Bihar Chunav 2025: पटना में पत्नियों ने संभाली सियासी कमान, पति की जीत के लिए ‘इमोशनल’ कैंपेन
बिहार विधानसभा चुनाव 2025 के रण में इस बार पटना की सियासत में एक नया रंग दिख रहा है. कई सीटों पर अलग-अलग दलों के प्रत्याशियों की पत्नियां खुद प्रचार की कमान संभाल रही हैं. पति की जीत सुनिश्चित करने के लिए महिलाएं वोटरों के घर-घर जाकर अपील कर रही हैं. कहीं ममता का भाव है, तो कहीं महिला सशक्तिकरण का संदेश दे रही हैं.
बिहार की राजधानी पटना में 14 विधानसभा क्षेत्र हैं. इनमें के कई सीटों पर प्रत्याशियों की पत्नियों ने चुनाव प्रचार की कमान अपने पति के लिए संभाल ली हैं. नेताओं की पत्नियों अपने-अपने पति को जिताने के लिए गलियों में जा जाकर प्रचार कर रही हैं. पोस्टर और नारों के बीच नेताओं की पत्नियां चुनावी मैदान में नजर आ रही हैं. चाहे दिनभर की जनसभाएं हों या महिलाओं की बैठकों में संवाद, पत्नियों ने अपने पतियों की जीत की जिम्मेदारी खुद उठाई है. इस बार के चुनाव में 'पारिवारिक प्रचार' नई रणनीति के रूप में उभर रहा है. खासकर शहरी सीटों पर जहां भावनात्मक जुड़ाव को वोट में बदलने की कोशिश की जा रही है.
किस सीट पर किसने संभाला मोर्चा?
पटना के विक्रम विधानसभा क्षेत्र में भाजपा प्रत्याशी सिद्धार्थ गौतम की पत्नी प्रियंका कुमारी पति के लिए चुनाव प्रचार में जुटी हैं. वहीं, पटना साहिब सीट पर पहली बार किस्मत आजमा रहे भाजपा प्रत्याशी रत्नेश कुशवाहा और कांग्रेस के सुशांत शेखर के प्रचार में उनकी पत्नियां भी मोर्चे पर डटी हुई हैं. रत्नेश कुशवाहा की पत्नी गुड़िया कुशवाहा और सुशांत शेखर की पत्नी इशाद्रिता लहरी नियमित रूप से जनता से संपर्क में हैं.
इसी तरह पालीगंज विधानसभा क्षेत्र में महागठबंधन प्रत्याशी डॉ. संदीप सौरव की पत्नी दिव्या ने अपने पति के साथ पूरा प्रचार तंत्र खड़ा कर रखा है. दानापुर में रामकृपाल की पत्नी किरण देवी और रितलाल यादव की पत्नी किरण कुमारी दोनों अपने-अपने जत्थों के साथ गली-कूचों में प्रचार कर रही हैं. दीघा सीट पर बीजेपी विधायक डॉ. संजीव चौरसिया और जन सुराज के रितेश रंजन उर्फ बिट्टू सिंह की पत्नियां क्रमशः: वर्षा चौरसिया और विनीता बिट्टू सिंह सुबह आठ बजे से महिला मतदाताओं के बीच सक्रिय हो जाती हैं.
जहां तक मोकामा की सीट की बात है तो वहां पर दुलारचंद यादव की हत्या के बाद अनंत सिंह तो अब जेल में हैं, लेकिन उनकी पत्नी नीलम देवी ने चुनाव प्रचार की कमान पूरी तरह से अपने हाथ में ले ली है. इस सीट पर आरजेडी की ओर से बाहुबली सूरजभान की पत्नी वीणा देवी चुनाव लड़ रही हैं. फुलवारी और बख्तियारपुर जैसी सीटों पर नेताओं की पत्नियां अपने-अपने क्षेत्रों में जनता के बीच धुआंधार चुनाव करने में जुटी हैं.
महिला सुरक्षा, रोजगार और महंगाई अहम मुद्दा
नेताओं की पत्नियां महिलाओं की सभाओं में हिस्सा लेकर “महिला सुरक्षा', 'रोजगार' और 'महंगाई' जैसे मुद्दों पर बात कर रही हैं.” एक प्रत्याशी की पत्नी ने कहा, “हम अपने पति को सिर्फ पति नहीं, जनता का सेवक मानते हैं, इसलिए लोगों से सीधा संवाद जरूरी है.”
इमोशनल कनेक्ट पर जोर
राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि यह ^इमोशनल कनेक्ट' खासकर महिला मतदाताओं पर असर डाल सकता है. सोशल मीडिया पर भी पत्नियों की सक्रियता दिख रही है. वीडियो अपील, रील्स और महिला मतदाताओं के लिए संदेश वायरल हो रहे हैं. यह ट्रेंड इस बात का संकेत है कि बिहार की सियासत अब सिर्फ नेताओं की नहीं, बल्कि उनके परिवारों के सामूहिक प्रयास से तय हो रही है.





