दो मतदाता पहचान पत्र मामले में जोर का झटका धीरे से लगाकर गेम 'खेल' गए राहुल गांधी, फंस गया पूरा विपक्ष और तेजस्वी यादव!
बिहार विधानसभा चुनाव 2025 से पहले तेजस्वी यादव दो वोटर ID मामले में फंस गए हैं. कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने 10-12 दिन पहले ही राजनीतिक भूकंप की चेतावनी दी थी. अब यह शक गहराया है कि राहुल और कांग्रेस को पहले से जानकारी थी. इस खुलासे से विपक्ष, खासकर तेजस्वी और RJD की मुश्किलें बढ़ गई हैं. पटना डीएम ने तेजस्वी को नोटिस भेजा है.

चंद दिन पहले तक राजद, लालू प्रसाद यादव, उनके पुत्र और बिहार के पूर्व उप-मुख्यमंत्री तेजस्वी यादव जिस तरह से राजनीतिक विरोधियों की नाक में दम किए हुए थे. अब वही राजद, लालू यादव और उनके बेटे तेजस्वी यादव खुद ही राजनीतिक खेल में बुरी तरह से फंसे हुए नजर आने लगे हैं. लोकसभा में विपक्ष के नेता राहुल गांधी ने 10-12 दिन पहले ही इशारा किया था कि बिहार की राजनीति में जल्दी ही भूकंप आने वाला है. जैसे ही तेजस्वी यादव के दो-दो मतदाता पहचान पत्र का मामला उजागर हुआ, तो वाकई बिहार की राजनीति में भूचाल आ गया.
इस सनसनीखेज रहस्योद्घाटन से कयास लगाए जाने शुरू हो गए हैं कि, जरूर राहुल गांधी और उनकी कांग्रेस पार्टी के पास पहले से ही, तेजस्वी यादव के दो-दो मतदाता पहचान पत्र को लेकर कुछ न कुछ खबर हाथ में रही होगी. अब जब तेजस्वी यादव के दो दो मतदाता पहचान पत्र का मामला सरेआम हो ही चुका है. तो कोहराम मचना भी लाजिमी है. इसका मतलब यह है कि राहुल गांधी 10-12 दिन पहले जिस तरह से हुंकार भर रहे थे कि, बिहार की राजनीति में जबरदस्त तूफान आने वाला है. तो क्या वे इसी तूफान की बात कर रहे थे, जो अब तेजस्वी यादव को दो दो मतदाता पहचान पत्र के रूप में निकल कर सामने आया है.
विपक्ष के सामने नई मुसीबत
तेजस्वी यादव के इन दो-दो पहचान पत्रों का ‘जिन्न’ बंद बोतल से बाहर लाने की बात भले ही अब कांग्रेस पार्टी या फिर राहुल गांधी खुलकर न मानें. सच्चाई मगर देर तक छिप भी तो नहीं सकती है. बहरहाल अब सवाल यह नहीं है कि तेजस्वी यादव के दो-दो मतदाता पहचान पत्र का जिन्न बोतल से बाहर कौन क्यों लाया है. अब तो जिक्र इस बात का होना जरूरी है कि आखिर इस जिन्न के बाहर निकल कर आने से किसी नफा और किसे नुकसान होगा? इस बारे में नई दिल्ली में मौजूद स्टेट मिरर हिंदी के एडिटर से विशेष बातचीत करते हुए पटना में मौजूद वरिष्ठ पत्रकार मुकेश बालयोगी कहते हैं, “कांग्रेस कहूं या फिर राहुल गांधी ने, प्रत्यक्ष-अप्रत्यक्ष रूप से ही सही मगर, तेजस्वी यादव के दो-दो मतदाता पहचान पत्र का जो मसला बिल से बाहर निकला है, इसने विपक्ष के लिए मुसीबत तो खड़ी कर ही दी है.”
क्या तेजस्वी ने अपने पैर पर मारी कुल्हाड़ी?
स्टेट मिरर हिंदी के एक सवाल के जवाब में वह आगे कहते हैं, “यहां सवाल सिर्फ लालू प्रसाद यादव, तेजस्वी यादव के इस कांड से प्रभावित होने भर की बात नहीं है. तेजस्वी यादव के दो-दो मतदाता पहचान पत्र का मुद्दा विपक्ष अब आगामी विधानसभा चुनाव की बात छोड़िए उससे पहले ही जबरदस्त तरीके से भुनाने की कोशिश करेगा. इसका काफी हद तक विपक्ष और राजद व तेजस्वी यादव लालू यादव को चुनावों में होना तय है. अगर विपक्ष इस मामले को कैश करने पर उतारू नहीं होता तो फिर, इस मुद्दे के बाहर आते ही सूबे की मौजूदा हुकूमत का सरकारी तंत्र भी भला क्यों एक्टिव मोड में आ जाता?”
नोटिस देख तेजस्वी की हालत खराब
देख लीजिए जैसे ही तेजस्वी यादव के दो-दो मतदाता पहचान पत्र मिलने की खबर बाहर निकली. वैसे ही लगे हाथ एक्टिव हुआ बिहार की राजधानी पटना के सरकारी तंत्र (जिलाधिकारी पटना) ने भी इस खबर को गंभीरता से लिया है. न केवल गंभीरता से लिया भर ही है, अपितु इस मामले में पटना के जिलाधिकारी कार्यालय की ओर से तेजस्वी यादव को नोटिस भी जारी कर दिया गया है. अब जब नोटिस मिला तो तेजस्वी यादव की हालत खराब है. तेजस्वी यादव को जवाब देते नहीं बन रहा है. क्योंकि कल तक यही तेजस्वी यादव, चार दिन पहले तक उसी बिहार सरकार को कोसते नहीं थक रहे थे, जिसके यह कुछ महीने पहले तक खुद भी उप-मुख्यमंत्री हुआ करते थे. मगर राजीनीति है. इसमें सब जायज है.
आगे-आगे देखिए होता है क्या...
राजनीति ही वह जगह है जिसमें मतलबपरस्ती के लिए दुश्मन का दुश्मन कभी भी अपना दोस्त बना लिया जाता है. और इसे कोई भी मतलबपरस्त नेता बुरा भी नहीं मानता है. बहरहाल जैसे-जैसे बिहार में चुनावी सरगर्मियां तेज होती जा रही हैं, वैसे वैसे विरोधी एक दूसरे को नीचा दिखाने के लिए ‘तिकड़म’ की राजनीति करने पर भी उतर आए हैं. इसी कड़ी में तेजस्वी यादव के दो-दो मतदाता पहचान पत्र पकड़े जाने की घटना तो पहली है. अभी आगे-आगे देखिए बिहार विधानसभा चुनाव 2025 आने से पहले तक और क्या क्या हैरान कर देने वाले कांड निकाल कर सामने लाए जाते हैं.