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राबड़ी देवी सीधे किचन से निकल कैसे बन गईं बिहार की CM, जानें उनकी अनसुनी कहानी?

बिहार की पूर्व सीएम और लालू यादव की पत्नी राबड़ी देवी की जिंदगी रसोई से सत्ता तक का सफर दिलचस्प है. जानिए कैसे एक घरेलू महिला अचानक बिहार की मुख्यमंत्री बन गईं. इतना ही नहीं, लालू यादव के जेल जाने के बाद उन्होंने कैसे संभाली राज्य की कमान, इसकी जानकारी बहुत कम लोगों को है. आज भी राबड़ी देवी बिहार की राजनीति में सुर्खियों में बनी रहती हैं.

राबड़ी देवी सीधे किचन से निकल कैसे बन गईं बिहार की CM, जानें उनकी अनसुनी कहानी?
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गोपालगंज के गांव में रहने वाली, घर के कामकाज से खेत खलिहान व पशुपालन का काम देखने वाली, जिस महिला ने कभी मीडिया का सामना नहीं किया, शासन-प्रशासन से दूर-दूर तक कभी कोई रिश्ता नाता नहीं रहा, जो पॉलिटिक्स से भी दूर थी, वही अचानक बिहार की सत्ता की सबसे ऊंची कुर्सी पर बैठ गईं. बिहार ही नहीं, भारतीय राजनीति के इतिहास में राबड़ी देवी पहली ऐसी महिला हैं जो एक आम घरेलू महिला होते हुए भी सीधे रसोई से मुख्यमंत्री निवास पहुंचीं, लेकिन ये कहानी सिर्फ एक तात्कालिक निर्णय नहीं बल्कि एक ऐसा पल था, जिसने बिहार की राजनीति की दिशा बदल दी.

राबड़ी देवी का जन्म 1956 में बिहार के गोपालगंज जिले के एक सामान्य परिवार में हुआ था. 1973 में उनकी शादी लालू प्रसाद यादव से हुई. शादी के बाद वो पूरी तरह एक घरेलू महिला की जिंदगी जीती रहीं. बच्चों की परवरिश, रसोई की जिम्मेदारी और पारिवारिक कामों में लीन. उन्हें राजनीति से कोई खास मतलब नहीं था, ना ही सार्वजनिक मंचों पर दिखना पसंद था. राबड़ी को सीएम बनना कभी पसंद नहीं था. लालू यादव के जेल जाने की वजह से उन्होंने इस पद को स्वीकार किया था.

लालू गए जेल... राबड़ी का सियासी सफर हुआ शुरू

साल 1997 में जब चारा घोटाले में लालू प्रसाद यादव को जेल जाना पड़ा, तब बिहार की राजनीति में बड़ा भूकंप आया. पार्टी को नेतृत्व की जरूरत थी और लालू को भरोसेमंद चेहरा चाहिए था. ऐसा चेहरा जो उनका नाम, उनकी विरासत और सत्ता को संभाल सके. इस बात को ध्यान में रखते हुए, उन्होंने अपनी पत्नी राबड़ी देवी को बिहार का मुख्यमंत्री बनाने का ऐलान कर दिया. लालू के इस एलान से पूरा देश अचंभित हो उठा.

एक साथ मिले तीर और ताली

राबड़ी देवी को मुख्यमंत्री बनते ही जबरदस्त आलोचना का सामना करना पड़ा. विरोधियों ने उन्हें 'रबर स्टांप' कहा. ये भी कहा कि लालू यादव पर्दे के पीछे से सरकार चला रहे हैं, लेकिन राबड़ी ने इन सब बातों की परवाह किए बिना काम करना शुरू किया. उन्होंने धीरे-धीरे प्रशासनिक कार्यों को समझा, नेताओं से संवाद बनाया और जनता के बीच अपनी जगह बनाने लगीं.

महिला नेतृत्व का प्रतीक बनीं राबड़ी

राबड़ी देवी उस दौर में सत्ता में थीं जब बिहार में अपराध, जातिवाद और भ्रष्टाचार अपने चरम पर था. तमाम चुनौतियों के बावजूद उन्होंने तीन बार मुख्यमंत्री पद संभाला. उन्होंने महिलाओं की शिक्षा, सामाजिक न्याय और दलितों के मुद्दों पर ध्यान देने की कोशिश की. उनके कार्यकाल में कई महिला योजनाएं शुरू की गईं.

आज भी हैं RJD में राजनीतिक धुरी

आज भले ही सीएम की कुर्सी पर ना हों, लेकिन राबड़ी देवी राष्ट्रीय जनता दल (RJD) में एक अहम चेहरा हैं. बेटे तेजस्वी यादव की राजनीति में सक्रियता के बावजूद, राबड़ी देवी की राय आज भी पार्टी में मायने रखती है. वो आज भी अपने सहज, सरल और स्पष्ट अंदाज में राजनीति करती हैं.

लालू बन गए CM से किंगमेकर

राजनीति से दूर रहने वाली राबड़ी को शुरुआत में नई जिम्मेदारियों के बीच एडजस्ट करने में काफी तकलीफ हुई. वे सीएम ऑफिस नहीं जाती थी, विधानसभा की कार्यवाही से भी बचती थीं, लेकिन धीरे-धीरे हालात ने उन्हें इन सब चीजों का अभ्यस्त बना दिया. लालू प्रसाद चाहते तो जेल से लौटकर राबड़ी की बजाए खुद सीएम बन सकते थे लेकिन उन्हें भी किंग की बजाए किंगमेकर बनने में मजा आने लगा. राबड़ी देवी ना केवल सियासत में फिट हो गई, बल्कि 2000 के विधानसभा चुनाव में जीत दर्ज कर पूरे 5 साल तक कार्यकाल चलाया.

फिलहाल, वह बिहार विधान परिषद की सदस्य हैं और वहां नेता विपक्ष हैं. कई बार मीडिया से मुखातिब होते हुए और सदन में अपनी बात रखते हुए वो इतने आत्मविश्वास से भर जाती हैं कि एकबारगी यकीन नहीं होता कि ये वही राबड़ी देवी हैं जो पहली बार मुख्यमंत्री पद की शपथ लेते हुए लड़खड़ा रही थीं, शब्दों को ढूंढ रही थीं.

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