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9 दिन में दर्ज हो पाएंगी आपत्तियां! बिहार SIR में बढ़ी अफरातफरी, BLO परेशान; मतदाता हलकान

बिहार में चल रही SIR (स्पेशल समरी रिवीजन) प्रक्रिया के तहत मतदाता सूची में नाम जुड़वाने, संशोधन करने और आपत्तियां दर्ज कराने की अंतिम तिथि नजदीक आ गई है. अब सिर्फ 9 दिन का समय शेष बचा है. आपत्तियां दर्ज कराने के लिए एक सितंबर 2025 अंतिम तिथि है. ऐसे में जहां बीएलओ (BLO) पर काम का दबाव बढ़ गया है. जबकि मतदाता भी उलझन और परेशानी में हैं. आपत्ति दर्ज कराने की प्रक्रिया को लेकर लोगों में कन्फ्यूजन और अफरातफरी का माहौल है.

9 दिन में दर्ज हो पाएंगी आपत्तियां! बिहार SIR में बढ़ी अफरातफरी, BLO परेशान; मतदाता हलकान
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( Image Source:  ANI )

चुनाव आयोग के विशेष गहन पुनरीक्षण (एसआईआर) के दूसरे चरण के तहत मतदाताओं और राजनीतिक दलों के पास 1 अगस्त को प्रकाशित मसौदा मतदाता सूची पर दावे और आपत्तियां दर्ज कराने के लिए 1 सितंबर 2025 तक का समय है. तय समय में इस काम को सही तरीके से पूरा करने के लेकर चुनाव ड्यूटी पर तैयार कर्मचारी काफी हड़बड़ी (जल्दी) में हैं. उन पर आपत्तियों की जांच कर सही तथ्य चुनाव आयोग के रिकॉर्ड में शामिल करने का दबाव है. ताकि चुनाव आयोग द्वारा तय समय पर काम को पूरा करना संभव हो सके.

बिहार में बूथ स्तरीय अधिकारियों (बीएलओ) के लिए यह एक ऐसा समय है, जब उन्हें चुनाव आयोग द्वारा तय अनिवार्य 11 में से एक दस्तावेज और आवेदन पत्र के साथ अपलोड करने को हा गया है.

दशकों से नागालैंड में रहते हैं, पर वोट गांव में है - बैद्यनाथ महतो

इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट के मुताबिक चुनाव आयोग ने इसके लिए बिहार के हर क्षेत्र में शिविर लगाए हैं. इन शिविरों में पहुंचकर स्थानीय लोग अपनी आपत्ति दर्ज करा रहे हैं. हालांकि, लोगों की संख्या कम है. शिविरों में अधिकारी और उनके कार्यकर्ता मोबाइल फोन के आसपास जमा रहते हैं. पहला शिविर, मतदाता सूची से छूटे मतदाताओं के लिए है. जबकि दूसरा शिविर अधिकारियों को संभावित मतदाताओं के दस्तावेज अपलोड करने में मदद करने के लिए है.

सीतामढ़ी के एक ब्लॉक कार्यालय में बैद्यनाथ महतो भी में लगे शिविर में पहुंचते हैं. दिल्ली के रिठाला में मसाले बेचने वाले महतो पिछले हफ्ते सीतामढ़ी जिले जिले में अपने गांव आए थे. उन्होंने पाया कि उनका और उनकी पत्नी का नाम मसौदा सूची से हटा दिया गया है. जो राज्य की 65 लाख मतदाता सूचियों से हटाए गए नामों में से एक है.

शिविर के बाहर खड़े, महतो के हाथ में पहले से छपे हुए गणना फार्म हैं. जिसमें उनकी पत्नी के और उनके अपने नाम लिखे हैं, पर अब ये किसी काम के नहीं हैं. ड्यूटी पर मौजूद एक अधिकारी उन्हें फॉर्म 6 की एक प्रति देता है और इससे भरने के लिए कहता है.

बैद्यनाथ महतो ने बीएलो से बताया, “हम दो साल पहले दिल्ली आए थे और उससे पहले, हम सालों तक नागालैंड में रहे, लेकिन हमारा वोट हमेशा हमारे गांव में ही रहा है. अब, बीएलओ द्वारा मुझे 'अनुपस्थित' चिह्नित करने के बाद मेरा नाम काट दिया गया है. मुझे फिर से नए मतदाता के रूप में आवेदन करना होगा.”

