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क्या NDA में All is Well? बिहार चुनाव से पहले उपेंद्र कुशवाहा और जीतन मांझी का बगावती सुर! BJP के 'चिराग प्लान' से बढ़ी टेंशन

बिहार NDA में सबकुछ ठीक नहीं चल रहा है. चुनावी माहौल के बीच एक बार फिर से भीतरघात और असंतोष के सुर तेज हो गए हैं. राष्ट्रीय लोक समता पार्टी (RLM) के प्रमुख और पूर्व केंद्रीय मंत्री उपेंद्र कुशवाहा तथा हिंदुस्तानी आवाम मोर्चा (HAM) के अध्यक्ष जीतन राम मांझी ने खुलकर नाराजगी जाहिर की है. टाइम्स ऑफ इंडिया में छपी रिपोर्ट के मुताबिक, दोनों ही दलों ने सीट बंटवारे को लेकर असहमति जताई है.

क्या NDA में All is Well? बिहार चुनाव से पहले उपेंद्र कुशवाहा और जीतन मांझी का बगावती सुर! BJP के चिराग प्लान से बढ़ी टेंशन
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( Image Source:  ANI )
सागर द्विवेदी
By: सागर द्विवेदी

Updated on: 15 Oct 2025 11:35 PM IST

बिहार NDA में सबकुछ ठीक नहीं चल रहा है. चुनावी माहौल के बीच एक बार फिर से भीतरघात और असंतोष के सुर तेज हो गए हैं. राष्ट्रीय लोक समता पार्टी (RLM) के प्रमुख और पूर्व केंद्रीय मंत्री उपेंद्र कुशवाहा तथा हिंदुस्तानी आवाम मोर्चा (HAM) के अध्यक्ष जीतन राम मांझी ने खुलकर नाराजगी जाहिर की है. टाइम्स ऑफ इंडिया में छपी रिपोर्ट के मुताबिक, दोनों ही दलों ने सीट बंटवारे को लेकर असहमति जताई है.

दरअसल, विवाद की जड़ है. वैशाली जिले की महुआ विधानसभा सीट, जो चिराग पासवान की पार्टी LJP (राम विलास) को दी गई है. सूत्रों के मुताबिक, उपेंद्र कुशवाहा इससे बेहद नाराज हैं और इसे लेकर दिल्ली में गृह मंत्री अमित शाह और भाजपा अध्यक्ष जेपी नड्डा से मुलाकात भी कर चुके हैं.

NDA में दरार की गूंज-सहयोगी दलों का असंतोष बढ़ा

उपेंद्र कुशवाहा अकेले नहीं हैं जिन्होंने नाराजगी जताई है. NDA के एक और अहम घटक और केंद्रीय मंत्री जीतन राम मांझी ने भी दो सीटों — बोधगया और मखदुमपुर — पर अपनी पार्टी के उम्मीदवार उतारने का ऐलान कर दिया है. दोनों दलों को छह-छह सीटें दी गई हैं, जबकि चिराग पासवान की एलजेपी (राम विलास) को 29 सीटें मिली हैं. यही सबसे बड़ा विवाद का कारण बना है, क्योंकि पिछली विधानसभा चुनाव में चिराग की पार्टी का प्रदर्शन बेहद कमजोर था.

चिराग पासवान को क्यों मिला बड़ा हिस्सा?

2020 के बिहार विधानसभा चुनाव में LJP (राम विलास) ने NDA छोड़कर अकेले सभी 243 सीटों पर चुनाव लड़ा था, लेकिन सिर्फ एक सीट जीत सकी. बावजूद इसके, उसने जेडीयू को काफी नुकसान पहुंचाया और भाजपा को मजबूत स्थिति में ला दिया. राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि यही वजह है कि भाजपा ने चिराग को इस बार 29 सीटें देकर ‘इनाम’ दिया है. 2024 लोकसभा चुनाव में एलजेपी को 5 सीटें दी गई थीं और उसने सभी सीटों पर जीत दर्ज की थी. यानी 100% स्ट्राइक रेट. भाजपा अब उसी प्रदर्शन को राज्य चुनावों में भुनाने की कोशिश कर रही है.

BJP का ‘चिराग प्लान’ क्या है?

राजनीतिक विश्लेषक कुमार विजय का कहना है कि चिराग पासवान भाजपा की बड़ी चुनावी रणनीति का हिस्सा हैं. उन्होंने कहा, “NDA में वास्तविक सीट बंटवारा 130 सीटें भाजपा और 113 सीटें नीतीश कुमार की जेडीयू के हिस्से में हैं. भाजपा ने जानबूझकर चिराग पासवान को 29 सीटें दी हैं ताकि चुनाव के बाद उनके नंबरों का इस्तेमाल नीतीश कुमार को मुख्यमंत्री पद की दौड़ से बाहर करने में किया जा सके.”

विजय आगे कहते हैं, “भाजपा को चाहिए था कि वह पहले सभी सहयोगियों को खुश रखती और चुनाव बाद स्थिति को संभालती. अभी बिहार भाजपा में राजनीतिक अनुभवहीन लोग बड़े फैसले ले रहे हैं, जिससे पूरा समीकरण गड़बड़ा गया है.”

BJP की 'डैमेज कंट्रोल' कोशिशें

भाजपा ने इस विवाद को शांत करने की कोशिशें शुरू कर दी हैं. उपेंद्र कुशवाहा को तुरंत दिल्ली बुलाया गया, जहां उन्होंने गृह मंत्री अमित शाह से मुलाकात की. मुलाकात के बाद कुशवाहा ने कहा, “हमने गृह मंत्री से मुलाकात की और सारी बातें रखीं. बातचीत के बाद अब कोई भ्रम नहीं है. NDA पूरी तरह एकजुट है और बिहार में NDA की सरकार ही बनेगी.”

नीतीश कुमार पर मंडरा रहा नया संकट

भाजपा के लिए फिलहाल सबसे बड़ी चिंता नीतीश कुमार बन गए हैं. रिपोर्ट्स के मुताबिक, नीतीश सीट बंटवारे और एलजेपी को मिली बड़ी हिस्सेदारी से खुश नहीं हैं. जेडीयू के कई वरिष्ठ नेताओं ने खुले तौर पर नाराजगी जताई है. कोई इस्तीफा दे रहा है, तो कोई धरना दे रहा है. पार्टी अब दो खेमों में बंट गई है. एक जो भाजपा के साथ रहना चाहता है और दूसरा जो भाजपा के अधीन रहने से नाराज है. अब देखना दिलचस्प होगा कि आने वाले दिनों में नीतीश कुमार भाजपा के “चिराग प्लान” पर कैसी प्रतिक्रिया देते हैं.

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