5वीं तक पढ़ाई, 17 की उम्र में बना क्रिप्टो साइबर फ्रॉड का मास्टरमाइंड, STF ने ऐसे करोड़ों की संपत्ति के साथ दबोचा
बिहार के पूर्णिया जिले से साइबर अपराध की दुनिया का एक चौंकाने वाला मामला सामने आया है. एक छोटे से गांव में बैठकर 17 साल का युवा क्रिप्टोकरेंसी के जरिए अंतरराष्ट्रीय स्तर के साइबर फ्रॉड नेटवर्क का संचालन कर रहा था, जिसको STF ने गिरफ्तार कर लिया है.
बिहार के पूर्णिया जिले से साइबर अपराध की दुनिया का एक चौंकाने वाला मामला सामने आया है. एक छोटे से गांव में बैठकर क्रिप्टोकरेंसी के जरिए अंतरराष्ट्रीय स्तर के साइबर फ्रॉड नेटवर्क का संचालन करने वाला 17 साल का नाबालिग खुद को पर्दे के पीछे रखकर करोड़ों की संपत्ति का मालिक बन गया.
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स्टेट टास्क फोर्स (STF) की साइबर यूनिट ने जब इस कथित मास्टरमाइंड को दबोचा, तो जांच एजेंसियां भी हैरान रह गईं. आरोपी के पास से भारी मात्रा में क्रिप्टोकरेंसी, कैश और महंगे इलेक्ट्रॉनिक गैजेट बरामद हुए, जिसने यह साफ कर दिया कि साइबर अपराध का यह खेल कितनी गहराई तक फैल चुका है.
गांव से चल रहा था क्रिप्टो फ्रॉड का नेटवर्क
यह मामला पूर्णिया जिले के पूर्व प्रखंड स्थित डिमिया छतरजान पंचायत के श्रीनगर सहनी टोला का है. यहीं बैठकर आरोपी बीते तीन सालों से साइबर फ्रॉड नेटवर्क का संचालन कर रहा था. इस नेटवर्क में लेन-देन रुपये में नहीं, बल्कि पूरी तरह क्रिप्टोकरेंसी के माध्यम से होता था. STF की छापेमारी में आरोपी के पास से करीब 2 करोड़ रुपये मूल्य की क्रिप्टोकरेंसी, 2.80 लाख रुपये नकद, एप्पल कंपनी के 9 मोबाइल फोन, लैपटॉप और टैबलेट बरामद किए गए.
CERT-IN से मिली गुप्त सूचना, STF ने की कार्रवाई
अपर पुलिस अधीक्षक आलोक रंजन ने मंगलवार को प्रेस वार्ता में बताया कि देश में CERT-IN नाम की एक संस्था साइबर वर्ल्ड से जुड़ी संवेदनशील गतिविधियों की निगरानी करती है. इसी संस्था के माध्यम से पुलिस मुख्यालय को इस पूरे मामले की गुप्त सूचना मिली थी, जिसके आधार पर कार्रवाई करते हुए आरोपी को गिरफ्तार किया गया. जांच में सामने आया कि proxyarth.org नाम की एक वेबसाइट पर किसी भी व्यक्ति का मोबाइल नंबर डालने से उसका निजी डेटा सार्वजनिक हो जाता था. इसमें मोबाइल नंबर के साथ वैकल्पिक नंबर और अन्य संवेदनशील जानकारियां शामिल थीं, जो निजता के गंभीर उल्लंघन की श्रेणी में आती हैं.
सोशल मीडिया से डेटा लीक
पुलिस जांच में यह भी खुलासा हुआ कि सोशल मीडिया के जरिए आम लोगों की निजी जानकारी जुटाई जाती थी और बाद में उसकी अवैध खरीद-बिक्री की जाती थी. यह साइबर अपराध निजता और डेटा सुरक्षा कानूनों का सीधा उल्लंघन है. पूछताछ में आरोपी ने स्वीकार किया कि वह साल 2022 से अपने टेलीग्राम चैनल के माध्यम से विभिन्न गेमिंग ऐप्स को प्रमोट कर रहा था. इनमें भारत में प्रतिबंधित तिरंगा ऐप समेत कई अन्य ऐप्स शामिल थे. इंस्टाग्राम पर उसके करीब 10 लाख फॉलोअर्स थे. प्रमोशन से मिलने वाली रकम सीधे क्रिप्टोकरेंसी में बदल दी जाती थी. बाद में दोस्तों के नाम पर लिए गए सिम कार्ड और बैंक खातों के जरिए इस पैसे को निकाला जाता था.
1.90 लाख डॉलर की क्रिप्टोकरेंसी बरामद
जांच के दौरान आरोपी के पास से 1 लाख 90 हजार अमेरिकी डॉलर की क्रिप्टोकरेंसी मिली, जिसकी भारतीय मुद्रा में कीमत करीब 2 करोड़ रुपये आंकी गई है. यह क्रिप्टोकरेंसी कहां से और किन स्रोतों से आई, इसकी जांच अभी जारी है. फिलहाल आरोपी को गिरफ्तार कर न्यायिक हिरासत में भेज दिया गया है.
गरीबी से अचानक अमीरी तक का सफर
आरोपी के पिता दीपक मंडल पेशे से राजमिस्त्री हैं। आर्थिक तंगी इतनी थी कि वे अपने दोनों बेटों की पढ़ाई मैट्रिक तक भी पूरी नहीं करा सके. लेकिन बीते दो सालों में परिवार की जिंदगी पूरी तरह बदल गई. पक्का मकान बन गया, रहन-सहन बदल गया और गांव में लक्जरी वाहनों से संदिग्ध लोगों का आना-जाना शुरू हो गया. जब ग्रामीणों ने सवाल उठाए, तो आरोपी ने दावा किया कि उसने ड्रीम 11 में जीतकर करोड़ों रुपये कमाए हैं.





