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Bihar Election: 15 बार लड़े चुनाव, मां से भी भिड़े, मुजफ्फरपुर के नबी हसन की अजब गजब कहानी

बिहार की राजनीति में अजब-गजब किस्सों की कोई कमी नहीं है. मुजफ्फरपुर का शख्स डॉ. नबी हसन एक ऐसे शख्स हैं जो राजनीति से बेइंतहा प्यार करता है. पंचायत स्तर से लेकर स्थानीय निकाय, विधानसभा, लोकसभा का चुनाव बहुत कम उम्र में ही 15 बार लड़ चुके हैं. खास बात यह है कि हसन दो बार मां के खिलाफ भी चुनाव लड़ चुके हैं. कभी समाजवादी सोच से राजनीति शुरू की तो कभी निर्दलीय के तौर पर किस्मत आजमाई.

Bihar Election: 15 बार लड़े चुनाव, मां से भी भिड़े, मुजफ्फरपुर के नबी हसन की अजब गजब कहानी
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बिहार विधानसभा चुनावों में कई ऐसे प्रत्याशी सामने आए हैं, जिनकी कहानियां सामान्य नहीं बल्कि असाधारण रही हैं. अब राजनीति में रुचि रखने वाले डॉ. मोहम्मद नबी हसन लोगों की भीड़ में एक जाना पहचाना नाम है. नबी हसन मुजफ्फरपुर की राजनीति में अपने अजब अंदाज और अनोखे रिकॉर्ड के लिए जाने जाते हैं. उन्होंने न सिर्फ 15 बार चुनाव लड़ा बल्कि दो बार अपनी ही मां के खिलाफ मैदान में उतरकर लोगों को चौंका दिया. उन्होंने आखिरी बार लोकसभा चुनाव 2024 वैशाली से लड़ा था.जानिए उनकी रोचक कहानी.

15 बार चुनाव लड़ा, केवल 3 बार बची जमानत

नबी हसन का राजनीतिक सफर संघर्षों और असफलताओं से भरा रहा है. उन्होंने विधानसभा और लोकसभा मिलाकर 15 बार चुनाव लड़ चुके हैं. इनमें से सिर्फ तीन बार वो अपनी जमानत बचा पाए. इसके बावजूद उन्होंने हार नहीं मानी और हर चुनाव में मैदान में उतरकर खुद को साबित करने की कोशिश की. अब वो बिहार विधानसभा चुनाव 2025 लड़ने की तैयारी में जुटे हैं.

मां से भी की चुनावी टक्कर

नबी हसन की कहानी इसलिए भी अनोखी है क्योंकि वे सिर्फ दूसरे नेताओं से ही नहीं भिड़े बल्कि अपनी मां के खिलाफ भी दो बार चुनाव लड़ा. यह घटना उस समय चर्चा का बड़ा विषय बन गई थी और लोगों ने इसे राजनीति का अनोखा किस्सा माना.

चुनाव जिद का सफर

डॉ. नबी हसन का चुनाव लड़ने का सिलसिला महज राजनीतिक विचारधारा नहीं बल्कि एक जिद और जुनून बन चुका है. हार पर हार के बावजूद वह धरतीपकड़ की तरह लगातार चुनाव लड़ते जा रहे हैं. उन्होंने अलग-अलग पार्टियों से भी चुनाव लड़ा और कई बार निर्दलीय प्रत्याशी भी बने.

पंचायत स्तर पर 3 बार जीते चुनाव

डॉ. मोहम्मद नबी हसन पेशे से इंटीरियर डेकोरेटर हैं. मुजफ्फरपुर के साहेबगंज में उनका घर है. कोलकाता में उनका अपना काम चलता है. नबी हसन 40 वर्ष की उम्र में पंच से लेकर लोकसभा तक का 15 बार चुनाव लड़ चुके हैं. इसमें पंचायत स्तरीय पदों पर तीन बार जीत भी दर्ज की है.

धरती पकड़ राह पर हसन

डॉ. मोहम्मद नबी हसन की चुनाव लड़ने की जिद से साफ है कि वो धरतीपकड़ की राज पर चल पड़े हैं. साल 1962 से लेकर 1998 तक यानी अपनी मृत्यु तक यूपी के बरेली निवासी काका जोगिंदर सिंह उर्फ धरती पकड़ ने हर चुनाव में नामांकन दाखिल किया, लेकिन सभी में उन्हें हार का सामना करना पड़ा. उन्होंने अपने जीवन काल में नगर निगम पार्षद, विधानसभा, लोकसभा और उपाध्यक्ष तथा राष्ट्रपति के लिए हर चुनाव लड़ा. कुल 36 वर्षों में 350 चुनाव लड़े, लेकिन उन्होंने नामांकन दाखिल किया और फिर कोई प्रचार नहीं किया. इसके बजाय वे लोगों के पास गए और कहा, "मुझे वोट मत देना. मैंने हारने के लिए नामांकन दाखिल किया है. अपने इस सियासी अंदाज में लिए वे देश भर में जाने गए और उनका लोकप्रिय नाम ही हो गया धरती पकड़"

इसी तरह तमिलनाडु के पद्मराजन भी अपने जीवन में कई चुनाव लड़ चुके हैं. उनके नाम से तो चुनाव लड़ने का रिकॉर्ड तक दर्ज है. पद्मराजन स्थानीय चुनाव से लेकर राष्ट्रपति पद तक के लिए भी चुनाव लड़ चुके हैं. वह अब तक 238 बार चुनाव में किस्मत अजमा चुके हैं, लेकिन हर बार उन्हें हार का सामना करना पड़ा.

बिहारबिहार विधानसभा चुनाव 2025
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