बिहार में 1951 से 2020 तक विधानसभा चुनाव के कैसे रहे नतीजे, कब किसका रहा दबदबा, जानें पूरा इतिहास
Bihar Assembly Election 2025: बिहार के चुनावी इतिहास में नीतीश कुमार नौ बार मुख्यमंत्री बन चुके हैं. साल 2025 में भी चुनाव जीतने के बाद उनकी ख्वाहिश सीएम बनने की है. हालांकि, अभी चुनावी माहौल को लेकर स्थिति स्पष्ट नहीं है, लेकिन इतना तय है कि इस बार भी मुख्य मुकाबला एनडीए और इंडिया गठबंधन के बीच ही है.

Bihar Vidhansabha Chunav 2025: बिहार में 18वीं विधानसभा के गठन के लिए अक्टूबर-नवंबर 2025 में चुनाव होगा. चुनाव आयोग द्वारा सितंबर में तारीखों के एलान की संभावना है. हर बार की तरह आगामी चुनाव में मुख्य मुकाबला एनडीए गठबंधन और महागठबंधन के बीच तय है. इस बार बिहार में सत्ता की बागडोर किसके हाथ में जाएगा, आजादी के बाद से अब तक बिहार में चुनावों का कैसा रहा इतिहास, प्रदेश की जनता ने कब, किस पार्टी के हाथों में सौंपी सत्ता की चाबी, जानें सब कुछ.
देश को आजादी मिलने के चार साल बाद यानी 1951 से लेकर अब तक बिहार में 17 बार विधानसभा चुनाव हो चुके हैं. फरवरी 2005 में हुए चुनाव में सरकार नहीं बन पाने के कारण अक्टूबर में फिर से चुनाव आयोजित कराने पड़े थे.
बिहार के किस गठबंधन में कौन?
एनडीए और महागठबंधन (इंडिया गठबंधन-) में बिहार की अधिकतर पार्टियों का गठजोड़ है. एनडीए में जहां बीजेपी, जेडीयू एलजे रामविलास, हिंदुस्तानी आवाम मोर्चा और राष्ट्रीय लोक मोर्चा को मिलाकर पांच दल शामिल हैं. महागठबंधन में राष्ट्रीय जनता दल, कांग्रेस, विकासशील इंसान पार्टी के अतिरिक्त तीन वामपंथी दल- सीपीआईएमएल, सीपीएम और सीपीआई शामिल है. एलजेपी पारस का गुट भी इस बार महागठबंधन के साथ चुनाव लड़ने की इच्छा जता चुका है.
इसके अलावा प्रशांत किशोर की जान सुराज पार्टी, असदुद्दीन ओवैसी की एआईएमआईएम और शिवदीप लांडे की जय हिंद सेना भी चुनाव जंग है.
बिहार विधानसभा चुनाव का इतिहास
1951, 1957 और 1962 के चुनाव
आजादी के बाद पहली बार हुए 1951 के चुनाव में कई पार्टियों ने भाग लिया, लेकिन कांग्रेस ही उस समय सबसे बड़ी पार्टी थी. कांग्रेस को 322 में से 239 सीटें मिली थीं. 1957 के चुनाव में भी कांग्रेस ही सबसे बड़ी पार्टी बनी. उसे 312 में से 210 सीटें मिली थी. 1962 के चुनाव में कांग्रेस को 185 सीटों के साथ बहुमत मिली थी. उसके बाद स्वतंत्र पार्टी को सबसे ज्यादा 50 सीटें मिली थी.
बिहार विधानसभा चुनाव 1967
बिहार विधानसभा चुनाव 1967 में कांग्रेस को 128, एसएसपी को 68 और जन क्रांति दल को 13 सीटें मिली थीं. भारतीय जनसंघ 26 सीटें जीतने में कामयाब हुईं थी. तीनों बड़े दलों के थोड़े-थोड़े समय के लिए 3 सीएम बने.
बिहार विधानसभा चुनाव 1969
साल 1969 के चुनाव में बिहार में इंडियन नेशनल कांग्रेस 118 सीटें मिलीं और भारतीय जनसंघ को 34 सीटें हासिल हुईं. एसएसपी को 52 और कम्युनिस्ट पार्टी ऑफ इंडिया को 25 सीटें मिली थी. राष्ट्रपति शासन के बाद दारोगा प्रसाद राय, कर्पूरी ठाकुर और भोला पासवान शास्त्री कुछ-कुछ समय के लिए मुख्यमंत्री बने.
