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राजनीति में 'कृष्णलीला' नहीं चलती! तेज प्रताप की 10 'तमाशा गाथाएं', जिससे लालू परिवार और पार्टी का बना मजाक

लालू प्रसाद यादव ने तेज प्रताप यादव को पार्टी से बाहर कर यह साफ संदेश दिया है कि राजद अब पारिवारिक रिश्तों से ऊपर संगठन की प्रतिष्ठा को रखेगा. तेज प्रताप के निजी विवादों और तमाशा बन चुके स्टंट्स ने पार्टी की छवि को बार-बार नुकसान पहुंचाया. यह फैसला सिर्फ अनुशासनात्मक नहीं, बल्कि 2025 के चुनावों से पहले विश्वसनीयता बहाल करने की रणनीति भी है.

राजनीति में कृष्णलीला नहीं चलती! तेज प्रताप की 10 तमाशा गाथाएं, जिससे लालू परिवार और पार्टी का बना मजाक
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नवनीत कुमार
Curated By: नवनीत कुमार

Updated on: 26 May 2025 6:42 AM IST

लालू प्रसाद यादव ने तेज प्रताप को बाहर कर यह संदेश दिया कि राजद अब खून के रिश्तों से पहले संगठन‐शास्त्र को तरजीह देगा. उनका फैसला केवल अनुशासन लागू करने का कदम नहीं बल्कि बिहार में 2025 की चुनावी बिसात पर पुरानी छवि सुधारने की रणनीति भी है. लालू जानते हैं कि परिवारवाद के आरोप से उबरना तभी संभव है जब वही परिवार अपने भटके हुए सदस्य पर कठोर कार्रवाई करे. इसी सख्ती के दम पर वे पार्टी को एकजुट और विश्वसनीय दिखाने की जद्दोजहद में जुटे हैं.

तेज प्रताप यादव लंबे समय से राजद के मंच से दूर हटकर निजी विवादों और सनसनीखेज दावों से सुर्खियां बटोरते थे. उनकी रोमांटिक रिलेशनशिप की सार्वजनिक घोषणाओं से लेकर कृष्ण‐अवतार वाले वीडियो तक हर हरकत ने संगठन की नीतिगत लड़ाई को हास्यास्पद बना दिया. अंततः इन आकस्मिक स्टंट्स की कीमत उन्हें खुद ही चुकानी पड़ी क्योंकि पार्टी बार‐बार बने तमाशे का बोझ और नहीं उठाना चाहती थी. लालू का कड़ा वार्निंग शॉट दरअसल उसी मनमानी पर ताला लगाने की कीमत है. आइए जानते हैं कि वो कौन सी हरकतें हैं जिसने राजद की छवि को धूमिल किया...

तेज प्रताप की 10 हरकतें

1. रिलेशनशिप पोस्ट से मचा बवाल

तेज प्रताप यादव ने हाल ही में सोशल मीडिया पर एक लड़की, अनुष्का यादव, के साथ तस्वीर साझा की, जिसमें लिखा था कि वे 12 साल से रिलेशनशिप में हैं. यह पोस्ट वायरल होते ही राजनीतिक गलियारों में हलचल मच गई. हालांकि बाद में उन्होंने दावा किया कि उनका फेसबुक अकाउंट हैक हुआ था. लेकिन इस विवाद ने पार्टी की साख पर सवाल खड़ा कर दिया, खासकर जब उनका ऐश्वर्या राय से तलाक का मामला अभी भी कोर्ट में चल रहा है.

2. भक्ति के नाम पर सनक का प्रदर्शन

तेज प्रताप धार्मिक गतिविधियों में भी अजीबोगरीब तरीके से शामिल होते हैं. कभी वे श्रीकृष्ण की वेशभूषा में बांसुरी बजाते हैं तो कभी शिवलिंग को खुद पर जल चढ़वाते हैं. व्यक्तिगत आस्था को सार्वजनिक तमाशा बनाने का यह ढंग उन्हें चर्चाओं में तो लाता है, पर राजनेता के तौर पर उनकी गंभीरता को कमजोर करता है.

3. अमर्यादित और विवादित बयानबाजी

तेज प्रताप यादव अपने बयानों को लेकर भी बार-बार विवादों में रहे. एक बार उन्होंने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को “देशद्रोही” तक कह दिया था. उनके शब्दों की मर्यादा अक्सर राजनीतिक शालीनता की सीमाओं को लांघ जाती है, जिससे राजद को बार-बार सफाई देनी पड़ती है.

4. पार्टी नेताओं से टकराव

तेज प्रताप ने पार्टी के वरिष्ठ नेताओं से भी कई बार टकराव मोल लिया. 2018 में उन्होंने रामचंद्र पूर्वे के खिलाफ आरोप लगाए कि वे भाई-भाई को लड़वाना चाहते हैं. उन्होंने खुलेआम अपने पसंदीदा व्यक्ति राजेन्द्र पासवान को महासचिव बनवाया, जिससे पार्टी में अराजकता का माहौल पैदा हुआ.

