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क्या नकली वोटर ID दिखा रहे तेजस्वी यादव? बिहार के ही चुनाव अधिकारी ने खोल दी पोल!

बिहार में नेता प्रतिपक्ष तेजस्वी यादव पर निर्वाचन पंजीकरण अधिकारी ने फर्जी मतदाता पहचान पत्र दिखाने का आरोप लगाया है. तेजस्वी ने दावा किया था कि उनका नाम विशेष पुनरीक्षण के बाद मतदाता सूची से हटा दिया गया है और उन्होंने ईपीआईसी नंबर RAB2916120 मीडिया में प्रस्तुत किया. अधिकारी का कहना है कि उनका नाम किसी अन्य ईपीआईसी नंबर से दर्ज है और यह कार्ड “फर्जी प्रतीत होता है”.

क्या नकली वोटर ID दिखा रहे तेजस्वी यादव? बिहार के ही चुनाव अधिकारी ने खोल दी पोल!
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( Image Source:  ANI )
प्रवीण सिंह
Edited By: प्रवीण सिंह

Published on: 9 Aug 2025 12:40 PM

बिहार की राजनीति में तेजस्वी यादव के दो वोटर आईडी कार्ड रखने का मुद़दा अभी गर्म ही है. वहीं अब एक अधिकारी ने दावा कि है कि जो वोटरआईडी नंबर तेजस्वी दिखा रहे हैं वो फर्जी है. तेजस्वी के मतदाता फोटो पहचान पत्र (EPIC) पर निर्वाचन पंजीकरण अधिकारी ने “फर्जी प्रतीत होता है” का आरोप लगाया है. यह विवाद उस समय सामने आया जब चुनाव आयोग की ओर से मतदाता सूची के विशेष संवीक्षा पुनरीक्षण (SIR) की प्रक्रिया चल रही थी.

पिछले हफ्ते तेजस्वी ने प्रेस कॉन्फ्रेंस कर दावा किया था कि विशेष पुनरीक्षण के बाद जारी ड्राफ्ट मतदाता सूची में उनका नाम गायब है. उन्होंने अपनी ईपीआईसी संख्या (RAB2916120) मीडिया के सामने दिखाई और बताया कि इसी नंबर से उन्होंने चुनाव आयोग की वेबसाइट पर खोज की, लेकिन उनका नाम नहीं मिला. दीघा के निर्वाचन पंजीकरण अधिकारी का कहना है कि तेजस्वी का नाम एक अन्य ईपीआईसी नंबर से दर्ज है और उन्होंने जो कार्ड दिखाया है, वह रिकॉर्ड से मेल नहीं खाता. अधिकारी ने तीसरी बार नोटिस भेजते हुए कहा कि यह कार्ड “फर्जी प्रतीत होता है” और फर्जी सरकारी दस्तावेज बनाना व उपयोग करना अपराध है.

इस घटना ने सियासी तूफान खड़ा कर दिया है, RJD इसे राजनीतिक प्रताड़ना बता रही है, जबकि सत्ता पक्ष इसे कानून और पारदर्शिता का मुद्दा बता रहा है.

विवाद की पृष्ठभूमि

यह मामला चुनाव आयोग की ओर से चलाए जा रहे विशेष संवीक्षा पुनरीक्षण के दौरान सामने आया. यह प्रक्रिया मतदाता सूची को अपडेट करने, नए नाम जोड़ने और त्रुटियों को सुधारने के लिए होती है. 2 अगस्त को तेजस्वी यादव ने प्रेस कॉन्फ्रेंस में आरोप लगाया कि उनका नाम ड्राफ्ट मतदाता सूची से हटा दिया गया. उन्होंने ईपीआईसी नंबर RAB2916120 वाला कार्ड दिखाया और कहा कि इस नंबर से ऑनलाइन खोज करने पर भी उनका नाम नहीं मिल रहा. उन्होंने इसे मतदाता सूची में गड़बड़ी का सबूत बताया. लेकिन, दिघा विधानसभा क्षेत्र के निर्वाचन पंजीकरण अधिकारी ने कहा कि आधिकारिक रिकॉर्ड में तेजस्वी का नाम किसी अन्य ईपीआईसी नंबर से दर्ज है और उन्होंने जो कार्ड दिखाया, वह मेल नहीं खाता.

