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यमुना नदी की शुरू हुई सफाई... बीजेपी सरकार के सामने क्‍या-क्‍या होंगी चुनौतियां?

दिल्ली में यमुना नदी की सफाई अभियान तेजी से चल रहा है. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के वादे के बाद उपराज्यपाल वीके सक्सेना ने इस पर काम शुरू किया. ट्रैश स्किमर्स, वीड हार्वेस्टर्स और ड्रेज यूटिलिटी क्राफ्ट जैसी मशीनों से सफाई जारी है. सरकार का लक्ष्य यमुना को स्वच्छ बनाना है, जिससे पर्यावरण सुधरे और जल संकट कम हो.

यमुना नदी की शुरू हुई सफाई... बीजेपी सरकार के सामने क्‍या-क्‍या होंगी चुनौतियां?
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नवनीत कुमार
Curated By: नवनीत कुमार

Updated on: 17 Feb 2025 2:30 PM IST

दिल्‍ली चुनाव में यमुना की सफाई बड़ा मुद्दा रही. अब बीजेपी के चुनाव जीतने के बाद और सरकार बनने से पहले ही यमुना की सफाई का काम शुरू हो गया है. उपराज्यपाल वीके सक्सेना ने सफाई अभियान की कमान संभाल ली है. हाल ही में उन्होंने मुख्य सचिव और अन्य अधिकारियों के साथ बैठक कर सफाई कार्य को गति देने के निर्देश दिए थे.

अब यमुना में कचरा हटाने के लिए अत्याधुनिक मशीनों का उपयोग किया जा रहा है. ट्रैश स्किमर्स, वीड हार्वेस्टर्स और ड्रेज यूटिलिटी क्राफ्ट जैसी तकनीकें नदी से गाद और कचरा हटाने में लगी हैं. बीते दिनों एलजी सक्सेना ने मुख्य सचिव से इस अभियान की प्रगति पर चर्चा की थी, जिसके बाद सफाई कार्यों में तेजी आई है.

सीएम के नाम के एलान से पहले ही सरकार का उद्देश्य यमुना को फिर से स्वच्छ और निर्मल बनाना है, जिससे दिल्लीवासियों को एक साफ-सुथरा पर्यावरण मिल सके. यह पहल न केवल नदी के पारिस्थितिकी तंत्र को सुधारने में मदद करेगी, बल्कि दिल्ली के जल संकट को हल करने में भी महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकती है.

यमुना नदी की सफाई में कई चुनौतियां

वित्तीय संसाधन: यमुना की सफाई के लिए बड़े पैमाने पर धनराशि की आवश्यकता होगी. परियोजना की लागत को पूरा करने के लिए पर्याप्त वित्तीय प्रबंधन और धनराशि का प्रावधान एक प्रमुख चुनौती होगी. ये समस्या 'आप' सरकार के समय भी थी.

अंतर-राज्यीय समन्वय: यमुना नदी कई राज्यों से होकर बहती है, इसलिए प्रदूषण नियंत्रण और सफाई के लिए दिल्ली के अलावा अन्य राज्यों, विशेषकर हरियाणा और उत्तर प्रदेश के साथ समन्वय आवश्यक है. हालांकि इन राज्यों में भी बीजेपी की सरकार है तो उम्मीद है कि दिल्ली सरकार को ज्यादा परेशानी का सामना करना न पड़े.

औद्योगिक और घरेलू कचरा: नदी में प्रतिदिन बड़ी मात्रा में औद्योगिक और घरेलू कचरा फेंका जाता है. इन स्रोतों की पहचान, निगरानी और निस्तारण के लिए सख्ती आवश्यक है, जो कि एक कठिन काम हो सकता है.

जन जागरूकता और सहभागिता: नदी की सफाई में जनता की भागीदारी महत्वपूर्ण है. लोगों को जागरूक करना, उनकी आदतों में परिवर्तन लाना और सफाई अभियानों में शामिल करना एक बड़ी चुनौती होगी.

टेक्निकल एक्सपर्टीज: नदी की सफाई के लिए उन्नत तकनीकों और विशेषज्ञता की आवश्यकता है. उचित तकनीकी समाधान ढूंढना, उन्हें लागू करना और उनकी प्रभावशीलता सुनिश्चित करना एक जटिल प्रक्रिया हो सकती है. हालांकि एलजी ने सफाई के लिए ट्रैश स्किमर्स और वीड हार्वेस्टर्स से सफाई करवा रही है.

बीजेपी ने बनाया था चुनावी मुद्दा

चुनाव के समय बीजेपी ने यमुना की सफाई को अपने प्रमुख एजेंडे में शामिल किया था. नदी साफ़ नहीं कर पाने के कारण बीजेपी ने चुनाव प्रचार के दौरान इसे एक प्रमुख मुद्दा बनाया था और अरविंद केजरीवाल को घेरा था. सरकार के गठन के बाद, पहली कैबिनेट बैठक में ही यमुना की सफाई के लिए एक्शन प्लान तैयार करने और तीन वर्षों के भीतर नदी को स्वच्छ बनाने का लक्ष्य निर्धारित करने की योजना बन सकती है.

केजरीवाल नहीं कर पाए थे सफाई

इससे पहले, आम आदमी पार्टी की सरकार ने भी यमुना की सफाई का वादा किया था, लेकिन वे इसे पूरा करने में सफल नहीं हो सके. खुद अरविंद केजरीवाल ने स्वीकार किया था कि यमुना की सफाई, 24 घंटे स्वच्छ पेयजल आपूर्ति, और विश्वस्तरीय सड़कों का निर्माण उनके अधूरे वादों में शामिल हैं.

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