Begin typing your search...

अब दिल्ली से पटना की दौड़! बिहार विधानसभा चुनाव में चिराग पासवान की एंट्री, क्या सांसद से विधायक बनने की तैयारी?

एलजेपी (रामविलास) प्रमुख चिराग पासवान ने बिहार विधानसभा चुनाव लड़ने का ऐलान किया है. यह फैसला पार्टी की बैठक के बाद लिया गया, जिसमें उन्हें आम सीट से उम्मीदवार बनाए जाने पर सहमति बनी. चिराग ने कहा कि वह नीतीश कुमार के नेतृत्व में चुनाव लड़ेंगे. विपक्ष ने इसे एनडीए में अंदरूनी खींचतान का संकेत बताया है.

अब दिल्ली से पटना की दौड़! बिहार विधानसभा चुनाव में चिराग पासवान की एंट्री, क्या सांसद से विधायक बनने की तैयारी?
X
नवनीत कुमार
Curated By: नवनीत कुमार

Published on: 1 Jun 2025 10:38 AM

चिराग पासवान ने केंद्र की चमक-दमक से हट कर बिहार की जमीनी राजनीति में उतरने का ऐलान करके पूरे परिदृश्य को हिला दिया है. यह कदम केवल एक व्यक्तिगत चुनौती नहीं, बल्कि राज्य की राजनीति में युवा नेतृत्व का निर्णायक प्रवेश भी है. चिराग ने संकेत दिया है कि वह किसी सुरक्षित सीट पर नहीं, बल्कि एक ‘सामान्य’ क्षेत्र से उम्मीदवार बनेंगे, जिससे उनकी जमीनी स्वीकार्यता पर सीधी परीक्षा होगी.

लोक जनशक्ति पार्टी (रामविलास) की कोर समितियों ने सर्वसम्मति से प्रस्ताव पारित करते हुए उन्हें मैदान में उतारने का फैसला किया. इस अनुमति के साथ चिराग अपने दिवंगत पिता रामविलास पासवान की विरासत को सीधे विधानसभा की गलियों में पहुंचा रहे हैं. पार्टी सूत्रों का दावा है कि यह चुनाव संगठन को जिला स्तर तक पुनर्जीवित करने और दलित-महादलित आधार को दोबारा ऊर्जा देने का मौका होगा.

नीतीश के साथ तालमेल की परीक्षा

जनता दल यूनाइटेड के प्रवक्ताओं ने चिराग के फैसले को सहज ‘लोकतांत्रिक अधिकार’ बताकर स्वागत तो किया, पर भीतरखाने यह कदम सीट-समझौते की जटिल गणित को और पेचीदा कर सकता है. चिराग खुलकर कह चुके हैं कि वे मुख्यमंत्री नीतीश कुमार को ही नेता मानकर चुनावी समर में उतरेंगे. सवाल यह है कि क्या यह सार्वजनिक वफादारी मतदाताओं को विश्वास दिला पाएगी या फिर पुराने घाव कुरेद देगी.

रेड कार्पेट या कांटों भरी राह?

राजद ने तंज कसते हुए दावा किया कि एनडीए भीतर ही भीतर ‘महत्त्वाकांक्षा की जंग’ से जूझ रहा है. पार्टी प्रवक्ता मृत्युंजय तिवारी ने चेतावनी दी कि टिकट बंटवारे के साथ ही यह खींचतान खुलकर सतह पर दिखने लगेगी. राजद की रणनीति स्पष्ट है: चिराग को भावी विरोधी नहीं, बल्कि एनडीए में असंतोष का प्रतीक बताना, ताकि कोर वोटरों के बीच संशय पैदा हो.

दलित वोट बैंक की नई जंग

चिराग का सीधा मुकाबला दलित नेतृत्व के अन्य दावेदारों से भी है. उनकी उम्मीदवारी ने भाजपा-जदयू गठबंधन के भीतर दलित मतों के संतुलन को पुनर्गठित करने की होड़ छेड़ दी है. राजनीतिक विश्लेषक मानते हैं कि यदि चिराग विधानसभा में पहुँचते हैं, तो वे केंद्र-राज्य दोनों मंचों पर दलित एजेंडा को नया तेवर दे सकते हैं, जिससे सत्ता संतुलन पर दूरगामी असर पड़ेगा.

चुनावी हवा में नया समीकरण

चिराग की घोषणा ने बिहार के आगामी चुनाव को साधारण मुकाबले से बदलकर ‘पीढ़ी-परिवर्तन बनाम स्थायित्व’ की कथा बना दिया है. अब निगाह इस पर रहेगी कि वे किस सीट को चुनते हैं, एनडीए के भीतर कितनी समरसता रह पाती है और विपक्ष इस कदम को कैसे भुनाता है. स्पष्ट है, इस एक फैसले ने राज्य राजनीति की हवा में कई अनदेखे समीकरण घोल दिए हैं.

क्या सांसद से विधायक बनेंगे चिराग पासवान?

यह सवाल अब बिहार की राजनीति के केंद्र में है. लोकसभा सांसद के रूप में राष्ट्रीय मंच पर मौजूद चिराग अब विधानसभा चुनाव लड़ने की तैयारी में हैं, जो संकेत देता है कि वह राज्य की सत्ता में सीधा हस्तक्षेप चाहते हैं. उनके इस कदम को केवल राजनीतिक रणनीति नहीं, बल्कि सत्ता के समीकरणों को प्रभावित करने वाला निर्णय माना जा रहा है. यदि वह विधायक बनते हैं, तो न सिर्फ दलित राजनीति को मजबूती मिलेगी, बल्कि एनडीए में उनकी हैसियत भी बढ़ेगी. ऐसे में सवाल सिर्फ पद परिवर्तन का नहीं, बल्कि राजनीतिक असर के पुनर्संयोजन का है.

बिहारचिराग पासवानबिहार विधानसभा चुनाव 2025
अगला लेख