पार्क में एक्सरसाइज के बहाने पत्नी जाती थी होटल, कोर्ट पहुंचा पति, अब जज ने दिया द्रौपदी से जुड़ा अजब फैसला
जज नीना बंसल कृष्णा ने उस घटना का जिक्र किया जिसमें युधिष्ठिर ने जुए में द्रौपदी को हार दिया था, जिससे महाभारत का युद्ध हुआ. उन्होंने समाज में फैली महिलाओं के प्रति नफरत और गलत सोच को उजागर किया.

दिल्ली हाई कोर्ट ने अपने हालिया फैसले में महाभारत की द्रौपदी का जिक्र करते हुए कहा कि महिलाएं कोई संपत्ति नहीं हैं. कोर्ट ने यह बात एक अडल्टरी के मामले में एक व्यक्ति को बरी करते हुए कही. कोर्ट ने बताया कि द्रौपदी के साथ महाभारत में वस्तु की तरह व्यवहार किया गया था, जो महिलाओं के साथ गलत व्यवहार का उदाहरण है. यह फैसला पुरानी सोच को खारिज करता है कि महिलाएं किसी की संपत्ति हैं और लैंगिक समानता के आज के कानूनी सिद्धांतों का समर्थन करता है.
अब जज नीना बंसल कृष्णा ने उस घटना का जिक्र किया जिसमें युधिष्ठिर ने जुए में द्रौपदी को हार दिया था, जिससे महाभारत का युद्ध हुआ. उन्होंने समाज में फैली महिलाओं के प्रति नफरत और गलत सोच को उजागर किया. यह मामला 2010 की एक शिकायत से जुड़ा है, जिसमें एक पति ने आरोप लगाया था कि उसकी पत्नी का एक व्यक्ति के साथ अवैध संबंध था. पति ने दावा किया कि उसकी पत्नी रात के खाने के बाद एक्सरसाइज करने के बहाने पार्क जाती थी. उसने यह भी आरोप लगाया कि पत्नी ने लखनऊ के एक होटल में उसकी सहमति के बिना आरोपी के साथ पति-पत्नी की तरह यौन संबंध बनाए.
महिलाओं को संपत्ति की तरह देखना खतरनाक
न्यायमूर्ति कृष्णा ने अपने फैसले में कहा कि महाभारत हमें यह साफ़ सबक देता है कि महिलाओं को संपत्ति की तरह देखना कितना ख़तरनाक हो सकता है. यह सबक लोगों को सही मायनों में तब समझ में आया, जब सुप्रीम कोर्ट ने व्यभिचार (अडल्टरी) से जुड़ा कानून रद्द कर दिया. सितंबर 2018 में आए जोसेफ शाइन वर्सेज यूनियन ऑफ इंडिया के ऐतिहासिक मामले में सुप्रीम कोर्ट ने आईपीसी की धारा 497 को असंवैधानिक घोषित कर दिया. इस धारा के तहत पहले सिर्फ पुरुषों के खिलाफ केस दर्ज किया जा सकता था, अगर वे किसी विवाहित महिला से उसके पति की इजाज़त के बिना शारीरिक संबंध बनाते थे. यह कानून पति को पत्नी का मालिक और महिला को उसकी संपत्ति मानता था.
दस्तावेज़ी सबूतों को किया नजरअंदाज
न्यायमूर्ति कृष्णा ने इस बात पर ज़ोर दिया कि महाभारत में यह दिखाया गया है कि महिलाओं को पति की संपत्ति समझने के कितने खतरनाक नतीजे हो सकते हैं. उन्होंने बताया कि द्रौपदी को उसके पति ने जुए में दांव पर लगा दिया, और उसके चारों भाई चुपचाप देखते रहे. द्रौपदी अपनी इज़्ज़त की रक्षा के लिए कुछ कह भी नहीं पाई. इस घटना से एक बड़ा युद्ध हुआ और भारी तबाही मची. बरी किए गए व्यक्ति ने 2018 में शहर की अदालत द्वारा मुकदमे के लिए बुलाए जाने के आदेश को चुनौती देते हुए हाई कोर्ट में याचिका दायर की थी. अपनी याचिका में उसने कहा कि निचली अदालत ने दस्तावेज़ी सबूतों को नज़रअंदाज़ कर केवल महिला के पति के आरोपों पर भरोसा किया.