बिहार विधानसभा चुनाव 1972
बिहार विधानसभा चुनाव 1972 में कांग्रेस को 167, कांग्रेस ओ को 30, भारतीय जनसंघ को 25 और संयुक्त सोशलिस्ट पार्टी (एसएसपी) को 33 सीटें मिली थीं. इस कार्यकाल में भी लगभग दो महीने राष्ट्रपति शासन लगा रहा और उसके बाद एक या दो साल के लिए केदार पांडे, अब्दुल गफूर और जगन्नाथ मिश्रा बिहार के मुख्यमंत्री रहे.
बिहार विधानसभा चुनाव 1977
देश भर में इमरजेंसी के बाद संपन्न चुनाव में पहली बार बिहार की जनता ने कांग्रेस को सत्ता से बेदखल करने का काम किया. जनता पार्टी ने बिहार की 214 सीटों पर जीत हासिल की. कांग्रेस को केवल 57 सीटों पर संतोष करना पड़ा था. कम्युनिस्ट पार्टी ऑफ इंडिया ने 21 सीटें हासिल की थीं. चुनाव परिणाम आने के बाद पहली बार बिहार में जनता पार्टी की सरकार बनी. पहले लगभग दो महीने राष्ट्रपति शासन लागू रहा. उसके बाद लगभग एक साल के लिए 1979 तक कर्पूरी ठाकुर और फिर 1980 तक रामसुंदर दास बिहार के मुख्यमंत्री बने.
बिहार विधानसभा चुनाव 1980
बिहार विधानसभा चुनाव 1980 में कांग्रेस इंदिरा को 169, कांग्रेस-यू को 14, बीजेपी को 21 और कम्युनिस्ट पार्टी ऑफ इंडिया ने 23 सीटों पर जीत हासिल की थी. जनता पार्टी एससी को 42 सीटें मिली थीं. कांग्रेस इंदिरा को बहुमत मिलने के बाद भी लगभग चार महीने तक राष्ट्रपति शासन लागू रहा. उसके बाद करीब तीन साल के लिए जगन्नाथ मिश्र और एक साल के लिए चंद्रशेखर सिंह बिहार के मुख्यमंत्री बने.
बिहार विधानसभा चुनाव 1985
बिहार विधानसभा चुनाव में कांग्रेस 196 सीटें मिली थीं जो बहुमत से कहीं ज्यादा थी. इसके बावजूद बिहार में एक ही कार्यकाल में 4 मुख्यमंत्री बने थे. इसके अलावा, कांग्रेस यू को 14, लोक दल को 46 और बीजेपी 16 सीटें मिली थीं. जनता पार्टी को 13 सीटें मिली थीं.
बिहार विधानसभा चुनाव 1990
साल 1990 में हुए चुनाव में 1988 में कई दलों के विलय से बने जनता दल ने पहली बार बिहार में चुनाव लड़ा था. 122 सीटें जीतकर और जनता पार्टी सबसे बड़ी पार्टी बनकर उभरी थी. कांग्रेस 71 और बीजेपी को 39 सीटों हासिल हुई थी. कम्युनिस्ट पार्टी ऑफ इंडिया ने 23 और जेएमएम 19 सीटें जीत पाई थी. तब लालू यादव के नेतृत्व में जनता दल की सरकार बनी थी.
बिहार विधानसभा चुनाव 1995
बिहार विधानसभा चुनाव 1995 में लालू प्रसाद यादव के नेतृत्व में जनता दल ने 167 सीटें जीतने में सफल हुई थी. बीजेपी 41 सीट, कांग्रेस 29 सीटें जीतने में कामयाब हुई थी. जेएमएम ने चुनावों में 10 सीटें जीती थीं और समता पार्टी को सात सीटें मिली थीं. चुनाव बाद लालू यादव बिहार के मुख्यमंत्री बने थे.
