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2012 की इस दर्दनाक घटना पर आधारित है Delhi Crime 3, हुमा कुरैशी बनी इस सीजन की स्टार!

डीसीपी के किरदार में शेफाली शाह ने एक बार फिर कमाल कर दिया है. उनकी आंखों में वो थकान और विश्वास है जो किरदार को मजबूत बनाती है. स्क्रीन पर कम समय मिला, लेकिन हर सीन में कमांडिंग जोरदार है. हुमा कुरैशी (बड़ी दीदी) सीजन की स्टार है.

2012 की इस दर्दनाक घटना पर आधारित है Delhi Crime 3, हुमा कुरैशी बनी इस सीजन की स्टार!
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( Image Source:  Instagram : shefalishahofficial )
रूपाली राय
Edited By: रूपाली राय

Published on: 13 Nov 2025 2:37 PM

Delhi Crime 3 : दिल्ली क्राइम एक ऐसी सीरीज है जो हमेशा से ही भारतीय क्राइम ड्रामा का बेंचमार्क सेट करती आई है. इसका पहला सीजन 2012 के 'निर्भया' केस पर आधारित था, जिसने इंटरनेशनल एमी जीता, और दूसरा सीजन 'कच्चा बानियान' गैंग की कहानी को छूता था. अब तीसरा सीजन, जो 13 नवंबर 2025 को नेटफ्लिक्स पर रिलीज हुआ है, एक और गंभीर मुद्दे मानव तस्करी (ह्यूमन ट्रैफिकिंग) पर फोकस करता है. यह सीजन 6 एपिसोड्स का है, और इसमें शेफाली शाह की डीसीपी वर्तिका चतुर्वेदी एक बार फिर लीड करती हैं, जबकि हुमा कुरैशी नई एंट्री के रूप में 'बड़ी दीदी' नाम की एक क्रूर क्वीनपिन का किरदार निभाती हैं.

डीसीपी के किरदार में शेफाली शाह ने एक बार फिर कमाल कर दिया है. उनकी आंखों में वो थकान और विश्वास है जो किरदार को मजबूत बनाती है. स्क्रीन पर कम समय मिला, लेकिन हर सीन में कमांडिंग जोरदार है. हुमा कुरैशी (बड़ी दीदी) सीजन की स्टार है. एक स्मूथ, कैलकुलेटिव ट्रैफिकर के रोल में इतनी सहज कि लगता है रियल लाइफ की कोई विलेन हो. पिछले सीजन की तिलोत्तमा शोमे की तरह, वह विलेन को डेप्थ देती हैं. राशिका दुग्गल सपोर्टिंग रोल्स में सॉलिड, लेकिन नए कैरेक्टर्स जैसे सयानी गुप्ता और मीता वशिष्ठ भी इम्पैक्टफुल हैं. कुल मिलाकर, एक्टिंग लेयरड है क्राइम के पीछे की मानवीय कमजोरियां दिखाती है.

प्लॉट और स्टोरीटेलिंग

सीजन की शुरुआत दिल्ली के AIIMS हॉस्पिटल में एक घायल बच्ची के केस से होती है, जो असम के सिलचर से लापता लड़कियों के बड़े नेटवर्क से जुड़ जाती है. यह केस दिल्ली से बाहर फैलता है असम, रोहतक तक और पुलिस टीम को सिस्टम की कमियों, भ्रष्टाचार और सामाजिक उदासीनता का सामना करना पड़ता है. डायरेक्टर तनुज चोपड़ा ने इसे रियलिस्टिक रखा है कोई फ्लैशबैक ड्रामा या सेंसेशनल ट्विस्ट नहीं, बल्कि एक धीमी, तनावपूर्ण जांच जो दर्शकों को सोचने पर मजबूर कर देती है. हालांकि, कुछ रिव्यूज में कहा गया है कि थ्रिल की कमी है यह ज्यादा 'व्हायडनिट' (क्यों हुआ?) पर फोकस करता है बजाय 'हूडनिट' (किसने किया?) के फिर भी, यह सीरीज की ताकत है. यह क्राइम को सिर्फ एंटरटेनमेंट नहीं, बल्कि समाज का आईना बनाती है.

क्या यह घटना पर आधारित है?

दिल्ली क्राइम के तीनों सीजन सच्ची घटना पर आधारित है. जिसमें सीजन 3 भी साल 2012 की घटना पर प्रेरित है. यह 2012 के भयावह 'बेबी फलक' केस से इंस्पायर्ड है, जो दिल्ली के सबसे सदमादायक चाइल्ड अब्यूज और ट्रैफिकिंग मामलों में से एक था. 2012 में, एक 14 साल की लड़की ने दिल्ली के AIIMS ट्रॉमा सेंटर में 2 साल की फलक नाम की बच्ची को भर्ती कराया, जिसके शरीर पर काटने के निशान, चोटें और टॉर्चर के सबूत थे. जांच में पता चला कि फलक को मानव तस्करी के नेटवर्क में बेचा-खरीदा गया था. वह असम से दिल्ली लाई गई थी, और केस ने पूरे देश को हिला दिया। बच्ची की मौत हो गई, लेकिन इसने चाइल्ड ट्रैफिकिंग पर राष्ट्रीय बहस छेड़ दी. डायरेक्टर तनुज चोपड़ा ने कन्फर्म किया कि सीजन का कोर स्टोरी इसी से लिया गया है, हालांकि कुछ फिक्शनल एलिमेंट्स ऐड किए गए हैं ताकि ड्रामा बने.

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