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PK की पार्टी में उठे विरोध के स्वर, कार्यकर्ताओं ने सोशल मीडिया पर खोला मोर्चा, कहा - करोड़ों खर्च, फिर भी टिकट किसी और को क्यों?

बिहार चुनाव 2025 में प्रशांत किशोर की जन सुराज पार्टी में टिकट बंटवारे को लेकर कार्यकर्ताओं में नाराजगी सामने आने लगी है. सोशल मीडिया पर कई समर्थक खुलकर पीके का विरोध कर रहे हैं. सीतामढ़ी से तो प्रदर्शन के साथ पार्टी को प्रचार सामग्री जलाने तक के मामले सामने आए हैं. जानिए, कार्यकर्ताओं का, क्यों फूटा गुस्सा और किसे मिल रहा है टिकट का फायदा.

PK की पार्टी में उठे विरोध के स्वर, कार्यकर्ताओं ने सोशल मीडिया पर खोला मोर्चा, कहा - करोड़ों खर्च, फिर भी टिकट किसी और को क्यों?
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( Image Source:  Prashant Kishore facebook )

बिहार में जन सुराज पदयात्रा के बीच प्रशांत किशोर पर कार्यकर्ताओं ने टिकट का झूठा वादा कर लाखों रुपये लेने का आरोप लगाया. नाराज कार्यकर्ताओं ने पार्टी का गमछा, दुपट्टा और प्रचार जलाकर विरोध प्रदर्शन किया. ऐसा करने वाले वही लोग हैं, जो अभी तक पीके के कहने पर जन सुराज पार्टी को आगे बढ़ाने में जुटे थे. नाराज कार्यकर्ताओं ने उन पर 2025 के बिहार विधानसभा चुनाव में टिकट दिलाने का वादा कर धोखा देने का आरोप लगाया है. नेताओं ने किशोर के खिलाफ नारेबाजी की और उन्हें धोखेबाज बताया.

दरअसल, सीतामढ़ी जिले के रीगा विधानसभा क्षेत्र से टिकट नहीं मिलने के बाद स्थानीय नेताओं में आक्रोश बढ़ता जा रहा है. यहां से टिकट के दावेदार कैप्टन पुष्कर झा द्वारा बगावत का झंडा उठा लेने के बाद अब टिकट की उम्मीद लगाए जन सुराज पार्टी के दूसरे नेता धीरज जायसवाल ने भी अपने आवास पर ही पार्टी का गमछा एवं जनसुराज पारिवारिक लाभ कार्ड जलाकर इस सीट पर जनसुराज की मुश्किलें बढ़ा दी है.

पीके ने जनसुराज ने जिला पार्षद आदित्य मोहन के पिता 72 वर्षीय कृष्ण मोहन सिंह को टिकट दिया है. वे पूर्व में भाजपा के जिलाध्यक्ष भी रह चुके हैं. इस बीच धीरज जायसवाल ने पार्टी का गमछा और पारिवारिक लाभ कार्ड जलाने से संबंधित वीडियो बनाकर इंटरनेट मीडिया पर प्रसारित कर दिया है.

टिकट देने की बारी आई तो PK ने दिया 'धोखा'

धीरज जायसवाल का कहना है कि प्रशांत किशोर बहरूपिया हैं. उन्होंने झूठे सब्जबाग दिखाकर लाखों रुपये उनसे खर्च करवाए और जब टिकट देने की बारी आई तो धोखा दे दिया. उन्होंने कहा कि महीनों दिन रात जनसुराज के लिए काम करने के बाद अब उनका पार्टी से मोहभंग हो गया है. टिकट न देकर पीके ने उनके साथ छल किया. युवाओं को आगे बढ़ने का मौका देने के बदले 72 वर्ष के वयोवृद्ध नेता को टिकट दिया.

इससे पहले इस सीट से जनसुराज के सक्रिय नेता कैप्टन पुष्कर झा भी इंटरनेट मीडिया पर पार्टी के सूत्रधार और उनके द्वारा घोषित प्रत्याशी का विरोध करते हुए शीघ्र ही कोई बड़ा कदम उठाने की बात कही है.

टिकट का सपना टूटा, मेहनत बेकार

जन सुराज आंदोलन की शुरुआत से जुड़े कई पुराने कार्यकर्ता अब खुलकर विरोध में उतर आए हैं. उनका कहना है कि उन्होंने महीनों तक गांव-गांव जाकर अभियान चलाया, लाखों रुपए खर्च किए, लेकिन टिकट उन लोगों को दे दिया गया जो पार्टी में हाल ही में शामिल हुए हैं. एक यूजर ने X पर लिखा - “हमने दिन-रात जन सुराज के लिए काम किया, लेकिन टिकट किसी बाहरी को दिया गया. ये अन्याय है.”

सोशल मीडिया पर पीके के खिलाफ कैंपेन

फेसबुक और X पर कई पोस्ट्स में कार्यकर्ताओं ने पार्टी नेतृत्व पर 'मेहनत की अनदेखी' का आरोप लगाया है. कुछ कार्यकर्ताओं ने तो जन सुराज छोड़ने तक की बात कही है. '#जनसुराज_से_नाराजगी” और “#PK_सुनो' जैसे हैशटैग ट्रेंड करने लगे हैं.

प्रशांत की राजनीति पर सवाल

पार्टी के अंदरूनी सूत्रों के मुताबिक प्रशांत किशोर ने टिकट चयन में ‘विनिंग एबिलिटी’ यानी जीतने की संभावना को प्राथमिकता दी है, लेकिन कार्यकर्ताओं का आरोप है कि इस प्रक्रिया में समर्पित और पुराने कार्यकर्ताओं को नजरअंदाज किया जा रहा है.

जन सुराज का पक्ष

जन सुराज की ओर से जारी बयान में कहा गया है कि “पार्टी टिकट केवल योग्यता और जनता के समर्थन के आधार पर देती है, किसी के व्यक्तिगत योगदान को कम नहीं आंका गया है.” हालांकि, इस सफाई के बाद भी सोशल मीडिया पर असंतोष थमने का नाम नहीं ले रहा. बिहार के राजनीतिक जानकारों का कहना है कि यह घटना बताती है कि नए दलों में भी पुराने राजनीतिक रोग यानी 'टिकट को लेकर असंतोष' जिंदा है. प्रशांत किशोर जो सिस्टम को बदलने का दावा करते हैं, अब खुद की सिस्टम की चुनौतियों से जूझ रहे हैं.

बिहार विधानसभा चुनाव 2025प्रशांत किशोरबिहार
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