Bihar Chumav 2025: 'कभी प्यार कभी वार', आखिर, क्या चाहते हैं चिराग?
Bihar Assembly Elections 2025: पांच साल पहले की तरह इस बार भी लोक जनशक्ति पार्टी (रामविलास) के अध्यक्ष चिराग पासवान का सीएम नीतीश कुमार के प्रति रवैया बदला हुआ है. उनके इस रवैये की वजह से विधानसभा चुनाव से पहले एनडीए में तनाव है. चिराग कभी नीतीश सरकार की तारीफ करते हैं तो अधिकांश मुद्दों पर बेनकाब करते दिखाई देते हैं. यही जेडीयू प्रमुख के लिए विकट समस्या है.

Bihar Vidhan Sabha Chumav 2025: सियासी रिश्ते कभी स्थायी नहीं माने जाते. बिहार की राजनीति इसका सबसे बड़ा उदाहरण है. एक समय था जब चिराग पासवान खुद को 'हांटेड हाउस' कहे जाने वाले NDA से अलग कर चुके थे. अब वही चिराग युवा आयोग के गठन के बाद नीतीश कुमार के लिए तल्खी की जगह तहजीब दिखा रहे हैं. सवाल यह है कि 2025 के चुनाव के लिए चिराग पासवान कहीं कोई नई कहानी तो नहीं लिख रहे हैं. इससे पहले कानून व्यवस्था, पलायन, बेरोजगारी, शिक्षा की गुणवत्ता आदि मसलों पर वो अपनी सरकार की आलोचना कर चुके हैं. यही वजह है कि बिहार के सीएम यह कयास नहीं लगा पा रहे हैं कि एनडीए का यह सियासी राजकुमार आखिर चाहता क्या है?
कभी 'बिहारी का बेटा', कभी 'नीतीश हटाओ' क्यों?
साल 2019-20 के दौर में चिराग पासवान ने खुद को 'बिहार फर्स्ट, बिहारी फर्स्ट' की नीति पर खड़ा किया था. नीतीश कुमार को 'विकास विरोधी' बताने से लेकर 'नीतीश हटाओ, बिहार बचाओ' तक के नारे दिए. खुद को पीएम मोदी का हनुमान बताया. यहां तक कि 2020 के विधानसभा चुनाव में उन्होंने जेडीयू के खिलाफ अपने कैंडिडेट उतार दिए, जिससे नीतीश को सीधा नुकसान पहुंचा.
अब क्यों की तारीफ?
पिछले कुछ दिनों से चिराग पासवान का लहजा बदला-बदला सा दिख रहा है. न वो नीतीश कुमार पर सीधा हमला कर बोल रहे हैं, न ही उन्हें खुलकर चुनौती दे रहे हैं. कई मौकों पर उन्होंने "नीतीश जी वरिष्ठ हैं", "अनुभवी नेता हैं" जैसे बयान भी दिए हैं. राजनीतिक गलियारों में चर्चा है कि चिराग फिर से एनडीए के हिस्से के तौर पर 2025 की पिच तैयार कर रहे हैं.
रामविलास की विरासत का असर तो नहीं
दरअसल, चिराग पासवान के पिता रामविलास पासवान ने हमेशा सत्ता से जुड़कर राजनीति की. चिराग भी अपने राजनीतिक करियर को स्थिरता देने के लिए बड़े गठबंधन में रहना चाहते हैं. बीजेपी के साथ दोस्ती तो बरकरार है, लेकिन बिहार में जमीन पर पैठ बनाने के लिए उनका जेडीयू के साथ तालमेल जरूरी है. ऐसे में नीतीश से टकराव की जगह समझौता उनकी रणनीति हो सकती है.
सियासी समझदारी है या मजबूरी
केंद्रीय मंत्री चिराग पासवान की पार्टी फिलहाल अकेले दम पर सरकार बनाने की स्थिति में नहीं है. ऐसे में 2025 में वो किंगमेकर बनना चाहते हैं. इसके लिए न ज्यादा विरोध ठीक है, न ज्यादा नजदीकी. यही कारण है कि वो 'कभी प्यार, कभी वार' की लाइन पर चल रहे हैं. ताकि हालात जैसे हों, वैसा रुख अपनाया जा सके. एनडीए के अधिकांश नेता मानते हैं कि ये चिराग का प्रेसर पॉलिटिक्स है. वह पार्टी का विस्तार करना चाहते हैं. पार्टी प्रमुख होने के नाते इस रणनीति को आप सियासी नजरिए से गलत नहीं कह सकते.
सीटों का बंटवारा अभी नहीं
एनडीए में सीटों के बंटवारे के प्रश्न पर चुप्पी है. यह चुप्पी चिराग को भी हैरान कर रहा है. उन्हें विधानसभा की 25 से 30 सीटों की उम्मीद है. मगर, एनडीए के दो बड़े घटक दलों बीजेपी और जेडीयू की ओर से सीटों की संख्या के बारे में उन्हें कोई संकेत नहीं मिल रहा है.