कर्पूरी ठाकुर के बेटे पर सियासी दांव! उपराष्ट्रपति की रेस में रामनाथ ठाकुर का नाम सबसे आगे, बिहार चुनाव में मिलेगा फायदा?
जगदीप धनखड़ के इस्तीफे के बाद उपराष्ट्रपति पद को लेकर सियासी हलचल तेज हो गई है. कर्पूरी ठाकुर के बेटे और केंद्रीय मंत्री रामनाथ ठाकुर की जेपी नड्डा से मुलाकात ने अटकलें और बढ़ा दी हैं. बिहार विधानसभा चुनाव से पहले जातीय समीकरण को साधने के लिए एनडीए रामनाथ को उम्मीदवार बना सकता है.
जगदीप धनखड़ के अचानक इस्तीफे ने देश की सियासत को झकझोर दिया है. अब सभी की नजर इस बात पर है कि अगला उपराष्ट्रपति कौन होगा. खास बात यह है कि यह घटनाक्रम बिहार विधानसभा चुनावों से कुछ ही महीने पहले हुआ है. ऐसे में यह सवाल और भी अहम हो जाता है कि क्या उपराष्ट्रपति का उम्मीदवार बिहार के समीकरणों को ध्यान में रखकर चुना जाएगा?
इसी बीच बीजेपी अध्यक्ष जेपी नड्डा की केंद्रीय मंत्री और जेडीयू सांसद रामनाथ ठाकुर से दिल्ली में मुलाकात ने राजनीतिक चर्चा को और तेज कर दिया है. नड्डा स्वर्ण जयंती अपार्टमेंट में ठाकुर से मिलने पहुंचे जहां बिहार के सांसदों के लिए भोज का आयोजन था. लेकिन यह मुलाकात केवल भोज तक सीमित नहीं मानी जा रही, बल्कि इसे संभावित रणनीतिक संदेश के रूप में देखा जा रहा है.
भोज के बहाने रणनीतिक संवाद?
भले ही इस मुलाकात को औपचारिक भोज का हिस्सा बताया गया हो, लेकिन संसद सत्र के दौरान इस तरह की बैठकें सामान्य रूप से राजनीतिक संकेत भी देती हैं. खासकर तब जब मुलाकात करने वाले व्यक्ति बीजेपी अध्यक्ष हों और सामने वाला संभावित उपराष्ट्रपति उम्मीदवार. राजनीतिक गलियारों में इसे केवल भोजन नहीं, बल्कि एक संकेतक मुलाकात माना जा रहा है.
चुनावी समीकरण साधने की कोशिश
धनखड़ के इस्तीफे के बाद एनडीए अब नए उपराष्ट्रपति के चयन को सामाजिक और आने वाले बिहार चुनाव के समीकरण से जोड़कर देख रही है. सूत्रों के मुताबिक, एनडीए इस बार अत्यंत पिछड़े वर्ग से आने वाले किसी नेता को उम्मीदवार बनाने की योजना पर काम कर रही है. इसका उद्देश्य केवल दिल्ली की राजनीति नहीं, बल्कि बिहार जैसे राज्यों में सामाजिक और चुनावी लाभ प्राप्त करना है.
कौन हैं रामनाथ ठाकुर?
रामनाथ ठाकुर का नाम इस रेस में इसलिए महत्वपूर्ण है क्योंकि वह केंद्र सरकार में कृषि राज्य मंत्री हैं और जनता दल यूनाइटेड (JDU) के राज्यसभा सांसद हैं. वह बिहार के पूर्व मुख्यमंत्री और भारत रत्न से सम्मानित समाजवादी नेता कर्पूरी ठाकुर के पुत्र हैं. नाई समुदाय से आने वाले रामनाथ ठाकुर अत्यंत पिछड़ा वर्ग (EBC) का प्रतिनिधित्व करते हैं. उन्होंने अपने राजनीतिक जीवन की शुरुआत राष्ट्रीय जनता दल (RJD) से की थी और लालू प्रसाद यादव की सरकार में मंत्री भी रहे. बाद में वह नीतीश कुमार के साथ हो गए और JDU में महत्वपूर्ण भूमिका निभाने लगे. वर्तमान में वे संसद के ऊपरी सदन में JDU के नेता हैं और सामाजिक-राजनीतिक संतुलन साधने की दृष्टि से उपराष्ट्रपति पद के संभावित उम्मीदवार के रूप में चर्चा में हैं.
गणित एनडीए के पक्ष में
वर्तमान में एनडीए के पास लोकसभा और राज्यसभा मिलाकर 422 सांसद हैं. उपराष्ट्रपति के चुनाव में जीत के लिए केवल 394 वोटों की जरूरत होती है. ऐसे में अगर एनडीए रामनाथ ठाकुर को उम्मीदवार बनाता है तो उनकी जीत लगभग तय मानी जा रही है. यह न केवल केंद्र के लिहाज़ से, बल्कि बिहार में एक संदेश देने की रणनीति हो सकती है.
बिहार चुनाव की पृष्ठभूमि में बनी रणनीति?
यह तय माना जा रहा है कि उपराष्ट्रपति पद के लिए जो भी उम्मीदवार चुना जाएगा, वह केवल दिल्ली के लिए नहीं, बल्कि बिहार विधानसभा चुनावों की दृष्टि से भी सोचा-समझा फैसला होगा. एनडीए इस मौके को एक बड़े सामाजिक समूह को संदेश देने और अपनी पकड़ मजबूत करने के अवसर के रूप में देख सकता है. रामनाथ ठाकुर इस रणनीति के सबसे उपयुक्त चेहरे के रूप में उभरते दिख रहे हैं.





