बिहार के समस्तीपुर जिले के रहने वाले हैं ट्रंप? अमेरिकी राष्ट्रपति का निवास प्रमाण पत्र जारी, प्रशासन में क्यों मच गया हड़कंप?
बिहार के समस्तीपुर जिले में एक चौंकाने वाला मामला सामने आया है, जहां अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के नाम से फर्जी निवास प्रमाण पत्र के लिए ऑनलाइन आवेदन किया गया. आवेदन में फोटो, आधार नंबर और पते के साथ छेड़छाड़ की गई थी. जांच के बाद मोहिउद्दीननगर के सर्किल अधिकारी ने इसे तुरंत रद्द कर दिया और साइबर थाने में शिकायत दर्ज की गई. अधिकारियों ने इसे प्रशासनिक व्यवस्था का मजाक उड़ाने की साजिश बताया है.
Donald Trump residence certificate Bihar: बिहार में फर्जी निवास प्रमाण पत्र घोटालों की बढ़ती कड़ी में एक और चौंकाने वाला मामला सामने आया है. इस बार मामला अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के नाम से किए गए आवेदन का है. समस्तीपुर जिले के मोहिउद्दीननगर अंचल में किसी अज्ञात व्यक्ति ने ट्रंप की फोटो और नाम का उपयोग करते हुए ऑनलाइन निवास प्रमाण पत्र के लिए आवेदन किया. आवेदन में पता दर्ज किया गया – गांव हसनपुर, वार्ड नंबर 13, पोस्ट बकरपुर, थाना मोहिउद्दीननगर, समस्तीपुर.
यह अजीबोगरीब आवेदन 29 जुलाई को ऑनलाइन पोर्टल पर आवेदन संख्या BRCCO/2025/17989735 के तहत सबमिट किया गया था. जांच के दौरान अधिकारियों ने पाया कि फोटो, आधार नंबर, बारकोड और पते में स्पष्ट हेराफेरी की गई थी, जिसके बाद सर्किल अधिकारी (CO) ने इस आवेदन को तत्काल खारिज कर दिया.
प्रशासन की सख्ती: साइबर सेल को सौंपी जांच
मोहिउद्दीननगर सर्किल अधिकारी ने पुष्टि की है कि यह मामला IT एक्ट का गंभीर उल्लंघन है. उन्होंने कहा कि यह हरकत प्रशासनिक व्यवस्था को बदनाम और मजाक उड़ाने की नीयत से की गई है. स्थानीय साइबर थाना में शिकायत दर्ज कर दी गई है और अब आईपी एड्रेस और लॉगिन डिटेल्स की जांच कर संबंधित आरोपी तक पहुंचने की कोशिश की जा रही है.
पहले भी सामने आ चुके हैं ऐसे नाम
यह पहली बार नहीं है जब बिहार में इस तरह के अजीबो-गरीब नामों से फर्जी प्रमाण पत्र के आवेदन हुए हैं. हाल ही में 'डॉग बाबू', 'नीतीश कुमारी' और यहां तक कि 'सोनालिका ट्रैक्टर' के नाम से भी आवेदन हो चुके हैं. ये घटनाएं पटना, नालंदा, पूर्वी चंपारण जैसे जिलों से सामने आ चुकी हैं, जिससे स्पष्ट होता है कि ऑनलाइन सत्यापन प्रणाली में गंभीर खामियां हैं.
प्रशासन सतर्क, कड़े कदमों की तैयारी
इस तरह की घटनाओं ने राज्य की डिजिटल प्रशासनिक व्यवस्था की साख पर सवाल खड़े कर दिए हैं. अधिकारी अब तकनीकी ऑडिट और सख्त KYC वेरिफिकेशन सिस्टम लागू करने पर विचार कर रहे हैं. चूंकि राज्य में चुनावी मौसम नजदीक है, ऐसे में प्रशासनिक और डिजिटल पारदर्शिता बनाए रखना सरकार के लिए बड़ी चुनौती बन चुका है.





