रोहिणी-तेजस्वी विवाद ने दिखाया परिवारवाद की राजनीति का स्याह चेहरा, लालू परिवार में विवाद की जड़ें हैं पुरानी
बिहार विधानसभा चुनाव 2025 में महागठबंधन की करारी हार के बाद अब लालू यादव का परिवार भी टूटता हुआ नजर आ रहा है. रिजल्ट आने के बाद ही लालू की बेटी रोहिणी आचार्य ने परिवार से नाता तोड़ लिया था. वंशवाद की राजनीति कही न कही लालू परिवार को तोड़ रही है.
बिहार विधानसभा चुनाव 2025 में इस बार आरजेडी का काफी बुरा हाल देखने को मिला है, जो पार्टी पिछले चुनाव में 75 सीटें जीतकर आई थी वो इस बार महज 25 सीटों पर ही सिमट कर रह गई. कभी बिहार में लालू यादव के परिवार का दबदबा देखने को मिलता था, लेकिन आज उसी परिवार में गृह कलेश मचा हुआ है. लालू के बच्चे आपस में लड़कर एक-दूसरे से अलग हो रहे हैं और घर छोड़कर जा रहे हैं. इस विवाद ने परिवारवाद की राजनीति का वो स्याह चेहरा दिखा दिया जिसके बीच सालों पहले से लालू परिवार में पनप रहे थे. पहले राबड़ी के भाई और लालू के साले साधु यादव का दूर जाना, और अब लालू के बच्चों के बीच अनबन ने दिखा दिया कि परिवार में सबकुछ ठीक नहीं है.
जैसे ही बिहार विधानसभा चुनाव 2025 का रिजल्ट सामने आया, वैसे ही तेजस्वी यादव और उनकी बहर रोहिणी आचार्य जो चुनाव से पहले अपने भाई को खुलकर सपोर्ट कर रही थी के बीच झगड़ा हुआ और रोहिणी ने अपने भाई तेजस्वी और उनके 2 दोस्तों पर गंभीर आरोप लगाते हुए घर छोड़ने का फैसला किया. मीडिया के सामने भी रोहिणी रोते हुए नजर आईं थीं और ये पहली बार नहीं है जब लालू के परिवार में ऐसा कलेश देखने को मिला है इससे पहले भी कई बार ऐसा हो चुका है.
रोहिणी के अलावा तीनों बहनों ने छोड़ा पटना
चुनाव का रिजल्ट आने के बाद तेजस्वी यादव की बहन रोहिणी आचार्य ने परिवार से नाता तोड़ लिया था. मीडिया के सामने रोते हुए रोहिणी ने कहा था कि "उनके भाई तेजस्वी के सामने संजय यादव और रमीज खान ने उनका अपमान किया और तेजस्वी ने कुछ नहीं बोला. इतना ही नहीं उनको गाली दी गई और चप्पलों से भी मारा गया." इस घटना के कुछ समय बाद खबर आई कि रोहिणी के अलावा तेजस्वी यादव की तीन बहन राजलक्ष्मी, रागिनी और चंदा ने भी परिवार को साथ छोड़ पटना से पलायन किया.
तेज प्रताप पहले ही निकल चुके थे घर से बाहर
इसी साल लालू यादव ने अपने बड़े बेटे तेज प्रताप को पार्टी और घर से 6 साल तक के लिए निष्कासित कर दिया था. जिसके बाद तेज प्रताप ने अपनी अलग पार्टी का गठन किया और बिहार विधानसभा चुनाव 2025 भी लड़ा. तेज प्रताप ने महुआ से चुनाव लड़ा था, लेकिन वे जीत नहीं पाए थे. हाल ही में बहन रोहिणी के साथ हुए गंदे व्यवहार पर तेज प्रताप यादव भी भड़कते हुए नजर आए थे. इसके अलावा तेज प्रताप के चाचा साधु यादव ने भी रोहिणी का समर्थन किया था.
2 साल पहले बड़ी बहु को निकाला था परिवार से बाहर
दो साल पहले लालू यादव की बड़ी बहू और तेज प्रताप की तलाकशुदा पत्नी एश्वर्या राय को किसी विवाद के कारण परिवार से बाहर निकाल दिया गया था. एश्वर्या राय लालू प्रसाद के मंत्रिमंडल में पूर्व मंत्री चंद्रिका राय की बेटी हैं. फिलहाल आज के समय की बात करें तो लालू और रबड़ी देवी के साथ उनकी बड़ी बेटी मीसा यादव और तेजस्वी यादव ही पटना में रह रहे हैं.
साधु यादव को भी कर चुके थे पार्टी और परिवार से बाहर
एक समय जब रबड़ी देवी बिहार की सीएम हुआ करती थीं तो लालू यादव के साले साधु यादव की भी राजनीति में तूती बोलती थी. साल 1995 में लालू यादव ने अपने सामाजिक योगदान वाले कोटे से साधु यादव को विधान परिषद का सदस्य भी बना दिया था. साल 2000 में साधु यादव को लालू ने गोपालगंज से टिकट दिया था और वे जीतकर आरजेडी के विधायक भी बने थे. जब बिहार की राजनीति में लालू के साले साधु यादव को वर्चस्व बढ़ने लगा तो फिर से लालू परिवार में कलह बढ़ गया था, इसके रबड़ी देवी ने भी अपने भाईयों से नाता तोड़ लिया था और साधु यादव को पार्टी से भी बाहर निकाल दिया गया था.
वंशवाद की राजनीति तोड़ रही लालू परिवार!
लालू यादव पर कही न कही उनकी वंशवाद की राजनीति भारी पड़ती हुई दिखाई दे रही है. चारा घोटाले के दौरान भ्रष्टाचार के बढ़ते आरोपों के बीच, उन्होंने ही सबसे पहले अपनी पत्नी राबड़ी देवी को मुख्यमंत्री बनाया था, इस तरह उन्होंने एक ऐसी परंपरा की शुरुआत की जिसमें व्यक्तिगत निष्ठा और सार्वजनिक कर्तव्य का मेल था.
जब रबड़ी देवी बिहार की सीएम थीं तब आरजेडी की राजनीति में लालू यादव के 2 साले सुभाष और साधु भी दखल देने लगे थे. उस वक्त लालू के बच्चे काफी छोटे थे. लेकिन अब लालू की ये वंशवाद वाली राजनीति उनके परिवार में कलेश का कारण भी बनती हुई दिखाई दे रही है.





