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Delhi Election 2025: क्यों एक नहीं होना चाहते केजरीवाल और राहुल, गठबंधन से AAP को हो सकता है नुकसान?

Delhi Vidhan Sabha Chunav 2025: दिल्ली में कांग्रेस और आम आदमी पार्टी में गठबंधन नहीं हो पाया. दोनों पार्टियां अब अकेले विधानसभा चुनाव लड़ेंगी. ऐसे में सवाल पैदा हो रहा है कि आखिर कांग्रेस और AAP में गठबंधन क्यों नहीं हो पाया है. आइए इसका जवाब जानते हैं...

Delhi Election 2025: क्यों एक नहीं होना चाहते केजरीवाल और राहुल, गठबंधन से AAP को हो सकता है नुकसान?
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AAP Congress Alliance: आम आदमी पार्टी और कांग्रेस ने अगले साल होने वाले दिल्ली विधानसभा चुनाव अकेले लड़ने का फैसला किया है. दोनों दलों ने पंजाब और हरियाणा में भी एक-दूसरे के खिलाफ चुनाव लड़ा था. इससे पहले, दोनों दलों ने दिल्ली में लोकसभा चुनाव साथ मिलकर लड़ा था, लेकिन एक भी सीट पर जीत नहीं मिल सकी.

AAP और कांग्रेस के बीच गठबंधन बनता और बिगड़ता रहता है. यह कहानी 2013 से शुरू होती है, जब AAP ने कांग्रेस के सपोर्ट से सरकार बनाई थी. हालांकि, यह सरकार ज्यादा दिन तक नहीं चल पाई और केजरीवाल के इस्तीफा देते ही गिर गई. ऐसे में सवाल खड़ा हो रहा है कि आखिर कांग्रेस और AAP में गठबंधन क्यों नहीं हो पा रहा है...

दिल्ली में लोकसभा चुनाव में नहीं मिली एक भी सीट

AAP ने कांग्रेस के साथ गठबंधन कर दिल्ली में लोकसभा चुनाव लड़ा था, लेकिन पार्टी को एक भी सीट नहीं मिल सकी. कांग्रेस ने 3, जबकि AAP ने 4 सीट पर प्रत्याशी उतारे थे. यह गठबंधन भी काफी मशक्कत के बाद बना था.

दिल्ली में AAP की लहर

AAP ने 2013 से लेकर अभी तक दिल्ली में बेहतरीन प्रदर्शन किया है. उसकी लहर 2015 और 2020 के चुनाव में भी चली थी. दिल्ली में उसकी स्थिति काफी मजबूत है. वह अकेले दम पर पिछली 2 बार से सरकार बना रही है. ऐसे में उसे किसी सहयोगी की जरूरत महसूस नहीं हो रही है.

बता दें कि 2020 के विधानसभा चुनाव में AAP को 53.6 फीसदी, कांग्रेस को 4.3 फीसदी और बीजेपी को 38.5 फीसदी वोट मिले थे. इस चुनाव में AAP ने 62 सीटों पर जीत दर्ज की थी. वहीं, 2015 में हुए चुनाव में पार्टी ने 67 सीटों पर एकतरफा जीत दर्ज की थी.

कांग्रेस का एकतरफा सफाया

दिल्ली में आम आदमी पार्टी ने कांग्रेस का सफाया कर दिया है. पिछले दो विधानसभा चुनाव में कांग्रेस एक भी सीट नहीं जीत पाई है. 2020 के चुनाव में तो कई सीटों पर प्रत्याशियों की जमानत जब्त हो गई थी. ऐसे में AAP के संयोजक अरविंद केजरीवाल को लगता है कि उन्हें कांग्रेस से गठबंधन करके कोई फायदा नहीं मिलेगा.

बीजेपी से कड़ी चुनौती मिलना

दिल्ली में बीजेपी के वोट शेयर में ज्यादा गिरावट देखने को नहीं मिला है. इसको केजरीवाल बखूबी जानते हैं. उन्हें इस बार भी सबसे बड़ी चुनौती बीजेपी से ही मिल रही है. बीजेपी इस बार नई रणनीति के तहत चुनावी मैदान में उतर रही है. ऐसे भी कयास लगाए जा रहे हैं कि जिन तीन सांसदों प्रवेश साहिब सिंह वर्मा, रमेश बिधूड़ी और मीनाक्षी लेखी का टिकट काटा गया था, उन्हें अब विधानसभा चुनाव में उतारा जा सकता है.

AAP के कई बड़े नेता पार्टी का दामन छोड़कर BJP में शामिल हो गए हैं. इनमें पूर्व मंत्री कैलाश गहलोत, विधायक ब्रह्म सिंह तंवर, पूर्व मंत्री राजकुमार आनंद और पूर्व विधायक वीणा आनंद समेत कई नेता शामिल हैं. ऐसे में इनके अनुभव का फायदा बीजेपी को मिल सकता है. यही वजह है कि केजरीवाल बिना किसी गठबंधन के चुनावी रण में उतर रहे हैं.

शराब घोटाले का साया

बहुचर्चित शराब घोटाले ने अरविंद केजरीवाल को तिहाड़ जेल में पहुंचा दिया. इतना नहीं, उन्हें मुख्यमंत्री पद से भी इस्तीफा देना पड़ा. इस मामले में पार्टी के शीर्ष नेता मनीष सिसोदिया और संजय सिंह को भी जेल जाना पड़ा था. बीजेपी का आरोप है कि इस पूरे मामले के मास्टमाइंड केजरीवाल हैं. इसमें AAP सरकार ने करोड़ों का घोटाला किया है.

स्वाती मालिवाल मामला

दिल्ली महिला आयोग की पूर्व अध्यक्ष और राज्यसभा सांसद स्वाति मालिवाल पर सीएम आवास पर हुए हमले की वजह से AAP को काफी आलोचनाओं का सामना करना पड़ रहा है. स्वाति मालिवाल ने केजरीवाल के पीए विभव कुमार पर मारपीट करने का आरोप लगाया है. इस मामले को लेकर महिला सुरक्षा के मुद्दे पर बीजेपी ने AAP सरकार को जमकर घेरा है. इस मामले को बीजेपी लगातार उठा रही है. AAP को इस मामले में जवाब देना भारी पड़ रहा है.

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