कौन हैं महबूब आलम जिन्होंने बढ़ा दिया सीमांचल का पारा? पप्पू यादव को कह दी ऐसी बात मच गया महागठबंधन में बवाल
Bihar Chunav 2025: इसमें कोई दो राय नहीं कि कटिहार के बलराम सीट से चार बार के विधायक एक जनप्रिय नेता है, लेकिन उन्होंने जमीनी और दबंग नेता पप्पू यादव के खिलाफ बयान देकर तेजस्वी यादव के सामने नई मुसीबत खड़ी कर दी है. उनकी ओर से पप्पू यादव के खिलाफ बयान आते ही पूरा सीमांचल गरमा गया. पप्पू यादव भी भड़क उठे हैं.
बिहार विधानसभा चुनाव को लेकर सियासी दलों के नेता दलों अपने-अपने समीकरण सेट करने में जुटे हैं. इस बीच सीमांचल और कोसी क्षेत्र में अपने मजबूत जनाधार के लिए चर्चित पूर्णिया से सांसद पप्पू यादव एक बार फिर सुर्खियों में हैं. जहां एक ओर महागठबंधन नेतृत्व सीट बंटवारे को अंतिम रूप देने में लगा है, वहीं दूसरी ओर तेजस्वी यादव और पप्पू यादव के बीच टकराव की खबरों ने गठबंधन में भितरघात की आशंका बढ़ा दी है. इस उठापटक को बलरामपुर सीट से माले विधायक महबूब आलम ने एक बयान देकर हवा दे दी है.
कौन हैं महबूब आलम?
बिहार के कटिहार के बलरामपुर से विधायक महबूब आलम सीपीआई (ML) नेता हैं. 64 वर्षीय आलम बलरामपुर से चौथी बार के विधायक हैं. वे 2020 में रिकॉर्ड 53,600 वोटों से चुनाव जीते थे. उनके बैंक में महज 30 हजार रुपये हैं. उनके नाम पर 9 लाख रुपये की जमीन है. एक स्कॉर्पियो भी है. उनके दो बच्चे, सरकारी स्कूल में पढ़ते हैं. इसके सिवाय उन्हें सिर्फ विधायक का वेतन 80 हजार रुपये मिलता है. जिसका वे ज्यादातर हिस्सा पार्टी फंड में देते हैं.
ऐसा क्या कह दिया, भड़क उठे पप्पू यादव
बिहार के पूर्णिया से निर्दलीय सांसद पप्पू यादव और आरजेडी प्रमुख लालू यादव और प्रदेश में विपक्ष के नेता तेजस्वी यादव के बीच छत्तीस का आंकड़ा है. इस बीच माले विधायक दल के नेता और बलरामपुर विधायक महबूब आलम जो तेजस्वी यादव के लिए रणनीतिक मोहरा बनते दिखाई दे रहे हैं. उन्होंने मीडिया से बातचीत में पप्पू यादव के अस्तित्व पर ही सवाल खड़ा कर दिया.
सीपीआई माले विधायक महबूब आलम ने कहा कि पप्पू यादव को पहले यह स्पष्ट करना चाहिए कि वे हैं कहां हैं? महागठबंधन में तो हैं नहीं, कांग्रेस के साथ उनका प्रेम केवल निजी मामला है. उन्होंने कांग्रेस को भी कटघरे में खड़ा करते हुए कहा कि कांग्रेस और पप्पू यादव दोनों को खुले तौर पर अपनी भूमिका स्पष्ट करनी चाहिए. आंख मिचौली से अच्छा है, वो खुलकर सामने आ जाएं. महबूब आलम के इस बयान ने महागठबंधन दलों के नेताओं के बीच गर्मी बढ़ा दी है. खासकर कोसी और सीमांचल के चार जिलों की 24 विधानसभा क्षेत्रों में.
गलत समय, सही बयान
दरअसल, पप्पू यादव की लोकप्रियता और जनता के बीच सियासी पकड़ से कोई इनकार नहीं कर सकता. इसके बावजूद माले विधायक ने चुनाव से पहले यह बयान देकर महागठबंधन की एकजुटता पर बड़ा सवालिया निशान लगा दिया है. माले विधायक के बयान से पप्पू यादव का कोई नुकसान नहीं होगा. बशर्ते, तेजस्वी का इसका नुकसान हो सकता है, क्योंकि यह बयान उस समय आया है, जब चुनाव को लेकर माहौल गर्म है.
भारी पड़ेगी पप्पू की नाराजगी
बिहार के सियासी विश्लेषक मानते हैं कि यदि पप्पू-तेजस्वी टकराव और गहराया तो एनडीए के लिए यह राजनीतिक अवसर बन सकता है. ऐसे में आगामी दिनों में महागठबंधन की रणनीति पर सबकी निगाहें टिकी रहेंगी. ऐसा इसलिए कि पप्पू यादव की नाराजगी महागठबंधन को भारी पड़ सकती है.





