बिहार में चुनाव कौन हारेगा और कौन जीतेगा, इसका फैसला लेता था AK-47 रखने वाला बाहुबली अशोक सम्राट - अनसुनी कहानी
बिहार में एक शख्स एके 47 के साथ तस्वीर वायरल हुई, हालांकि वो राइफल नकली निकली, लेकिन एक समय था जब बिहार में पहली बार एके 47 की तड़तड़ाहट सुनाई दी थी. तब अशोक सम्राट नाम का एक बाहुबली बिहार में पहली बार एके 47 लेकर आया था. उसने अपराध को अंजाम देने के लिए इसका इस्तेमाल किया. बाद में उसका असर बिहार की चुनावी राजनीति पर दिखा.

बिहार में चुनावी सरगर्मी का दौरा जारी है. ऐसे में बात बिहार के बाहुबलियों की न हो, यह कैसे हो सकता है. ऐसा इसलिए कि एक दौर था जब बाहुबली ही यह तय करते थे कि कौन किस सीट से चुनाव लड़ेगा और जीतेगा? ऐसे ही बाहुबली में सबसे खतरनाक बाहुबली था अशोक शर्मा उर्फ अशोक सम्राट. अशोक सम्राट के बारे में कहा जाता है कि उसने अपने खौफ को बरकरार रखने के लिए उस समय एके-47 राइफल का इस्तेमाल शुरू कर दिया था, जब बिहार पुलिस एके 47 के बारे में कुछ जानती भी नहीं थी.
कहा तो यहां तक जाता है कि अशोक सम्राट का नाम सुनकर पुलिस वाले रास्ता बदल लेते थे. हालांकि, बाहुबली रामाधार शर्मा डायमंड उससे बड़े बाहुबली थे, जो मध्य बिहार ने अपनी सेना बनाए हुए थे, लेकिन वे सुर्खियों में कभी नहीं रहे.
खास बात यह है कि अशोक सम्राट, सांसद सूरजभान सिंह, पूर्व विधायक मुन्ना शुक्ला, राजन तिवारी, प्रभुनाथ सिंह जैसे लोग 1990 के दशक के बाद किसी को जिताने के बदले खुद ही सफेदपोश बन गए तो कईयों का जीवन अपने खादीधारी आका के लिए बूथ कैप्चरिंग में ही निकल गया. अशोक सम्राट उन्हीं में से एक थे. आज हम उस बाहुबली की बात करेंगे जो बिहार में पहली बार एके47 जैसा हथियार लेकर आया और अपराध को अंजाम देने में उसका इस्तेमाल किया. वह ऐसा कुख्यात बाहुबली था जिसकी एक तस्वीर तक बिहार पुलिस के पास नहीं थी. जी हां! आप में से कुछ लोग समझ चुके होंगे कि उस बाहुबली का नाम है 'अशोक सम्राट'.
इन इलाकों में चलती थी अशोक की दादागिरी
अशोक सम्राट की हनक के पीछे राजनीतिक ताकत भी थी. कहा जाता है कि अशोक सम्राट का उस दौर के मंत्री और लालू प्रसाद यादव के करीबी रहे बृजबिहारी प्रसाद से काफी अच्छे रिश्ते थे. अशोक सम्राट बेगुसराय, बरौनी, मोकामा, मुजफ्फरपुर, वैशाली, लखीसराय, शेखपुरा और इसके आसपास के इलाकों में तय करता था कि चुनाव में किस उम्मीदवार को जिताना है. उसके गुंडे बूथ कैप्चरिंग से लेकर लोगों को डरा धमकाकर वोट दिलाने का काम करते थे.
बाहुबली को हासिल था बृजबिहारी प्रसाद का संरक्षण
अशोक सम्राट से नजदीकी के चलते ही आरजेडी नेता बृजबिहारी प्रसाद की पटना में हत्या हुई थी. माना जाता है कि उनकी हत्या यूपी के कुख्यात श्रीप्रकाश शुक्ला ने की थी. इस हत्याकांड में पूर्व सांसद सूरजभान सिंह, पूर्व विधायक मुन्ना शुक्ला, राजन तिवारी समेत कई लोग आरोपी बनाए गए लेकिन बाद में सभी बरी हो गए.
