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शहबाज सरकार के 27वें संशोधन पर पाकिस्तान में बवाल, विपक्ष ने खोला मोर्चा, क्यों कहा - ‘लोकतंत्र खतरे में’

पाकिस्तान में शहबाज शरीफ की सरकार द्वारा प्रस्तावित 27वें संवैधानिक संशोधन ने देश की राजनीति एवं संवैधानिक व्यवस्था में भूचाल ला दिया है. इसमें सेना-कमान, न्यायपालिका, प्रांतीय स्वायत्तता और संघ-प्रांत संबंधों में बड़े बदलाव शामिल हैं. अगर यह बिल पास हो गया तो फील्ड मार्शल असीम मुनीर वहां के राष्ट्रपति की तरह शक्तिशाली शख्स हो जाएंगे. वहां की तीनों सेनाएं उनके अंदर काम करेगी. इसको लेकर पाकिस्तान में बड़े पैमाने पर नाराजगी है.

शहबाज सरकार के 27वें संशोधन पर पाकिस्तान में बवाल, विपक्ष ने खोला मोर्चा, क्यों कहा - ‘लोकतंत्र खतरे में’
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पाकिस्तान के प्रधानमंत्री शहबाज शरीफ सरकार द्वारा प्रस्तावित 27वें संवैधानिक संशोधन विधेयक ने वहां की जनता को चौंका दिया है. यह विधेयक सामने आने के बाद से सियासी दलों और वहां की जनता में बड़े पैमाने पर असंतोष घर कर गया है. इस विधेयक को वहां की राजनीति में एक नया मोड़ लाने वाला बताया जा रहा है. इस बिल के पास होने पर सेना की सर्वोच्च कमान, न्यायिक संरचना और संघ-प्रांत के संबंध नए सिरे से परिभाषित होंगे. विपक्ष ने इस संशोधन विधेयक को लोकतंत्र के लिए खतरा करार दिया है. आइए जानते हैं कि क्या है पाकिस्तान के संविधान में संशोधन के नया प्रस्ताव, क्यों लाया गया, इसका विरोध क्यों हो रहा है और देश में इस प्रस्ताव ने कैसे हलचल मचा दी है?

पाकिस्तान विपक्षी दलों में इस विधेयक को लेकर खासी नाराजगी है. विपक्षी दलों के नेताओं को डर है कि यह स्वतंत्र न्यायपालिका, प्रांतीय अधिकार और लोकतांत्रिक संतुलन को कमजोर करेगा.

क्या है 27वां संवैधानिक संशोधन?

पाकिस्तान में 27वें संविधान संशोधन विधेयक का मकसद वहां के कई कानूनों में फेरबदल करना है. इसका मकसद फील्ड मार्शल असीम मुनिर (सेना प्रमुख) को असीम शक्ति (कमांडर ऑफ डिफेंस फोर्सेज) को ओहदा देना है. इतनी शक्ति कि उन्हें कोई तीनों सेना के चीफ पद से हटा न सके. इस विधेयक से सुप्रीम कोर्ट ऑफ पाकिस्तान की शक्तियां कम हो जाएगी. यह अस्तित्व में तो बनी रहेगी, लेकिन इसकी जगह संघ-प्रांतीय वित्तीय एवं प्रशासनिक शक्तियों का नए सिरे से बंटवारा होगा. सुप्रीम कोर्ट से अलग एक नया फेडरल कोर्ट बनाने की भी प्रस्ताव में व्यवस्था है.

​संविधान के किन-किन प्रावधानों में होगा संशोधन?

  • अनुच्छेद 243 में बदलाव - यह प्रावधान है जिसमें सशस्त्र बलों की सर्वोच्च कमान की बात है.
  • न्यायपालिका में बदलाव - एक संवैधानिक कोर्ट की स्थापना जाएगी. यही कोर्ट न्यायाधीशों के स्थानांतरण/नियुक्ति करेगी.
  • प्रांतीय वित्त, शिक्षा, जनसंख्या-योजना जैसे विषयों का संघ के पास आ जाएगी लौटाना, प्रांतों की स्वायत्तता पर असर.

