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CM की कुर्सी नहीं चाहिए, तो फिर मंच क्यों तैयार कर रहे हैं PK? बोले- बिहार को ऐसा बना दूंगा कि...

प्रशांत किशोर ने साफ किया कि वे मुख्यमंत्री बनने की दौड़ में नहीं हैं, बल्कि बिहार को बदलने के सपने के लिए मेहनत कर रहे हैं. उन्होंने कहा कि विकास तब मानेंगे जब हरियाणा-पंजाब के लोग बिहार में काम ढूंढने आएंगे. जन सुराज पार्टी ने पूर्व बीजेपी सांसद उदय सिंह को अध्यक्ष बनाकर चुनावी मैदान में बड़ी रणनीतिक चाल चली है.

CM की कुर्सी नहीं चाहिए, तो फिर मंच क्यों तैयार कर रहे हैं PK? बोले- बिहार को ऐसा बना दूंगा कि...
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नवनीत कुमार
Edited By: नवनीत कुमार

Published on: 22 May 2025 7:19 AM

बिहार में विधानसभा चुनाव को लेकर जन सुराज पार्टी अपना जनाधार मजबूत करने के लिए जोर लगा रही है. पार्टी के संस्थापक प्रशांत किशोर ने सारण में साफ कहा कि उनकी दौड़ सत्ता के लिए नहीं, बल्कि एक बड़े निजी सपने के लिए है. उन्होंने याद दिलाया कि वह पहले ही दस मुख्यमंत्रियों को जिताने में मदद कर चुके हैं, इसलिए पद का लोभ शेष नहीं है.

किशोर का दावा है कि उनकी मेहनत का असली लक्ष्य उस दिन पूरा होगा जब रोजगार की तलाश में पंजाब और हरियाणा के लोग बिहार आएंगे. उनके अनुसार वही क्षण राज्य के सच्चे विकास का प्रमाण होगा. इस नई परिभाषा से उन्होंने राजनीतिक विमर्श का केंद्र ही पलट दिया है.

पलायन की दिशा बदलने से होगा विकास

किशोर का तर्क है कि विकास आंकड़ों से नहीं, पलायन की दिशा बदलने से मापा जाना चाहिए. आज बिहार के युवक मजदूरी के लिए उत्तर भारत के राज्यों में जाते हैं, लेकिन वे चाहते हैं कि कल वही मजदूर बिहार की ओर लौटें. इस विज़न में शिक्षा, उद्योग और कृषि का एकीकृत मॉडल शामिल है. वह मानते हैं कि जब बाहरी श्रमिक यहां स्थायी रोज़गार पाएंगे, तभी स्थानीय युवाओं का आत्मविश्वास लौटेगा. इस सोच ने रोजगार बहस को एक नया कोण दिया है.

जन सुराज में पप्पू सिंह की एंट्री

आगामी विधानसभा चुनाव से पहले पूर्व भाजपा सांसद उदय उर्फ पप्पू सिंह को जन सुराज का राष्ट्रीय अध्यक्ष बनाया गया. इस नियुक्ति ने पार्टी को अचानक व्यापक ग्रामीण समर्थन का चेहरा दे दिया है. पप्पू सिंह ने संगठन की जिम्मेदारी संभालते ही ‘सुशासन लाने’ का मंत्र दुहराया. उन्होंने कहा कि वह गांव‑गांव घूमकर लोगों की सुनेंगे और स्थानीय मुद्दों को प्राथमिकता देंगे. इससे पार्टी की छवि सिर्फ प्रशांत किशोर‑केंद्रित न रहकर सामूहिक नेतृत्व वाली हो गई है.

घर‑घर विकास का संदेश

पार्टी की अगली योजना घर‑घर दस्तक देकर रोजगार, शिक्षा और स्वास्थ्य पर ठोस रोडमैप समझाना है. किशोर और सिंह दोनों मानते हैं कि सोशल मीडिया अभियान के साथ जमीनी संवाद जरूरी है. कार्यकर्ताओं को गांव स्तर पर ‘विकास संवाद मंडल’ बनाने का निर्देश दिया गया है. यह मंडल स्थानीय समस्या का फटाफट समाधान सुझाने की प्रयोगशाला बनेगा. रणनीति का लक्ष्य प्रचार नहीं, भागीदारी को बढ़ाना है.

किशोर का बिहार विज़न 2.0

किशोर का विश्वास है कि पप्पू सिंह का संसदीय अनुभव और उनका चुनावी प्रबंधन, मिलकर जन सुराज को वैकल्पिक शक्ति में बदलेंगे. वे कहते हैं कि यह मंच सिर्फ चुनावी वाहन नहीं, बल्कि नीति‑निर्माण की खुली प्रयोगशाला होगा. उनका दावा है कि पार्टी को आगे ले जाने का असली मकसद पूरे बिहार को उठाना है, न कि सत्ता बदलना भर. इस ‘विजन 2.0’ में पद महत्त्वहीन और परिणाम सर्वोपरि हैं. अब देखना यह है कि यह नई परिभाषा वोटर को कितना आकर्षित कर पाती है.

चेंज ला पाएंगे पीके?

क्या वाकई बिहार की राजनीति अब पद की नहीं, परिवर्तन की होड़ बन चुकी है? प्रशांत किशोर जब यह कहते हैं कि उन्हें मुख्यमंत्री नहीं बनना, बल्कि बिहार को उस मुकाम पर पहुंचाना है, जहां पंजाब और हरियाणा के लोग काम मांगने आएं. तो क्या यह एक ईमानदार विकास दृष्टि है या जनता की भावनाओं को छूने की रणनीति? क्या जन सुराज वाकई एक वैकल्पिक राजनीतिक मॉडल बन पाएगा या यह भी पारंपरिक राजनीति की नई पैकिंग भर है?

बिहार विधानसभा चुनाव 2025
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