तेजस्वी मान लें ये शर्त, राहुल और मुकेश सहनी मान लेंगे उन्हें 'सीएम का चेहरा', जानें कहां फंसा है पेच
राहुल गांधी और मुकेश सहनी ने तेजस्वी यादव का महागठबंधन की ओर से 'सीएम फेस' को लेकर कोई आधिकारिक बयान नहीं दिया है. दोनों ने अभी तक तेजस्वी को सीएम का फेस नहीं माना है. इसको लेकर दोनों दलों के नेता का कहना है कि तेजस्वी को चेहरा मानने में हर्ज नहीं है. बशर्ते कि वो दोनों पार्टियों की मांग को स्वीकार कर लें.
बिहार की सियासत में फिर से उबाल है. विपक्षी खेमा यानी महागठबंधन में 'सीएम फेस' को लेकर अंदरखाने खींचतान जारी है. विकासशील इंसान पार्टी के प्रमुख मुकेश सहनी गुरुवार को पटना में हुई बैठक में शामिल नहीं हुए. इसके बदले वो दिल्ली में डेरा जमाए रहे. हालांकि, वीआईपी की ओर से प्रदेश अध्यक्ष बैठक में शामिल हुए थे. जबकि बैठक में महागठबंधन की आगामी कार्यक्रमों को लेकर चर्चा हुई. मुकेश सहनी के इस रुख के बाद से चर्चा यह है कि साल 2020 की तरह कहीं वो एक बार फिर महागठबंधन को झटका तो नहीं देंगे.
कांग्रेस और VIP की मांग क्या है?
सूत्रों के मुताबिक बिहार कांग्रेस और वीआईपी पार्टी के प्रमुख मुकेश सहनी ने तेजस्वी यादव के सामने बड़ी शर्त रख दी है. कांग्रेस ने 243 में 90 सीटों की मांग की है. 70 से कम सीटों पर कांग्रेस चुनाव नहीं लड़ना चाहती है. इसी तरह मुकेश सहनी ने 60 सीटों की मांग की है. सहनी ने इसके अलावा, डिप्टी सीएम पद की भी तेजस्वी यादव से मांग की है.
कांग्रेस और वीआईपी के इस रुख से तेजस्वी यादव के सामने अहम समस्या यह है कि सहयोगी दलों के साथ तालमेल कैसे बैठाएँ. ऐसा इसलिए कि इस बार सीपीआई एमएल सहित अन्य वामपंथी दल भी ज्यादा सीटों की मांग कर रहे हैं. इसके अलावा, एलजेपी पारस गुट भी महागठबंधन में शामिल है. सवाल यह है कि क्या तेजस्वी इस शर्त को मानेंगे? और अगर मानते हैं, तो क्या बिहार का विपक्ष एकजुट होकर तेजस्वी को सीएम चेहरा घोषित करेगा? ऐसे अन्य सहयोगी दलों का क्या होगा?
साल 2020 में आरजेडी 144 सीटों पर चुनाव लड़ी थी. इस बार भी वह 135 से 140 सीटों पर चुनाव लड़ना चाहती है. इसके बाद कांग्रेस ने 90 सीटों की मांग की है. जबकि सहनी की मांग 60 सीटों पर चुनाव लड़ने की है. तेजस्वी इसी गुत्थी को सुलझा नहीं पा रहे है।.
बिहार की राजनीति में इन दिनों विपक्षी दलों के बीच मुख्यमंत्री पद का चेहरा तय करने को लेकर चर्चाएं तेज हैं. आरजेडी नेता तेजस्वी यादव की दावेदारी को लेकर तो कोई दो राय नहीं, लेकिन कांग्रेस और वीआईपी पार्टी 'बिना शर्त समर्थन' देने के मूड में नहीं हैं.
तेजस्वी मौन क्यों?
सूत्रों के मुताबिक, राहुल गांधी और मुकेश सहनी चाहते हैं कि तेजस्वी यादव समन्वय समिति की एक स्पष्ट रूपरेखा को स्वीकार करें, जिसमें सभी सहयोगी दलों को बराबरी की भागीदारी मिले. न सिर्फ चुनावी टिकटों में, बल्कि सरकार बनने की स्थिति में मंत्रालयों के बंटवारे में भी. यानी तेजस्वी को यह आश्वासन देना होगा कि 'अगर सरकार बनी, तो आरजेडी सब कुछ खुद नहीं चलाएगी.' फिलहाल, तेजस्वी यादव इस मुद्दे पर मौन हैं, क्योंकि उन्हें डर है कि इससे उनकी पार्टी की "लीड रोल" कमजोर हो सकती है.
दूसरी ओर, मुकेश सहनी साफ कह चुके हैं कि इस बार वीआईपी पार्टी 'सिर्फ पोस्टर में नहीं, पॉवर में भी' दिखेगी. मुकेश सहनी ने मीडिया की ओर से यह पूछे जाने पर कि क्या आप महागठबंधन पांच साल पहले की तरह छोड़ रहे है. पटना में इस बात की चर्चा है कि आप बीजेपी की ओर से आपको ऑफर मिला है. इस बात की भी चर्चा है कि सहनी की बीजेपी से नजदीकी बढ़ रही है.
BJP नेता के बयान का मुकेश सहनी ने दिया ये जवाब
बीजेपी के प्रवक्ता ने कहा है कि मुकेश सहनी का महागठबंधन में मन नहीं लग रहा है. महागठबंधन के नेता सहनी का सम्मान नहीं कर रहे हैं. इसके जवाब में मुकेश सहनी ने कहा कि विधानसभा चुनाव 2025 के बाद महागठबंधन की सरकार बनेगी. हम लोग साथ मिलकर चुनाव लड़ेंगे और सरकार बनाएंगे. जहां तक दिल्ली में रुकने की बात है तो महागठबंधन की बैठक अचानक हुई थी. इसलिए शामिल नहीं हो सका. उन्होंने कहा कि अब मुझे कोई मूर्ख नहीं बना सकता. एकलव्य का वंशज जरूर हूं, लेकिन अंगूठा कटाने के लिए तैयार नहीं.





