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Bihar Election Result: एक ही शहर में दो अलग-अलग सेंटर पर क्‍यों होगी वोटों की गिनती? जानें EC ने क्यों लिए ऐसा फैसला

बिहार चुनाव 2025 की मतगणना को लेकर चुनाव आयोग ने इस बार नई व्यवस्था लागू की है. कई बड़े जिलों में एक ही शहर में दो अलग-अलग काउंटिंग सेंटर बनाए गए हैं. इसका मकसद सुरक्षा, पारदर्शिता और प्रशासनिक दक्षता को बढ़ाना है. ताकि नतीजे समय पर और बिना किसी बाधा के घोषित किए जा सकें.

Bihar Election Result: एक ही शहर में दो अलग-अलग सेंटर पर क्‍यों होगी वोटों की गिनती? जानें EC ने क्यों लिए ऐसा फैसला
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स्टेट मिरर डेस्क
By: स्टेट मिरर डेस्क

Published on: 13 Nov 2025 2:18 PM

बिहार विधानसभा चुनाव 2025 की वोटिंग पूरी हो चुकी है और अब सबकी नजरें मतगणना पर हैं. इस बार चुनाव आयोग (ECI) ने कई जिलों में खास व्यवस्था की है एक ही शहर में दो अलग-अलग सेंटर पर वोटों की गिनती होगी. पटना, मुजफ्फरपुर, भागलपुर, गया और दरभंगा जैसे जिलों में मतगणना के लिए दो-दो सेंटर बनाए गए हैं. ऐसा पहली बार हुआ है जब एक ही शहर में वोटों की गिनती दो स्थानों पर होगी. ईसी का कहना है कि यह फैसला भीड़ नियंत्रण, सुरक्षा प्रबंधन और समय पर नतीजों की घोषणा सुनिश्चित करने के लिए लिया गया है. 14 नवंबर को सुबह 8 बजे से मतगणना शुरू होगी.

चुनाव आयोग ने इस रणनीति के तहत कुछ जिलों जैसे पटना, मुजफ्फरपुर, गया, भागलपुर, दरभंगा, पूर्णिया, सीवान, मोतिहारी और वैशाली में एक ही शहर के भीतर दो अलग-अलग काउंटिंग सेंटर बनाए हैं. इसका मुख्य उद्देश्य है सुरक्षा, पारदर्शिता और लॉजिस्टिक सुविधा को बेहतर बनाना. ताकि काउंटिंग को लेकर कोई दुविधा या शंका किसी के मन में नहीं रहे. साथ ही शांति व्यवस्था बनाए रखना भी संभव हो सके. आइए जानते हैं कि एक ही शहर में अलग मतदान केंद्र बनाने की वजह क्या है?

सुरक्षा और भीड़-नियंत्रण

मतगणना के दिन सियासी दलों के हजारों प्रतिनिधि, मीडिया कर्मी और सुरक्षाबल एक जगह पर मौजूद होते हैं. कई जिलों में मतगणना 243 सीटों में से एक से अधिक विधानसभा क्षेत्र की होती है - जैसे पटना जिले में पांच सीटों की गिनती होती है. भीड़ और सुरक्षा दबाव कम करने के लिए आयोग ने वोटिंग-वार और क्षेत्रवार विभाजन करते हुए दो सेंटर निर्धारित किए हैं. पहला सेंटर A.N. College पटना सिटी की सीटों के लिए और दूसरा सेंटर B.S. College, दानापुर बिहटा, मसौढ़ी, दानापुर आदि सीटों के लिए पर डाले गए मतों की गिनती के लिए बनाए गए हैं. इससे एक जगह भीड़ नहीं उमड़ती और सुरक्षा घेरा बनाए रखना आसान होता है.

मतगणना टेबल और स्पेस की सीमा

हर विधानसभा सीट की गिनती के लिए आयोग 14-14 टेबल तय करता है. अगर एक जिले में 5 या 6 सीटें आती हैं, तो लगभग 70 से 80 टेबल लगानी पड़ती हैं. कई पुराने काउंटिंग हॉल जैसे कॉलेज या स्टेडियम कैंपस इतने बड़े नहीं हैं कि एक साथ सारी सीटों की गिनती सुरक्षित रूप से हो सके. इसलिए ECI ने फैसला किया कि गिनती को दो स्थानों में बांट दिया जाए. ताकि प्रत्येक जगह पर्याप्त स्पेस, CCTV और सुरक्षा व्यवस्था सुनिश्चित की जा सके.

EVM और VVPAT स्टोरेज की सुविधा

चुनाव के बाद EVM मशीनें और VVPAT यूनिट्स को काउंटिंग-डे तक सुरक्षित स्ट्रॉन्ग रूम में रखा जाता है. कई जिलों में विधानसभा सीटें ज्यादा हैं, इसलिए स्ट्रॉन्ग रूम की संख्या भी दो या तीन रखी गई है. हर स्ट्रॉन्ग रूम से जुड़े काउंटिंग हॉल को उसी परिसर या पास के कॉलेज/इंस्टीट्यूट में बनाया गया है कि मशीनों को दूर-दूर न ले जाना पड़े.

प्रशासनिक दक्षता और समय की बचत

दो काउंटिंग सेंटर होने से गिनती समानांतर (parallel) रूप से होती है, जिससे अंतिम परिणाम जल्दी निकल पाते हैं. पहले जिन जिलों में एक ही सेंटर होता था, वहाँ देर रात तक मतगणना चलती थी। अब विभाजन से आयोग का उद्देश्य है कि परिणाम उसी दिन शाम तक घोषित किए जा सकें.

डिजिटल ट्रैकिंग और लाइव-अपडेट सिस्टम

नई व्यवस्था में दोनों काउंटिंग सेंटर से डेटा सीधे Election Commission की केंद्रीय सर्वर पर अपडेट होगा. इससे हर राउंड के बाद ट्रेंड्स तुरंत पोर्टल और मीडिया को मिल सकेंगे.

इन 8 जिलों में एक से अधिक काउंटिंग सेंटर

इस बार बिहार के 8 जिलों में एक से अधिक मतगणना केंद्र बनाए गए हैं. सहरसा, पूर्वी चंपारण (मोतिहारी), पूर्णिया, सीवान, वैशाली, भागलपुर और गया में एक से अधिक मतदान केंद्र बनाए गए हैं. आयोग के अनुसार इन जिलों में सीटों की अधिक संख्या और सीमित जगह के कारण एक से अधिक मतदान केंद्र की व्यवस्था की गई है.

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