इस संशोधन की जरूरत क्यों पड़ी?

पाकिस्तान सरकार का कहना है कि यह देश की बेहतर गवर्नेंस, न्याय व्यवस्था के सुधार और राष्ट्रीय सुरक्षा-प्रबंधन को सुदृढ़ करने के मकसद से लाया गया है, लेकिन आलोचकों का कहना है कि यह बदलाव 18वें संशोधन द्वारा हासिल प्रांतीय अधिकारों और संघ-प्रांत संतुलन को उलट सकता है.

विपक्ष विधेयक के खिलाफ

इमरान खान की पार्ट पाकिस्तान तहरीक ए इंसान ने संशोधन विधेयक को संविधान और न्यायपालिका को कमजोर करने वाला कदम करार दिया है. पाकिस्तान पीपल्स पार्टी के अध्यक्ष बिलावल भुट्टो जरदारी ने कहा है कि उनकी पार्टी प्रांतीय अधिकारों को कमजोर करने वाले प्रस्तावों का समर्थन नहीं करेगी. इसके अलावा भी कई पार्टियों ने बिल का विरोध करने का फैसला लिया है.

क्या है संशोधन की प्रक्रिया?

27 वें संशोधन बिल पास कराने के लिए शहबाज सरकार ने गठबंधन सहयोगियों जैसे (मुत्ताहिदा कौमी मूवमेंट पाकिस्तान, पाकिस्तान मुस्लिम ली क्यू, इस्तेहकाम ए पाकिस्तान पार्टी आदि को शामिल कर समर्थन जुटाने की कोशिश की है. इस मसले पर शहबाज कैबिनेट की बैठक कई बार स्थगित हुई है, क्योंकि गठबंधन सहयोगियों ने इस अपनी सहमति नहीं दी है.

क्या सामने आने वाले हैं खतरे?

यदि प्रांतों के वित्तीय हिस्सों में कटौती हुई या संघ-प्रांतीय शक्तियों में बदलाव हुआ, तो यह प्रांतों की स्वायत्तता को कम कर सकता है. न्यायपालिका के स्वायत्त होने की जगह यह संशोधन इसे राजनीतिक/सैन्य दबाव के अधीन कर सकता है. सेना-नागरिक संबंधों में शक्ति संतुलन बदल सकता है. पाकिस्तान की सत्ता सैना केन्द्रित हो जाएगा.

इस प्रस्ताव का कानूनी रूप देने के लिए इसे संसद के दोनों सदनों में दो-तिहाई वोट की आवश्यकता है. सरकार के लिए समर्थन जुटाना चुनौती है. अगले हफ्तों में इस पर बहस, विरोध प्रदर्शन एवं न्यायिक चुनौती देने की भी संभावना है. अगर संशोधन पारित हुआ, तो इसके बाद लागू होने की प्रक्रिया शुरू होगी. ऐसे में प्रांतों एवं न्यायपालिका में बदलाव देखने को मिल सकता है.

चीफ ऑफ डिफेंस फोर्सेज क्या होता है?

पाकिस्तान में सामान्य तौर पर आर्मी चीफ को ही चीफ ऑफ डिफेंस फोर्सेज बनाया जाता है. प्रधानमंत्री और राष्ट्रीय रणनीतिक कमांड की सलाह पर राष्ट्रपति इसकी नियुक्ति करते हैं. चीफ ऑफ डिफेंस फोर्सेज को तीनों सेनाओं का प्रमुख भी कहा जाता है, लेकिन संशोधन विधेयक की खासियत यह है कि संसद से पास होने पर इस पद पर बैठे व्यक्ति को पाकिस्तान के राष्ट्रपति के समान दर्जा मिल जाएगा. फिर उसके पद से हटारा बहुत मुश्किल होगा.

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