिन उसे रिजेक्ट कर दिया गया. उन्होंने कहा कि कार्यक्रम बेहद जरूरी था, इसलिए छुट्टी लेकर जाना पड़ा. इस पर स्वास्थ्य मंत्री डॉ. इरफान अंसारी और स्वास्थ्य सचिव ने सख्त लहजे में कहा कि अगर ऐसा ही है तो वे पद छोड़ सकते हैं. जवाब में निदेशक ने कहा कि “ऐसे कैसे पद छोड़ दूं, कुछ नियम तो होने चाहिए.” माहौल गरमाने लगा तो सांसद संजय सेठ ने बीच-बचाव कर स्थिति संभाली और बैठक को आगे बढ़ाया.
अब 100 की जगह 20 रुपये में आश्रय सुविधा
बैठक में मरीजों को राहत देने वाला बड़ा निर्णय लिया गया. अब रिम्स पावरग्रिड आश्रय गृह में ठहरने के लिए प्रतिदिन 100 रुपये के बजाय सिर्फ 20 रुपये देने होंगे. साथ ही अस्पताल के लिए नई “नेट मशीन” खरीदने के प्रस्ताव को भी मंजूरी मिल गई.
100 नए वेंटिलेटर की घोषणा
बैठक में वेंटिलेटर की कमी का मुद्दा उठाया गया. इस पर स्वास्थ्य मंत्री ने तुरंत 100 नए वेंटिलेटर की व्यवस्था करने की घोषणा की. उन्होंने कहा कि अब किसी मरीज की जान उपकरणों की कमी के कारण नहीं जाएगी. साथ ही, मानवीय दृष्टिकोण अपनाते हुए यह भी निर्णय लिया गया कि रिम्स में अगर किसी मरीज की मृत्यु होती है, तो उसके परिजनों को अंतिम संस्कार के लिए 5000 रुपये की आर्थिक सहायता दी जाएगी. मंत्री ने कहा कि यह निर्णय सिर्फ आर्थिक सहयोग नहीं, बल्कि सरकार की संवेदनशीलता का प्रतीक है.
अनुशासनहीनता पर सख्ती और डिजिटल बदलाव की तैयारी
बैठक में डॉक्टरों और कर्मचारियों की अनुपस्थिति, निजी प्रैक्टिस और ओपीडी में अनुशासन की कमी पर गंभीर चर्चा हुई. मंत्री ने निर्देश दिया कि जो कर्मचारी बिना सूचना अनुपस्थित पाए जाएं या निजी प्रैक्टिस करते हों, उन पर तत्काल कार्रवाई की जाए. इसके अलावा रिम्स में डिजिटल मेडिकल रिकॉर्ड सिस्टम शुरू करने और “मरीज सहायता केंद्र” स्थापित करने का फैसला लिया गया, जिससे मरीजों को एक ही स्थान पर पंजीकरण से लेकर रिपोर्ट और परामर्श तक की सभी सुविधाएं मिल सकें.
भर्ती और सफाई पर भी अहम फैसले
बैठक में यह भी तय हुआ कि मृत कर्मचारियों के आश्रितों को अब शासी परिषद की अनुमति से अनुकंपा के आधार पर नौकरी दी जाएगी. प्रोफेसर, एसोसिएट प्रोफेसर और असिस्टेंट प्रोफेसर के पदों पर भर्ती साक्षात्कार के माध्यम से की जाएगी. रिम्स परिसर की साफ-सफाई और कचरा प्रबंधन को मजबूत करने के लिए एक नई निगरानी टीम बनेगी. डॉक्टरों की हाजिरी अब बायोमेट्रिक सिस्टम से होगी और सभी रिपोर्टिंग व फाइलिंग प्रणाली को ऑनलाइन किया जाएगा.





