छत्तीसगढ़ में करोड़ों के कोयला घोटाले का पर्दाफाश, WhatsApp ग्रुप और कोडवर्ड से ऐसे मिली जांच एजेंसियों को सफलता
छत्तीसगढ़ में कोयला घोटाले का जांच एजेंसियों ने पर्दाफाश कर दिया है. जिसमें कई बड़े नामों और पूर्व सीएम भूपेश बघेल के करीबी शामिल हैं. WhatsApp ग्रुप और कोडवर्ड के जरिए जांच एजेंसियों को ये बड़ी सफलता मिली है. अभी तक 222 करोड़ की संपत्ति जब्त की गई है.
छत्तीसगढ़ में सामने आए कोयला और शराब घोटालों ने यह साफ कर दिया है कि भ्रष्टाचार अब केवल फाइलों और बैठकों तक सीमित नहीं रहा, बल्कि उसने डिजिटल दुनिया में भी अपनी एक अलग सीक्रेट भाषा विकसित कर ली है. एनडीटीवी की रिपोर्ट के मुताबिक WhatsApp चैट, कोडवर्ड और देखने में सामान्य लगने वाले ग्रुप नामों के जरिए सत्ता, धन और प्रभाव का एक संगठित नेटवर्क चलाया जा रहा था, जिसका खुलासा अब जांच एजेंसियों की पड़ताल में हो रहा है.
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जांच एजेंसियों का दावा है कि डिजिटल सबूतों ने एक ऐसे सुनियोजित सिंडिकेट को उजागर किया है, जिसने कथित तौर पर करोड़ों रुपये की अवैध उगाही को सीक्रेट शब्दों और कोड के सहारे अंजाम दिया. इन चैट्स और मैसेजों के जरिए न केवल वसूली का हिसाब रखा जाता था, बल्कि संवेदनशील फैसलों और फाइलों की आवाजाही भी नियंत्रित की जाती थी.
WhatsApp बना भ्रष्टाचार का नया हथियार
एनडीटीवी की पहले की रिपोर्ट के अनुसार, शराब घोटाले को कथित तौर पर बिग बॉस ग्रुप नाम के एक WhatsApp ग्रुप के जरिए चलाया जा रहा था. इस ग्रुप में शामिल प्रमुख किरदारों को अलग नाम दिए गए थे. चैतन्य बघेल को कथित तौर पर बिट्टू के नाम से संबोधित किया जाता था. इन चैट्स में नकद वसूली, शराब की खेप और भुगतान से जुड़ी बातें सांकेतिक भाषा में होती थीं, ताकि यदि बातचीत इंटरसेप्ट भी हो जाए, तो उसका असली मतलब समझना मुश्किल रहे.
कोयला शुल्क घोटाले में भी अपनाई गई वही रणनीति
जांच एजेंसियों का कहना है कि कोयला शुल्क घोटाले में भी बिल्कुल इसी तरह की रणनीति अपनाई गई. आरोप है कि अवैध वसूली पर नजर रखने और खातों के प्रबंधन के लिए पाल, दुर्ग, साप्ताहिक, टावर और जुगनू जैसे नामों से कई WhatsApp ग्रुप बनाए गए थे. इन ग्रुप चैट्स में गिरा या इन जैसे शब्दों का इस्तेमाल पैसे मिलने के संकेत के रूप में किया जाता था. जांच के अनुसार, रायगढ़ नेटवर्क का संचालन नवनीत तिवारी कर रहा था, जो पूरे सिस्टम को डिजिटल माध्यम से नियंत्रित कर रहा था.
1,000 पन्नों की चार्जशीट, पूर्व सीएम से जुड़े नाम
आर्थिक अपराध शाखा (ईओडब्ल्यू) ने कोयला शुल्क घोटाले में पूर्व मुख्यमंत्री भूपेश बघेल के उप सचिव रह चुकी सौम्या चौरसिया के निजी सचिव जयचंद कोसले के खिलाफ करीब 1,000 पन्नों की आरोपपत्र दाखिल की है. ईओडब्ल्यू के अनुसार, चौरसिया ने रायपुर नगर निगम में रिकॉर्ड कीपर के पद पर कार्यरत कोसले को विशेष रूप से संग्रह से जुड़े कार्यों के लिए मुख्यमंत्री आवास में तैनात कराया था. जांचकर्ताओं का दावा है कि चौरसिया के कार्यकाल के दौरान कोसले को मुख्यमंत्री आवास में तैनात किया गया और उन्हें सीधे उनके निर्देशों पर धन संग्रह की जिम्मेदारी दी गई.
आरोप है कि इन कार्यों के लिए कोसले को सीजी-02 पंजीकरण संख्या वाली दो सरकारी गाड़ियां भी उपलब्ध कराई गई थीं. भ्रष्टाचार विरोधी ब्यूरो (एसीबी) ने 25 जून 2019 से 31 जनवरी 2020 के बीच के WhatsApp मैसेजों का हवाला दिया है, जिनमें गिरोह के सदस्यों ने कई संवेदनशील मामलों पर बातचीत की थी.
अहम मैसेज से खुला राज
ऐसे ही एक संदेश में, सौम्या चौरसिया ने अनिल तुतेजा को लिखा था कि “इसे तुरंत जांच करवाकर वापस कर दें. जय इसे सीधे मुख्यमंत्री के पास ले जाकर हस्ताक्षर करवाएगा.” एसीबी अधिकारियों के मुताबिक, यह संदेश इस बात की ओर इशारा करता है कि जयचंद कोसले को नियमित रूप से बेहद महत्वपूर्ण जिम्मेदारियां सौंपी जाती थीं. इनमें मुख्यमंत्री कार्यालय (सीएमओ) और मुख्यमंत्री आवास से जुड़ी फाइलों को ले जाना, उनका सुरक्षित परिवहन और मुख्यमंत्री के हस्ताक्षर करवाना शामिल था.
222 करोड़ की संपत्ति जब्त
इस मामले में दर्ज एफआईआर और बाद में सामने आई जांच रिपोर्ट के अनुसार, कोयला सिंडिकेट के सदस्यों ने साल 2020 से 2022 के बीच कोयला ट्रांसपोर्टरों और व्यापारियों को धमकाकर करीब 540 करोड़ रुपये की उगाही की. आरोप है कि यह अवैध धनराशि सिंडिकेट के सदस्यों में बांटी गई और इसका इस्तेमाल देश के अलग-अलग हिस्सों में संपत्तियां खरीदने के लिए किया गया. अब तक एजेंसियां इस घोटाले से जुड़ी 222 करोड़ रुपये की संपत्ति जब्त कर चुकी हैं.
35 से ज्यादा आरोपी, कई बड़े नाम शामिल
अब तक इस मामले में 35 से अधिक लोगों को आरोपी बनाया गया है और 15 से ज्यादा गिरफ्तारियां हो चुकी हैं. गिरफ्तार या नामजद किए गए लोगों में सस्पेंड आईएएस अधिकारी रानू साहू और समीर विश्नोई, सौम्या चौरसिया, सूर्यकांत तिवारी, सुनील अग्रवाल सहित कई अन्य प्रमुख नाम शामिल हैं.