एक दौर में अशोक सम्राट की ताकत इतनी बढ़ गई थी कि वह सरकार और प्रशासन को चुनौती देने लगा था. उस दौर में लालू प्रसाद यादव नए-नए सत्ता पर काबिज हुए थे. माना जाता है कि प्रशासन को अपने पीछे देख अशोक सम्राट ने खादी पहनने की चाहत पाल ली थी. आनंद मोहन की पार्टी से उसका टिकट भी पक्का हो गया था, लेकिन उसका मंसूबा पूरा हो पाता, उससे पहले ही वह पुलिस की गोली का शिकार हो गया.
अशोक को ढेर कर इंस्पेक्टर शशिभूषण बन गए DSP
अशोक सम्राट का एनकाउंटर बिहार पुलिस के अफसर शशि भूषण शर्मा ने की थी. एनकाउंटर स्पेशलिस्ट शशिभूषण शर्मा ने पूरी नौकरी में करीब 35 लोगों को ठिकाने लगाया है. इस लिस्ट में सबसे कुख्यात अशोक सम्राट भी शामिल है. अशोक सम्राट के एनकाउंटर का वाक्या भी काफी दिलचस्प है. बताया जाता है कि 5 मई 1995 को अशोक सम्राट का एनकाउंटर हाजीपुर में हुआ था. उस दौर में शशिभूषण शर्मा वहां के इंस्पेक्टर इंचार्ज थे.
बिहार पुलिस को सूचना मिली थी कि सोनपुर रेलवे में टेंडर होने वाला है, जिसमें अशोक सम्राट आने वाला है। ये पुष्ट नहीं था कि वह अशोक सम्राट ही है. सूचना के आधार पर 5 पुलिसकर्मी अपराधियों के ठिकाने का पता लगाने के लिए गश्त पर थे. इसी दौरान दिन में करीब एक बजे लक्ष्मणदास मठ के पास एक गाड़ी में एक शख्स राइफल लेकर बैठा दिखा. इसके बाद पुलिस ने अपनी जीप उस गाड़ी के सामने लगा दी. ऐसा होते ही गाड़ी से 5-6 लोग निकले और फायरिंग शुरू कर दी. अपराधियों के पास AK47 था जबकि पुलिस के पास पिस्टल और 3नॉट3 बंदूक थी.
पुलिस की जवाबी कार्रवाई के बाद अपराधी गाड़ी में दोबारा सवार हो गए और भागने की कोशिश करने लगे. पुलिस वालों ने फायरिंग जारी रखा. पुलिस को देख गांव वाले भी अशोक सम्राट और उसके लोगों का पीछा करने लगे. अशोक सम्राट और उसके लोगों की ओर से गोलियां चलाने की वजह से कई ग्रामीण भी घायल हो गए, जिसमें से एक की बाद में मौत हो गई. गोलीबारी शांत होने के बाद पुलिस ने अशोक सम्राट के मौत की पुष्टि की. इस एनकाउंटर के बाद अशोक सम्राट के पास से दो AK47 और भारी मात्रा में गोलियां बरामद की गई. इस तरह खाकी और खादी के कॉकटेल अशोक सम्राट का खात्मा हो गया. अशोक सम्राट के एनकाउंटर से पहले शर्मा नौ साल तक सस्पेंड रहे थे. अशोक सम्राट एनकाउंटर के बाद उन्हें आउट ऑफ टर्म प्रमोशन मिला. शर्मा को प्रेसिडेंट मेडल तक से नवाजा गया. वह डीएसपी बना दिए गए.
मीडिया फ्रेंडली था बाहुबली अशोक
अशोक सम्राट के बारे में पटना के वरिष्ठ पत्रकार अरुण अशेष का कहना है कि बाहुबली अशोक सम्राट काफी असर रखते थे, लेकिन कुछ बाहुबली उनसे भी खतरानाक थे, जिनकी चर्चा नहीं हुई. अशोक सम्राट की खासियत यह थी वो मीडिया फ्रेंडली थे. सारा मामला यह है कि कांग्रेस के दौरान के बाहुबलियों को इस्तेमाल चुनाव जीतने के लिए किया जाता था. बाद में बाहुबलियों ने सोचा कि वे खुद ही क्यों न माननीय बन जाएं. उसके बाद बिहार में राजनीति का अपराधीकरण शुरू हुआ है. बिहार में बाहुबलियों का दबदबा उसी सोच का परिणाम है.