Bihar Chunav: ना गाड़ी, ना बंगला, ना पैसा, फिर भी मैदान में सबसे गरीब उम्मीदवार कयामुद्दीन अंसारी, चंदा जुटाकर लड़ रहे चुनाव
बिहार चुनाव 2025 में करोड़ों की संपत्ति वाले 40 प्रतिशत से ज्यादा उम्मीदवार मैदान में हैं. वहीं सीपीआई-एमएल के आरा से प्रत्याशी कयामुद्दीन अंसारी सबसे गरीब होने की वजह से चर्चा में हैं. वे जनता से चंदा लेकर चुनाव लड़ रहे हैं और सादगी व ईमानदारी को अपना हथियार बना चुके हैं.
बिहार की राजनीति में इस बार एक ऐसा चेहरा सामने आया है जिसके पास धन बल की ताकत नहीं है. इसके बावजूद वो आरा जैसे संवेदनशील सीट से चुनाव लड़ रहा है. प्रत्याशी का नाम कयामुद्दीन अंसारी है, जो सीपीआई-एमएल प्रत्याशी के रूप में आरा से सियासी मैदान में हैं. वह चंदा के भरोसे पर चुनावी मैदान में है. कयामुद्दीन अंसारी के पास न गाड़ी है, न मकान, न भारी बैंक बैलेंस. वे आम जनता से चंदा लेकर चुनाव लड़ रहे हैं और ईमानदारी की राजनीति की मिसाल बनते जा रहे हैं.
कयामुद्दीन अंसारी कहते हैं, “ अपनी जनसभाओं में कहते हैं, मेरे पास पैसा नहीं है, लेकिन जनता का प्यार और विश्वास मेरे पास है. मैं जनता से चंदा लेकर यह चुनाव लड़ रहा हूं. ताकि लोग समझें कि लोकतंत्र में सिर्फ अमीरों की नहीं, गरीबों की भी आवाज होती है.”
चुनावी एजेंडा
कयामुद्दीन को चुनाव लड़ाने के लिए उनके समर्थक गांव-गांव घूमकर 10 रुपये से लेकर 100 तक का चंदा जुटा रहे हैं. सोशल मीडिया पर भी लोग 'कयामुद्दीन को जिताओ, ईमानदारी बचाओ' जैसे हैशटैग से कैंपेन चला रहे हैं. उनका चुनावी घोषणापत्र भी आम लोगों की जरूरतों पर आधारित है. उनके चुनावी एजेंडे पर शिक्षा, स्वास्थ्य और भ्रष्टाचार-मुक्त प्रशासन है.
राजनीतिक विश्लेषक कहते हैं कि ऐसे उम्मीदवार लोकतंत्र की जड़ों को मजबूत करते हैं. हालांकि, उनका चुनाव जीतना मुश्किल है, लेकिन वह समाज में संदेश दे रहे हैं कि चुनाव पैसे का खेल नहीं, मूल्यों की लड़ाई भी हो सकता है. यही वजह है कि वे बिहार विधानसभा चुनाव 2025 में 'सबसे गरीब उम्मीदवार' हैं.
कौन हैं कयामुद्दीन अंसारी?
50 वर्षीय कयामुद्दीन अंसारी आरा के रहने वाले हैं. उन्होंने एमएचडी जैन कॉलेज आरा से उर्दू में एमए किया है. जाति से अंसारी (जुलाहा) हैं. यानी अति पिछड़ा वर्ग से आते हैं. इससे पहले वह दो बार आरा से चुनाव लड़ चुके हैं. साल 2020 में वे भाजपा के अमरेन्द्र प्रताप सिंह से मात्र 3,002 वोटों से हार गए थे, लेकिन उस चुनाव में उनका संघर्ष और सादगी चर्चा में रही थी.
चुनावी हलफनामे में उन्होंने बताया है कि उनके पास कुल संपत्ति 2.32 लाख रुपये हैं, जिनमें 20 हजार कैश, 13 हजार बैंक अकाउंट में सेविंग, गोल्ड और सिल्वर 59,500 कुल आय 92, 500 रुपये सिर्फ 20 हजार रुपये नकद और बैंक खाते में 3 हजार रुपये हैं. वे एक छोटे से घर में रहते हैं.
आरा के अलग-अलग थानों में उनके खिलाफ सात मामले दर्ज हैं. उन पर हत्या के प्रयास, मारपीट, हथियार से हमला, सरकारी कामकाज में बाधा डालने और शांति भंग का आरोप है. किसी भी मामले में दोषी साबित नहीं हुए हैं.
खुद को बताते हैं ‘जनता का उम्मीदवार’
आरा सीट पर उनके सामने भाजपा के संजय सिंह टाइगर और जन सुराज के डॉ विजय कुमार गुप्ता जैसे दिग्गज उम्मीदवार हैं, लेकिन कयामुद्दीन की ईमानदारी और सादगी ने लोगों के दिलों में जगह बनाई है. उन्हें भरोसा है इस बार वो चुनाव जरूर जीतेंगे.