बिहार विधानसभा चुनाव 2000
बिहार में साल 2000 का चुनाव संयुक्त बिहार का अंतिम चुनाव था. उस समय बिहार में 324 सीटें हुआ करती थीं. सरकार बनाने के लिए 162 सीटों की जरूरत होती थी. आरजेडी 124, बीजेपी 67, समता पार्टी 34 और कांग्रेस 23 सीट पर चुनाव जीतने में कामयाब हुई थी. चुनाव परिणाम आने के बाद 2000 के चुनाव में राबड़ी देवी मुख्यमंत्री बनी थीं.
बिहार विधानसभा चुनाव 2005
साल 2005 में एक ही साल के अंदर दो बार विधानसभा चुनाव कराने पड़े थे. फरवरी 2005 में हुए इन चुनावों में राबड़ी देवी के नेतृत्व में आरजेडी ने ने 215 सीटों पर चुनाव लड़ा, जिसमें से उसे 75 सीटें मिल पाईं. जेडीयू 55 सीटें जीतीं और बीजेपी 37 सीटों के साथ विधानसभा में पहुंची थी. साल 2005 में कांग्रेस 10 सीटें ही जीत पाई थी. किसी भी दल को 122 सीटों का स्पष्ट बहुमत ना मिल पाने के कारण कोई भी सरकार नहीं बन पाई. कुछ महीनों तक राष्ट्रपति शासन के बाद अक्टूबर-नवंबर 2005 में फिर से विधानसभा चुनाव संपन्न हुए थे. दोबारा हुए चुनाव में जेडीयू 88, बीजेपी 55, आरजेडी 54, लोजपा 10 और कांग्रेस 9 सीटें ही जीत पाई. नीतीश कुमार ने पहली बार बीजेपी के साथ मिलकर सरकार बनाई.
बिहार विधानसभा चुनाव 2010
बिहार विधानसभा चुनाव 2010 में नीतीश कुमार की जेडीयू सबसे बड़ी पार्टी बनकर उभरी थी. यह चुनाव एनडीए गठबंधन में जेडीयू और बीजेपी ने मिलकर चुनाव लड़ा था. आरजेडी और लोक जनशक्ति पार्टी का गठबंधन था. जेडीयू 115 और बीजेपी ने 91 सीटें जीतने में कामयाब हुई थीं. आरजेडी केवल 22 सीटें जीती थीं. लोजपा के खाते में 3 और कांग्रेस ने चार सीटों पर जीत हासिल की थी ही मिली थीं. इस बार भी नीतीश कुमार बिहार के सीएम बने.
बिहार विधानसभा चुनाव 2015
अक्टूबर-नवंबर 2015 में हुए चुनावों में सत्ताधारी जेडीयू, आरजेडी, कांग्रेस, जनता दल, समाजवादी पार्टी, एनसीपी, और समाजवादी जनता पार्टी (राष्ट्रीय) ने महागठबंधन बनाकर चुनाव लड़ा था. बीजेपी लोक जनशक्ति पार्टी, राष्ट्रीय लोक समता पार्टी और हिंदुस्तानी अवाम मोर्चा के साथ चुनावी मैदान में कदम रखा था. कुल 243 सीटों पर हुआ था जिसमें सरकार बनाने के लिए 122 सीटों की जरूरत थी.
आरजेडी 80 सीटों के साथ सबसे बड़ी पार्टी बनकर उभरी थी. जेडीयू को 71 सीटें और बीजेपी को 53 सीटें मिली थीं. कांग्रेस को 27 सीटें मिली थीं. चुनाव परिणाम आने के बाद महागठबंधन की सरकार बनी और नीतीश कुमार सीएम बने. साल 2017 में जेडीयू महागठबंधन से अलग हो गई और नीतीश कुमार ने बीजेपी के साथ मिलकर सरकार बनाई.
बिहार विधानसभा चुनाव 2020
बिहार विधानसभा चुनाव में बीजेपी को 74, जेडीयू को 43, आरजेडी को 75, कांग्रेस को 19, सीपीआई एमएल के 12, एआईएमआईएम के 5 उम्मीदवार, सीपीआई 2, सीपीएम 2, बसपा 1, हम 4, लोक जनशक्ति पार्टी 1, विकासशील इंसान पार्टी 4 सीटें जीतने में कामयाब हुई थी.