बिहार को मिला विज्ञान का आधुनिक केंद्र, सीएम नीतीश कुमार ने दिया डॉ. एपीजे अब्दुल कलाम साइंस सिटी का तोहफा
मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने पटना के राजेंद्र नगर में डॉ. एपीजे अब्दुल कलाम साइंस सिटी का उद्घाटन किया. 21 एकड़ में फैली यह साइंस सिटी 889 करोड़ की लागत से बनी है, जिसमें पांच गैलरी, 269 मॉडल, 4D थिएटर और आधुनिक सुविधाएं हैं. यह संस्थान विज्ञान को समझने और तकनीक के नवाचार को प्रोत्साहित करने वाला आधुनिक केंद्र बनेगा. बच्चों, युवाओं और शोधकर्ताओं के लिए यह आकर्षण का केंद्र है.

मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने रविवार को पटना के राजेंद्र नगर स्थित 21 एकड़ में फैली डॉ. एपीजे अब्दुल कलाम साइंस सिटी का शुभारंभ किया. बच्चों और आम लोगों ने तालियों की गड़गड़ाहट के बीच उनका जोरदार स्वागत किया. मुख्यमंत्री ने साइंस सिटी का अवलोकन करते हुए कहा कि यह संस्थान आने वाली पीढ़ियों को विज्ञान और तकनीक की नई सोच देगा.
साइंस सिटी में पांच अलग-अलग विज्ञान आधारित गैलरी, 269 आकर्षक प्रदर्शनी मॉडल, एक अत्याधुनिक सभागार और 4D थिएटर बनाया गया है. इन आधुनिक सुविधाओं के जरिए विज्ञान के कठिन सिद्धांतों को सरल और रोचक तरीके से समझाने की कोशिश की गई है.
युवाओं के लिए प्रेरणा का केंद्र
मुख्यमंत्री ने कहा कि यह साइंस सिटी सिर्फ एक इमारत नहीं बल्कि बच्चों और युवाओं को विज्ञान के प्रति आकर्षित करने वाला केंद्र है. यहां आकर हर आयु वर्ग के लोग विज्ञान की मूलभूत बातें जान सकेंगे और नई खोजों की प्रेरणा पा सकेंगे.
डॉ. एपीजे अब्दुल कलाम को समर्पण
नीतीश कुमार ने बताया कि इस साइंस सिटी को पूर्व राष्ट्रपति और भारत रत्न डॉ. एपीजे अब्दुल कलाम के नाम पर बनाया गया है. कलाम साहब का बिहार से विशेष लगाव था और यह संस्थान उनकी स्मृति को जीवित रखने के साथ-साथ नई पीढ़ी को विज्ञान के प्रति उत्साहित करेगा.
विशेषज्ञों की देखरेख में हुआ निर्माण
मुख्यमंत्री ने बताया कि निर्माण कार्य के दौरान कई देशों के साइंस सिटी का अध्ययन किया गया. लंदन की साइंस सिटी से भी प्रेरणा ली गई. विशेषज्ञों की राय लेकर इसे आधुनिक स्वरूप दिया गया है ताकि यह राष्ट्रीय स्तर पर पहचान बना सके.
पांच साल की मेहनत, 889 करोड़ की लागत
इस साइंस सिटी का निर्माण बिहार के विज्ञान, प्रौद्योगिकी एवं तकनीकी शिक्षा विभाग ने किया है. करीब 889 करोड़ रुपये की लागत से बनी इस परियोजना को पूरा होने में पांच साल लगे. यह बिहार की सबसे महत्वाकांक्षी परियोजनाओं में से एक मानी जा रही है.
पर्यावरण और सुविधाओं पर खास ध्यान
साइंस सिटी परिसर में ओपन एयर थिएटर, कैफेटेरिया और पर्याप्त पार्किंग की सुविधा भी उपलब्ध है. साथ ही 150 किलोवाट क्षमता का सोलर पैनल लगाया जा रहा है ताकि यह परिसर ऊर्जा के मामले में आत्मनिर्भर हो सके.
2019 से 2024 तक का सफर
गौरतलब है कि मुख्यमंत्री ने 1 मार्च 2019 को इस साइंस सिटी की नींव रखी थी. पांच साल की लंबी मेहनत के बाद आज यह सपना साकार हुआ है. अब यह संस्थान बिहार और पूरे देश के लिए विज्ञान की शिक्षा और नवाचार का बड़ा केंद्र बनेगा.