सीतामढ़ी में सूची से हटे 2.45 लाख नाम

सीतामढ़ी के आंकड़ों के अनुसार पहले चरण में जिले के लगभग 2.45 लाख लोगों के नाम हटा दिए गए हैं. बीएलओ द्वारा उन्हें अनुपस्थित, स्थानांतरित या मृत के रूप में चिह्नित किया गया है. चुनाव आयोग के 24 जून के आदेश के अनुसार बिहार के सभी 7.89 करोड़ पंजीकृत मतदाताओं को ड्राफ्ट रोल में बने रहने के लिए 25 जुलाई तक गणना फॉर्म और घोषणाएं भरनी थी. चुनाव आयोग द्वारा बीएलओ को घर-घर जाकर गणना फॉर्म बांटने और फिर उन्हें वापस लेने के लिए कहा गया था.

1 अगस्त को मसौदा सूची जारी करते हुए, चुनाव आयोग ने घोषणा की कि 65 लाख नाम हटा दिए गए हैं. इनमें महतो जैसे कई प्रवासी हैं, जिन्हें बीएलओ ने "अनुपस्थित" चिह्नित किया था. आपत्ति दर्ज कराने के लिए बनाए गए शिविर में लोग बीच-बीच में आते-जाते रहते हैं. हालांकि अधिकारी इसे इस प्रक्रिया की गंभीरता का नतीजा बताते हैं. कहते हैं कि अब तक बहुत कम दावे और आपत्तियां आई हैं.

नाम दर्ज कराने के लिए यूथ ले रहे रुचि

एक अधिकारी ने बताया कि इस शिविर का उद्देश्य महतो जैसे हटाए गए मतदाताओं को सूची में वापस लाने में मदद करना है, लेकिन ज्यादातर पूछताछ नए मतदाताओं की ओर से हुई है. शिविर में आए लोगों में 19 वर्षीय सुमित कुमार भी शामिल हैं जो 17 जुलाई को जमा किए गए अपने फॉर्म 6 के ऑनलाइन आवेदन की स्थिति की जांच करने आए हैं. उस समय एसआईआर अभियान के बारे में न जानते हुए, सुमित ने एक साइबर कैफे से फॉर्म भरवाया था और प्रमाण के तौर पर अपना आधार कार्ड दिया था.

चुनाव आयोग के एसआईआर आदेश के तहत, जहां सभी मौजूदा मतदाताओं को गणना प्रपत्र जमा करने होंगे. वहीं, 2003 के बाद मतदाता सूची में शामिल हुए लोगों को भी अपनी पात्रता साबित करने के लिए चुनाव आयोग द्वारा निर्धारित 11 लोगों की सूची से दस्तावेज जमा करने होंगे. सुमित जैसे सभी नए नामांकन प्रपत्रों के साथ एक घोषणा पत्र और 11 दस्तावेजों में से एक, जिसमें आधार शामिल नहीं है, संलग्न करना होगा.

"वे कह रहे हैं कि मेरा आवेदन अस्वीकार कर दिया गया है. मैंने केवल अपना आधार संलग्न किया था. अब वे मुझसे एक और प्रपत्र भरने और अपना मैट्रिकुलेशन प्रमाणपत्र और अपने पिता का पहचान पत्र देने के लिए कह रहे हैं. इसके लिए अब मुझे फिर से वापस आना होगा.

बूथों की संख्या में 20 हजार की बढ़ोतरी

धनुरिया देवी अपने बेटे का पहली बार मतदाता के रूप में नामांकन कराने शिविर में आई थीं. वह अपने बेटे का मैट्रिकुलेशन प्रमाण पत्र और एक तस्वीर लेकर आई थीं, लेकिन अधिकारियों ने उन्हें सही बूथ संख्या के साथ वापस आने के लिए कहकर वापस भेज दिया था. एसआईआर अभियान के तहत, बिहार में बूथों की संख्या लगभग 20 हजार बढ़ गई, जिसके कारण कई बूथों को नए सीरियल नंबर मिले.

बीएलओ शिविर में असमंजस के हालात क्यों?

सीतामढ़ी के एक सरकारी हाई स्कूल में तैनात बीएलओ शिविर में जोरदार गतिविधियां देखी जा रही हैं. यह शिविर विशेष रूप से 77 बीएलओ के लिए लगाया गया है, जिनके दस्तावेज अपलोड करने की प्रगति 'धीमी' पाई गई है. बीएलओ, जिन्हें उनके सहायक नियुक्त किए गए हैं, अपने फोन पर व्यस्त हैं क्योंकि वे चुनाव आयोग के बीएलओ ऐप पर दस्तावेज अपलोड करने के कई प्रयास कर रहे हैं. चूँकि बड़ी संख्या में बीएलओ शिक्षक और आंगनबाड़ी सहायिकाओं की चुनाव आयोग ने ड्यूटी लगाई है. इसलिए, कुछ महिला अधिकारियों के साथ उनके बेटे और पति भी हैं.

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