शराबबंदी वाले राज्य में मोदी सरकार के मंत्री जी बता रहे शराब के फायदे, कहा - पीनी है तो ये...
बिहार में शराबबंदी हमेशा से बहस का बड़ा मुद्दा रही है. कभी सामाजिक सुधार के नाम पर, तो कभी राजनीतिक बयानों के कारण. हाल ही में केंद्रीय मंत्री और हिंदुस्तानी आवाम मोर्चा (हम) के संस्थापक जीतन राम मांझी ने इसे लेकर बिल्कुल अलग बयान दिया है, जिसके बाद वह दोबारा से चर्चा में हैं. दरअसल मंच पर उन्होंने शराब पीने का फायदा बताया है.
बिहार जैसे सख्त शराबबंदी वाले राज्य में जब कोई मंत्री खुले मंच से शराब के फायदे गिनाने लगे, तो विवाद उठना तय है. कुछ ऐसा ही हुआ जब केंद्रीय मंत्री और हम पार्टी के संस्थापक जीतन राम मांझी ने एक कार्यक्रम में दावा किया कि कुछ तरह की शराब पीने से नुकसान नहीं, बल्कि फायदा होता है.
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इतना ही नहीं, उन्होंने यह भी कहा कि मजदूर अगर मेहनत के बाद शराब पी लेते हैं, तो उन्हें पकड़कर जेल भेजना गलत है. मांझी के इस बयान ने बिहार की सियासत में हलचल मचा दी है, क्योंकि यह राज्य उन जगहों में शामिल है जहां शराबबंदी कानून सबसे कड़े रूप में लागू है.
शराब पीने से होता है फायदा
गया के एक कार्यक्रम में जीतन राम मांझी ने कुछ ऐसी बात कही, जिसे सुन सभी हैरान रह गए. उन्होंने अपने बयान में कहा कि 'उनके पिता ईख और महुआ से बनी शराब बनाते थे और इससे नुकसान नहीं, फायदा होता है.'
पुलिस पर उठाए सवाल
कार्यक्रम के दौरान जीतन राम मांझी ने पुलिस कार्रवाई पर सवाल उठाते हुए कहा कि 'हजारों गैलन शराब वाले तो छूट जाते हैं, और छोटे मजदूरों को पकड़कर जेल भेज दिया जाता है.' यह बयान सुनते ही राजनीतिक हलकों से लेकर गांवों तक चर्चा तेज हो गई.
शराबबंदी कानून की कर चुके हैं तारीफ
हाल ही में जीतन राम मांझी अपने बयान से पलट गए थे. जहां भोजपुर के बिहिया में एक कार्यक्रम में उन्होंने शराबबंदी कानून की तारीफ करते हुए कहा कि “यह अब तक का सबसे अच्छा कानून है.” उन्होंने अपने परिवार की एक पुरानी कहानी भी बताई कि कैसे शराब ने उनके घर में समस्याएं खड़ी की थीं और क्यों उन्होंने खुद शराब छोड़ने का फैसला लिया.
बिहार में शराबबंदी कानून
2016 में जब बिहार में शराबबंदी लागू हुई, तो सरकार का दावा था कि इससे घरेलू हिंसा कम होगी, अपराध घटेंगे और परिवार बचेंगे. कई जगह इसका असर दिखा भी. लेकिन इसके साथ ही कई चुनौतियां भी सामने आईं, तस्करी बढ़ी, पुलिस पर दुरुपयोग के आरोप लगे, हजारों गरीब मजदूर जेल भेजे गए, जबकि बड़े माफिया बच निकले.