अधिकारियों का रुख

निर्वाचन पंजीकरण अधिकारी ने पहले नोटिस भेजकर तेजस्वी से कार्ड सत्यापन के लिए जमा करने को कहा। जब कोई जवाब नहीं मिला, तो दो और रिमाइंडर भेजे गए. तीसरे पत्र में साफ लिखा गया, “उपरोक्त तथ्यों से प्रतीत होता है कि प्रेस कॉन्फ्रेंस में प्रदर्शित ईपीआईसी नंबर RAB2916120 फर्जी है. फर्जी सरकारी दस्तावेज बनाना व उसका उपयोग करना कानूनी अपराध है.”

अधिकारी ने चेतावनी दी है कि यदि यह कार्ड वास्तव में फर्जी साबित हुआ, तो कानूनी कार्रवाई की जाएगी.

तेजस्वी यादव का पक्ष

तेजस्वी ने अब तक इस ताज़ा पत्र का सीधा जवाब नहीं दिया है, लेकिन पहले दिए गए बयानों में उन्होंने इसे राजनीतिक प्रतिशोध करार दिया है. उनका कहना है कि वे सिर्फ यह दिखाना चाहते थे कि मतदाता सूची में गड़बड़ी है और कई असली मतदाताओं के नाम हटा दिए गए हैं. राजद के करीबी सूत्रों का कहना है कि तेजस्वी का रिकॉर्ड पहले सही था, और अगर नंबर में कोई अंतर आया है तो वह प्रशासनिक गलती है, न कि जानबूझकर की गई धोखाधड़ी.

ईपीआईसी नंबर का महत्व

ईपीआईसी नंबर प्रत्येक मतदाता के पहचान पत्र का एक यूनिक कोड होता है. इसी के आधार पर किसी व्यक्ति का नाम चुनाव आयोग की सूची में खोजा जाता है. यदि कार्ड पर लिखा नंबर आयोग के रिकॉर्ड से मेल नहीं खाता, तो या तो यह प्रशासनिक त्रुटि है या दस्तावेज फर्जी है. इस मामले में अधिकारी का कहना है कि तेजस्वी का आधिकारिक रिकॉर्ड एक अलग ईपीआईसी नंबर से जुड़ा है, जिससे संदेह पैदा हुआ है.

मामला गर्म है...

यह विवाद ऐसे समय आया है जब 2025 के बिहार विधानसभा चुनाव करीब हैं. विपक्ष पहले से आरोप लगा रहा है कि विशेष पुनरीक्षण के दौरान मतदाता सूची में हेरफेर हो रही है. सत्ता पक्ष का कहना है कि यह कानून का मामला है और कोई भी व्यक्ति - चाहे नेता हो या आम नागरिक - फर्जी दस्तावेज नहीं रख सकता. विपक्ष का दावा है कि यह घटना चुनाव आयोग के राजनीतिक दबाव में काम करने का सबूत है.

कानूनी पहलू

  • अगर कार्ड फर्जी साबित हुआ तो तेजस्वी पर निम्न प्रावधानों के तहत कार्रवाई हो सकती है
  • जन प्रतिनिधित्व अधिनियम, 1950 की धारा 31 – मतदाता सूची में झूठा बयान देने पर दंड
  • भारतीय दंड संहिता की धारा 465, 468, 471 – जालसाजी और फर्जी दस्तावेज का उपयोग
  • धारा 420 IPC – धोखाधड़ी और छल

विपक्ष का पलटवार

विपक्षी दलों ने इसे राजनीतिक बदले की कार्रवाई बताते हुए कहा है कि इतने बड़े नेता को फर्जी कार्ड बनाने की जरूरत ही नहीं है. उनका आरोप है कि विशेष पुनरीक्षण के दौरान अल्पसंख्यक और विपक्ष समर्थक इलाकों में मतदाता सूची से नाम हटाए जा रहे हैं. इस विवाद का नतीजा न केवल तेजस्वी के लिए, बल्कि बिहार की चुनावी राजनीति के लिए भी अहम होगा, क्योंकि यह मुद्दा मतदाता सूची की पारदर्शिता और राजनीतिक प्रतिशोध दोनों से जुड़ गया है.

बिहार विधानसभा चुनाव 2025
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