वक्फ बिल पर घर के न घाट के नीतीश! JDU की पीसी में बवाल; अचानक उठकर क्यों भागने लगे नेता? VIDEO
JDU Press Conference: बिहार में वक्फ बिल को लेकर सियासत गरमाई हुई है और जेडीयू के अल्पसंख्यक नेताओं की फजीहत अब चर्चा का विषय बन गई है. दरअसल, वक्फ बिल पर सफाई देने के लिए जेडीयू के मुस्लिम नेताओं ने एकजुट होकर प्रेस कॉन्फ्रेंस बुलाई थी, लेकिन जैसे ही उनसे तीखे सवाल पूछे गए, वो जवाब देने के बजाय मंच छोड़कर चलते बने.

JDU Press Conference: बिहार में वक्फ बिल को लेकर सियासत गरमाई हुई है और जेडीयू के अल्पसंख्यक नेताओं की फजीहत अब चर्चा का विषय बन गई है. दरअसल, वक्फ बिल पर सफाई देने के लिए जेडीयू के मुस्लिम नेताओं ने एकजुट होकर प्रेस कॉन्फ्रेंस बुलाई थी, लेकिन जैसे ही उनसे तीखे सवाल पूछे गए, वो जवाब देने के बजाय मंच छोड़कर चलते बने.
एमएलसी गुलाम गौस जैसे वरिष्ठ नेता भी प्रेस कॉन्फ्रेंस में साइड में चुपचाप बैठे नजर आए और किसी ने भी सवालों का जवाब देने की हिम्मत नहीं जुटाई .इस पूरी घटना का वीडियो अब सोशल मीडिया पर वायरल हो गया है, जहां लोग सवाल उठा रहे हैं कि जब अपने समुदाय से जुड़े अहम मुद्दे पर बात करने का साहस नहीं है, तो फिर नेतागिरी किसलिए?
एक यूज़र ने तंज कसते हुए लिखा, "काहे भाग रहे हैं जदयू के नेता? अब गद्दी से भी भागना पड़ेगा हुजूर! विपक्ष इस मुद्दे पर हमलावर है और कह रहा है कि यह वक्फ संपत्तियों की हेरा-फेरी को छुपाने की एक कोशिश है, जिसे अब जनता बखूबी समझ चुकी है.
क्या नीतीश कुमार ने भेदभाव किया?
अल्पसंख्यक प्रकोष्ठ के प्रदेश अध्यक्ष अशरफ अंसारी और प्रवक्ता अंजुम आरा ने वक्फ संशोधन बिल को लेकर जदयू का पक्ष रखते हुए कहा कि मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने हमेशा मुस्लिम समाज के हितों की रक्षा की है और उनके विकास के लिए ठोस कदम उठाए हैं. उन्होंने दावा किया कि नीतीश कुमार के नेतृत्व में अल्पसंख्यकों के अधिकारों से कोई समझौता नहीं हो सकता.
प्रेस कॉन्फ्रेंस में दोनों नेताओं ने कहा कि वक्फ संशोधन बिल को लेकर जदयू ने पांच अहम सुझाव केंद्र को दिए थे, जिन्हें मानने के बाद ही पार्टी ने बिल का समर्थन किया. प्रवक्ता अंजुम आरा ने स्पष्ट किया कि इन सुझावों को स्वीकार किया जाना इस बात का प्रमाण है कि पार्टी मुस्लिम समाज की चिंताओं को लेकर गंभीर है.
वक्फ जमीन राज्य का विषय बनी रहे – केंद्र इसमें दखल न दे. नया कानून पूर्व प्रभावी न हो यानी पुराने मामलों पर लागू न किया जाए. जिन संपत्तियों पर मस्जिद या दरगाह जैसे धार्मिक ढांचे हैं, वे सुरक्षित रहें – छेड़छाड़ न हो. वक्फ विवादों के निपटारे के लिए जिलाधिकारी से ऊपर के अधिकारी को अधिकृत किया जाए. वक्फ संपत्तियों के डिजिटलीकरण की समय सीमा को छह महीने तक बढ़ाया जाए.
इस दौरान मंच पर मौजूद रहे पूर्व सांसद डॉ. अहमद अशफाक करीम, शिया वक्फ बोर्ड के अध्यक्ष अफजल अब्बास, एमएलसी गुलाम गौस और वरिष्ठ नेता खालिद अनवर जैसे चेहरों ने, जो पहले वक्फ बिल के खिलाफ खुलकर सामने आ चुके हैं, प्रेस कॉन्फ्रेंस में कोई बयान नहीं दिया. ऐसे में यह पीसी, जो एकता का संदेश देने और विवाद को थामने के लिए बुलाई गई थी, उतनी असरदार नहीं रही जितनी उम्मीद थी। मंच पर मौन चेहरों की मौजूदगी ने यह संकेत भी दिया कि पार्टी के भीतर मतभेद पूरी तरह खत्म नहीं हुए हैं.