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लालू परिवार की कुंडली में क्यों 'S' नाम वाले लोग बन जाते हैं राहु? साधु-सुभाष से लेकर संजय तक… फिर लौट आया पुराने दौर वाला साया

लालू प्रसाद यादव के परिवार में ‘S’ नाम वाले चेहरों का साया हमेशा विवाद लेकर आया है. 90 के दशक और 2000 के शुरुआती वर्षों में साधु यादव (S1) और सुभाष यादव (S2) सत्ता के गलियारों में इतनी पकड़ बना बैठे थे कि लालू-राबड़ी सरकार की ज्यादतियों का पर्याय बन गए. अब दो दशक बाद इतिहास खुद को दोहराता दिख रहा है. 2025 के चुनावी परिणामों के बाद तेजस्वी यादव के सबसे करीबी संजय यादव (S3) पर परिवार के भीतर से ही आरोपों की बरसात हो रही है-रोहिणी आचार्य से लेकर तेज प्रताप तक खुलकर भिड़ रहे हैं. S1 और S2 की तरह S3 भी अब परिवार की सियासत के केंद्र में तूफान खड़ा किए हैं.

लालू परिवार की कुंडली में क्यों S नाम वाले लोग बन जाते हैं राहु? साधु-सुभाष से लेकर संजय तक… फिर लौट आया पुराने दौर वाला साया
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सागर द्विवेदी
By: सागर द्विवेदी

Published on: 21 Nov 2025 10:23 AM

बिहार की सियासत में एक बार फिर लालू प्रसाद यादव के परिवार को घेरे हुए वही पुराना सवाल तैर रहा है- क्यों हर दौर में 'S' नाम वाले लोग यादव परिवार के लिए सबसे बड़ा सिरदर्द बन जाते हैं? 15 साल के लालू-राबड़ी शासनकाल में साधु यादव (S1) और सुभाष यादव (S2) सत्ता के प्रभाव का पर्याय बन गए थे. आज दो दशक बाद तेजस्वी यादव के दौर में उसी 'S' का नया संस्करण संजय यादव (S3) के रूप में परिवार की सबसे बड़ी राजनीतिक परीक्षा बन चुका है.

2025 के विधानसभा चुनावों में RJD की करारी हार ने इस पारिवारिक झगड़े को पूरी तरह सतह पर ला दिया. तेजस्वी यादव को नेता बनाए रखने की लड़ाई के बीच रोहिणी आचार्य से लेकर तेज प्रताप यादव तक- पूरा परिवार बंटा हुआ नज़र आया. सवाल अब सिर्फ राजनीतिक नहीं, बल्कि वारिस, वर्चस्व और विश्वास के तीन V पर अटक गया है.

S1 और S2- लालू राज के 'राहु-केतु'

लालू-राबड़ी शासन के 15 वर्षों में साधु यादव और सुभाष यादव की तूती बोलती थी. सत्ता में उनका दखल इतना चर्चित हुआ कि वे ‘S1’ और ‘S2’ के नाम से कुख्यात हो गए. यह जोड़ी लालू परिवार के लिए ऐसा बोझ बन गई कि अंत में परिवार को ही दूरी बनानी पड़ी. लेकिन लालू राज की किसी भी चर्चा में इन दोनों की परछाईं आज भी मौजूद है.

तेजस्वी युग में S3 की एंट्री- संजय यादव

लालू प्रसाद ने 2015 में अपने उत्तराधिकारी के तौर पर सबसे छोटे बेटे तेजस्वी को चुना. लेकिन तेजस्वी की टीम में हरियाणा के संजय यादव की एंट्री ने धीरे-धीरे परिवार के भीतर नए समीकरण बना दिए. राज्यसभा सांसद संजय यादव को तेजस्वी का मस्तिष्क कहा जाने लगा. लेकिन 2025 की हार के बाद वही संजय यादव परिवार के सबसे बड़े विवाद का केंद्र बन गए.

रोहिणी आचार्य का बगावत मोड ON

लोकसभा 2024 में हारने के बाद भी रोहिणी आचार्य पार्टी का चेहरा बनी रहीं. लेकिन 2025 के विधानसभा नतीजों की रात एयरपोर्ट पर उन्होंने खुलकर संजय यादव को निशाने पर ले लिया. रोहिणी ने आरोप लगाया कि उन्हें घर छोड़ने पर मजबूर किया गया. उनकी दी हुई किडनी को “गंदी किडनी” कहा गया. टिकट मांगने का झूठा आरोप लगाया गया. इसके बाद वे दिल्ली चली गईं. इतना ही नहीं, रागिनी, चंदा और राजलक्ष्मी भी बच्चों के साथ पटना छोड़कर दिल्ली शिफ्ट हो गईं.

तेज प्रताप और पारिवारिक विस्फोट का दूसरा फ्रंट

तेज प्रताप यादव पहले से ही अलग राह पर थे. ऐश्वर्या राय विवाद, तलाक केस, और 2025 में अनुष्का यादव को लेकर सामने आए नए विवाद ने उन्हें लालू परिवार से पूरी तरह दूर कर दिया. लालू प्रसाद ने उन्हें 6 साल के लिए RJD से निष्कासित कर दिया. इसके बाद तेज प्रताप ने जनशक्ति जनता दल बनाकर महुआ से चुनाव लड़ा और करीब 35,000 वोट लेकर RJD को नुकसान पहुंचाया. आज वे अपनी बहन रोहिणी के साथ खड़े हैं और संजय यादव को “जयचंद” कहकर निशाना बना रहे हैं.

RJD की मुश्किलें- परिवार vs तेजस्वी

RJD की हार के बाद तेजस्वी ने भावुक होकर विधायकों से कहा कि मैं पार्टी संभालूं या परिवार? स्थिति ऐसी बन गई कि लालू प्रसाद को हस्तक्षेप करना पड़ा. उन्होंने विधायकों से कहा कि परिवार का झगड़ा परिवार का है, इसे मैं सुलझाऊंगा. आप लोग तेजस्वी को नेता के तौर पर सपोर्ट करें, लेकिन अंदरखाने सवाल वही है क्या S3 भी S1 और S2 जैसा ही साबित होगा?

लालू परिवार के भविष्य की निर्णायक घड़ी

राजद के भीतर विद्रोह, परिवार के भीतर दरार, और संजय यादव की भूमिका पर उठते सवाल—तेजस्वी यादव पहले कभी इतने दबाव में नहीं दिखे. अब देखना यह है कि क्या तेजस्वी S3 को साथ रख पाएंगे? या संजय का हाल भी लालू-राबड़ी युग के S1-S2 जैसा होगा- और सबसे बड़ा- क्या यादव परिवार इस संकट से पहले जैसा उभर पाएगा? आज स्थिति साफ है—लालू परिवार की कुंडली में ‘S’ फिर से ग्रहण बनकर लौट आया है…

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