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'हमारे पास तो सिर्फ आधार है...' EC के नियम से बिहार के गांव-गांव में एक ही चिंता, कैसे डाल पाएंगे वोट?

बिहार में चुनाव आयोग ने वोटर लिस्ट संशोधन के दौरान 2003 की मतदाता सूची में नाम न होने पर नागरिकता प्रमाण के तौर पर 11 दस्तावेजों की मांग की है. इससे ग्रामीणों में भारी भ्रम और दस्तावेजों के लिए अफरा-तफरी मच गई है, क्योंकि अधिकांश के पास सिर्फ आधार, राशन या मनरेगा कार्ड हैं. नितीश कुमार और तेजस्वी यादव के क्षेत्रों में भी लोग परेशान हैं. विपक्ष ने इसे गरीब, दलित और युवाओं के मताधिकार को रोकने की चाल बताया है.

हमारे पास तो सिर्फ आधार है... EC के नियम से बिहार के गांव-गांव में एक ही चिंता, कैसे डाल पाएंगे वोट?
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( Image Source:  https://x.com/ECISVEEP )
प्रवीण सिंह
Edited By: प्रवीण सिंह

Published on: 4 July 2025 1:40 PM

बिहार की सियासी ज़मीन पर इन दिनों आधार कार्ड, राशन कार्ड और मनरेगा कार्ड से ज्यादा चर्चा किसी और दस्तावेज की नहीं हो रही. कारण है चुनाव आयोग की नई वोटर लिस्ट संशोधन प्रक्रिया, जिसमें 2003 की मतदाता सूची में जिनका नाम नहीं है, उनसे नागरिकता सिद्ध करने के लिए 11 तरह के दस्तावेज मांगे जा रहे हैं. इस आदेश ने बिहार के गांव-गांव में हड़कंप मचा दिया है.

इंडियन एक्‍सप्रेस की रिपोर्ट के अनुसार नितीश कुमार के गांव कल्याण बिगहा से लेकर तेजस्वी यादव के क्षेत्र राघोपुर तक, हर जगह एक ही सवाल गूंज रहा है - “हमारे पास तो सिर्फ आधार है, बाक़ी कागज़ कहां से लाएं?” बूथ लेवल ऑफिसर्स (BLO) घर-घर जाकर लोगों से निवेदन कर रहे हैं कि जल्दी से जाति प्रमाणपत्र या निवास प्रमाणपत्र बनवा लें, वरना नाम वोटर लिस्ट से कट सकता है.

ये कवायद ऐसे समय हो रही है जब मानसून दस्तक दे चुका है, लाखों लोग दूसरे राज्यों में मजदूरी कर रहे हैं और सरकारी दफ्तरों तक पहुंच आम आदमी के लिए चुनौती बनी हुई है. विपक्ष इस पूरी प्रक्रिया को गरीबों, दलितों और युवाओं की वोट काटने की 'चाल' बता रहा है, जबकि प्रशासन अब तक फॉर्म बांटने और दस्तावेज़ एकत्र करने में ही उलझा हुआ है.

क्या है नया नियम?

24 जून को चुनाव आयोग द्वारा जारी आदेश के मुताबिक, 2003 की मतदाता सूची में शामिल लोगों को उसका प्रमाण मान्य होगा. उनके बच्चों को माता-पिता की वोटर लिस्ट से प्रमाण मिलेगा. लेकिन जो 2003 के बाद के हैं - यानी आज 40 साल से कम उम्र के अधिकतर लोग - उन्हें 11 में से कोई एक प्रमाण देना होगा, जिसमें जाति प्रमाण पत्र, निवास प्रमाण पत्र, शैक्षणिक प्रमाणपत्र, जमीन/घर का कागज, पासपोर्ट, सरकारी कर्मचारी पहचान पत्र जैसे दस्तावेज शामिल हैं.

नितीश कुमार के गांव में भी बेचैनी

मुख्यमंत्री नितीश कुमार के पैतृक गांव कल्याण बिगहा से लेकर राजद नेता तेजस्वी यादव के राघोपुर तक, BLO (बूथ स्तर अधिकारी) लोगों से दस्तावेज मांग रहे हैं. लेकिन कई लोग ऐसे हैं जिनके पास न तो जाति प्रमाण पत्र है, न निवास प्रमाण. कल्याण बिगहा के मजदूर मेघन मांझी कहते हैं, “मेरे पास आधार, वोटर ID और मनरेगा कार्ड है… पर BLO कह रहे हैं कि जाति या निवास प्रमाण पत्र बनवाओ, तभी फॉर्म भरेगा.” इसी तरह के हालात राज्य के अन्य जिलों में भी हैं.

तेजस्‍वी यादव के चुनाव क्षेत्र राघोपुर का क्‍या है हाल

तेजस्वी यादव के निर्वाचन क्षेत्र राघोपुर में कई लोग EC के इस नए नियम से अनजान हैं. यदव बहुल बस्तियों में महिलाएं कहती हैं, “हमारे पास तो सिर्फ आधार है, जाति प्रमाण पत्र तो लड़के कॉलेज में एडमिशन के लिए बनवाते हैं. अब इतनी जल्दी कहां से बनवाएं?” एक महिला ने कहा, “हमारे पति पंजाब में रहते हैं, क्या BLO टिकट भेजेगा उन्हें बुलाने के लिए?”

राजनीतिक प्रतिक्रिया

RJD के प्रवक्ता मृत्युंजय तिवारी ने कहा, “ये प्रक्रिया तेजस्वी के समर्थकों - गरीब, दलित, पिछड़ों - को सूची से बाहर रखने की चाल है. 25 दिन में ये संभव नहीं, जब बारिश, बाढ़ और पलायन की स्थिति है.” वहीं JD(U) प्रवक्ता नीरज कुमार ने कहा कि सभी दलों को बूथ एजेंट तैनात करने चाहिए, ताकि लोग BLO के साथ काम करके प्रक्रिया को पूरा कर सकें. हालांकि उन्होंने भी माना कि "यह अचानक आया और लोगों को तैयारी का वक्त नहीं मिला."

वोटर लिस्ट से कटने का डर

राघोपुर की योगिता देवी की चिंता अलग है, “अगर हम जमीन के कागज दिखाएंगे, तो सरकार कहेगी हम अमीर हैं और राशन काट देगी… जबकि जमीन बस नाममात्र की है और हम मज़दूरी करते हैं.” BLOs भी मानते हैं कि कई बस्तियों में कोई भी मान्य दस्तावेज नहीं है.

आंकड़े और कार्यप्रगति

बिहार में करीब 7.8 करोड़ वोटर हैं और 77,000 से ज्यादा BLOs दस्तावेजों की जांच में जुटे हैं. अभी तक सिर्फ 72% फॉर्म ही लोगों तक पहुंचे हैं और मात्र 3% अपलोड हो पाए हैं. 1 अगस्त को ड्राफ्ट वोटर लिस्ट प्रकाशित होनी है और विधानसभा चुनावों में सिर्फ उन्हीं लोगों को वोट देने का अधिकार मिलेगा जिन्होंने दस्तावेज पूरे कर लिए होंगे.

यह संशोधन अभियान वोटर लिस्ट को सही करने की एक पहल जरूर है, लेकिन इसकी समयसीमा और ग्रामीण वास्तविकताओं के बीच विरोधाभास साफ है. लोगों को जागरूक करने और उन्हें दस्तावेज़ मुहैया कराने के लिए सरकार को युद्धस्तर पर काम करना होगा, अन्यथा लाखों लोग अपने मताधिकार से वंचित हो सकते हैं.

बिहार विधानसभा चुनाव 2025
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