5. प्रदेश अध्यक्ष से खुली दुश्मनी

तेज प्रताप यादव ने 2021 में प्रदेश अध्यक्ष जगदानंद सिंह के खिलाफ खुली बगावत कर दी थी. छात्र राजद के भीतर अपने समर्थक आकाश यादव को पद से हटाए जाने के बाद उन्होंने विरोध जताया. बाद में पार्टी को हस्तक्षेप करना पड़ा. दिलचस्प बात यह है कि हाल की अनुष्का यादव, जिनके साथ पोस्ट वायरल हुई, वही आकाश यादव की बहन बताई जाती हैं.

6. सिपाही से ‘ठुमका’ लगवाने की कोशिश

तेज प्रताप होली के दिन एक पुलिस सिपाही से नाचने को कहते हुए वीडियो में दिखे. उन्होंने सिपाही से कहा, “ठुमका लगाओ नहीं तो सस्पेंड कर दिए जाओगे.” वीडियो के वायरल होते ही सत्ता के नशे और बदजुबानी को लेकर उनकी आलोचना शुरू हो गई. यह घटना बताती है कि वह सत्ता से बाहर होने के बावजूद खुद को अब भी विशेषाधिकार प्राप्त मानते हैं.

7. CM नीतीश के घर के सामने बवाल

होली के ही दिन, तेज प्रताप बिना हेलमेट स्कूटी चलाते हुए मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के घर के सामने पहुंचे और “पलटू चाचा कहां हैं?” चिल्लाते दिखे. इस हरकत पर ट्रैफिक नियम उल्लंघन के लिए उन पर ₹4000 का चालान काटा गया और उनका व्यवहार अशोभनीय करार दिया गया. यह घटना सार्वजनिक मर्यादा और कानून के प्रति उनकी उदासीनता दर्शाती है.

8. विधानसभा में आक्रामक व्यवहार

तेज प्रताप यादव कई बार विधानसभा में संयम खोते नजर आए. 2022 में उन्होंने स्पीकर विजय सिन्हा से “दो मिनट के लिए मिलना है” कहकर धमकाने की कोशिश की. इससे पहले 2018 में भी वह एक कार्यकर्ता से बदसलूकी करने को लेकर चर्चा में आए थे. उनका बार-बार गुस्सैल और गैर-जिम्मेदाराना रवैया पार्टी की गंभीरता पर सवाल खड़ा करता है.

9. DSS संगठन बनाकर राजद को झटका

2015 में तेज प्रताप ने राजद के समानांतर एक मंच 'धर्मनिरपेक्ष सेवक संघ' (DSS) बनाने का ऐलान किया. उन्होंने कहा कि DSS, RSS का वैचारिक जवाब होगा. लेकिन इस कदम को राजद के अंदर कई नेताओं ने असहमति के रूप में देखा और पार्टी ने कभी इसे आधिकारिक मंच नहीं माना. यह कदम तेज प्रताप के ‘अपनी दुकान अलग खोलने’ की सोच का परिचायक है.

10. पत्नी ऐश्वर्या राय से विवाद

2018 में शादी के कुछ ही महीनों बाद तेज प्रताप ने ऐश्वर्या राय से तलाक के लिए अर्जी दाखिल कर दी थी. कोर्ट में मामला आज भी लंबित है. ऐसे में जब उन्होंने 12 साल पुराने रिलेशनशिप की पोस्ट साझा की, तो लोगों ने यह सवाल उठाया कि पहले से प्रेम में होने के बावजूद उन्होंने ऐश्वर्या से शादी क्यों की? इस विवाद ने न केवल परिवार, बल्कि तेजस्वी और पार्टी को भी असहज कर दिया.

तेजस्वी और रोहिणी ने क्या कहा?

भाई के निष्कासन पर तेजस्वी ने ‘अच्छा नहीं लग रहा’ कहकर भावनात्मक दूरी तो दिखाई, पर तुरंत यह भी जोड़ा कि राजनीति और निजी जीवन अलग हैं. यह वाक्य उन्हें संभावित विद्रोही समर्थकों से बचाता है जबकि पिता के फैसले का सम्मान भी करवाता है. दूसरी ओर बहन रोहिणी का ट्वीट ‘मर्यादित आचरण की सीमा जो लांघता है, वह स्वयं आलोचना का पात्र बनता है’ एक नैतिक ग्रंथ की तरह है, जो परिवार की प्रतिष्ठा की रक्षा करता है. दोनों के कहने का मतलब ये है कि परिवार अब भावुकता नहीं, सीमा रेखा खींचकर ही आगे बढ़ेगा.

राजनीतिक संतुलन की चुनौती

तेज प्रताप को निष्कासन से लालू परिवार में असहज शांति तो बनी है, लेकिन अंदरूनी संतुलन अब तेजस्वी यादव के कंधों पर आ गया है. पार्टी के भीतर प्रगतिशील चेहरों को आगे लाने का दबाव पहले से ही था, और अब तेजस्वी को यह साबित करना होगा कि वे सिर्फ नाम के उत्तराधिकारी नहीं बल्कि फैसले लेने में भी परिपक्व हैं. उनके लिए चुनौती होगी कि वे भाई को खोकर वोटर का दिल न खो दें. यही संतुलन राजद को ज़िंदा रखेगा या हाशिये पर धकेल देगा.

लालू प्रसाद यादवबिहार विधानसभा चुनाव 2025
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