बिहार में तेजस्वी VS चुनाव आयोग, 65 लाख वोटर लिस्ट आउट से सियासत घमासान! RJD ने EC से किए ये 10 सवाल
इस बड़े बदलाव पर राजद नेता और पूर्व उपमुख्यमंत्री तेजस्वी यादव ने कड़ा सवाल उठाया है. उन्होंने एक्स (पूर्व में ट्विटर) पर एक लंबा पोस्ट साझा करते हुए चुनाव आयोग से 10 बिंदुओं पर स्पष्टीकरण मांगा है. उन्होंने कहा कि यह लोकतंत्र के साथ अन्याय है और इसे किसी भी सूरत में स्वीकार नहीं किया जा सकता.

बिहार में आगामी विधानसभा चुनावों से पहले राजनीतिक माहौल गरमा गया है. चुनाव आयोग द्वारा जारी स्पेशल इंटेंसिव रिवीजन ड्राफ्ट वोटर लिस्ट में से 65 लाख से अधिक मतदाताओं के नाम हटा दिए गए हैं. इस सूची में कुल 7.24 करोड़ मतदाता शामिल हैं. हटाए गए नामों में अधिकांश वे लोग हैं जिन्हें मृत, स्थानांतरित या अनुपस्थित घोषित किया गया है.
इस बड़े बदलाव पर राजद नेता और पूर्व उपमुख्यमंत्री तेजस्वी यादव ने कड़ा सवाल उठाया है. उन्होंने एक्स (पूर्व में ट्विटर) पर एक लंबा पोस्ट साझा करते हुए चुनाव आयोग से 10 बिंदुओं पर स्पष्टीकरण मांगा है. उन्होंने कहा कि यह लोकतंत्र के साथ अन्याय है और इसे किसी भी सूरत में स्वीकार नहीं किया जा सकता.
तेजस्वी यादव ने उठाए यह 10 बड़े सवाल
1. विलोपन का आधार क्या है? 'चुनाव आयोग ने जिन 65 लाख मतदाताओं को मृत, स्थानांतरित या अनुपस्थित घोषित किया है, उसका आधार क्या है? मृतक मतदाताओं के परिजनों से कौन-सा दस्तावेज लिया गया?'
2. 36 लाख स्थानांतरित मतदाताओं की गिनती कैसे हुई? 'अगर अस्थायी पलायन को आधार मानते हुए नाम काटे गए हैं, तो यह आंकड़ा केंद्र सरकार के बिहार से बाहर जाने वाले 3 करोड़ श्रमिकों से भी मेल नहीं खाता.'
3. क्या इनकी भौतिक सत्यापन हुआ था? 'क्या इन मतदाताओं के घर BLO गया था? और क्या तीन बार जाना नियम अनुसार हुआ?
4. पावती दी गई या नहीं? क्या मतदाताओं को कोई acknowledgment slip या रसीद दी गई? पूरे बिहार में कितने लोगों को यह पावती मिली?'
5. नोटिस क्यों नहीं दिया गया? 'क्या नाम हटाने से पहले मतदाताओं को कोई नोटिस या सूचना दी गई?'
6. अपील का अवसर मिला?- क्या इन 65 लाख लोगों को नाम हटाने के खिलाफ अपील का अधिकार दिया गया?
7. क्या यह लक्ष्य आधारित कार्रवाई थी? जब न कोई जांच, न दस्तावेज, न पावती, न सूचना - तो क्या यह टारगेटेड कार्रवाई नहीं है?
8. कितने फॉर्म बिना दस्तावेज के जमा हुए? चुनाव आयोग यह बताए कि कितने फॉर्म बिना फोटो या आवश्यक दस्तावेजों के जमा हुए हैं?
9. क्या चुनाव आयोग पारदर्शी है? चुनाव आयोग को हर बिंदु पर जनता को पारदर्शी जानकारी देनी चाहिए.
10. लोकतंत्र को खत्म करने की साजिश? जब आप नाम काटने की प्रक्रिया में मूलभूत नियमों का पालन नहीं कर रहे तो यह लोकतंत्र खत्म करने की साजिश नहीं तो और क्या है?
विपक्ष का आरोप, आयोग कर रहा है पक्षपात
तेजस्वी यादव के अनुसार यह प्रक्रिया साफ़ तौर पर एकतरफा और पक्षपातपूर्ण प्रतीत होती है. उन्होंने कहा, 'जब आप इतने लोगों के घर गए नहीं, पावती आपने दी नहीं, नाम काटने से पहले नोटिस आपने दिया नहीं, तो इसका स्पष्ट मतलब है आप टारगेटेड काम कर रहे हैं और लोकतंत्र को खत्म कर रहे हैं. विपक्ष ने चुनाव आयोग से यह भी मांग की है कि वह पूरी प्रक्रिया पर पुनर्विचार करे और निष्पक्षता बनाए रखे, ताकि सभी योग्य मतदाताओं को चुनाव में भागीदारी का अधिकार मिल सके.
इसके साथ ही चुनाव आयोग से सवालों के अतिरिक्त हमारी प्रमुख मांगें भी है, जिसमें
1. निर्वाचन आयोग तत्काल उन सभी मतदाताओं की सूची कारण सहित बूथवार उपलब्ध कराए जिनका नाम ड्राफ्ट मतदाता सूची में नहीं है.
2. मृतक, शिफ्टेड, रिपीटेड और अनट्रेसेबल मतदाताओं की विधानसभा वार, बूथ वार श्रेणीबद्ध सूची सार्वजनिक की जाए.
3. जब तक यह पारदर्शिता बहाल नहीं होती, तब तक ड्राफ्ट मतदाता सूची पर आपत्ति दर्ज करने की अंतिम तिथि बढ़ाई जाए. चुनाव आयोग ने इसके लिए केवल 7 दिन का समय दिया है.
4. हमारा विनम्र आग्रह है कि सर्वोच्च न्यायालय को इस विषय पर स्वतः संज्ञान लेकर निर्वाचन आयोग से विस्तृत स्पष्टीकरण लेना चाहिए.
लोकतंत्र में हर मतदाता की उपस्थिति और अधिकार की गारंटी सर्वोपरि है. यदि मतदाता सूची से नाम हटाए जा रहे हैं और उसके पीछे का कारण छुपाया जा रहा है, तो यह गंभीर लोकतांत्रिक संकट है और जनता के मताधिकार पर सीधा हमला है. SIR 2025 एक संविधान विरोधी प्रयोग बनता जा रहा है. यह ना सिर्फ मतदाताओं को हतोत्साहित करता है, बल्कि चुनाव की निष्पक्षता पर भी सवाल खड़ा करता है. राजद इस षड्यंत्र का सक्रिय विरोध करेगा और हर मंच पर जनता के लोकतांत्रिक अधिकारों की रक्षा करेगा.