कांग्रेस के खिलाफ 58 साल पहले बना था 7 दलों का गठबंधन, महागठबंधन में भी हैं 7 पार्टियां, क्या फिर होगा करिश्मा?
58 साल पहले कांग्रेस के खिलाफ बिहार में 7 दलों का ऐतिहासिक गठबंधन बना था, जिसने ने केवल बिहार बल्कि देश की राजनीति का चेहरा बदल दिया. बिहार में उसके बाद से लेकर अब तक गठबंधन की सरकार बनती आई हैं. सवाल यह है कि क्या मौजूदा राजनीतिक हालात में एक बार फिर वैसा ही महागठबंधन बना है, जैसा कि 1967 में बना था. अंतर सिर्फ इतना है कि इस बार गठबंधन नीतीश कुमार सरकार के खिलाफ है और विपक्षी गठबंधन की रणनीति एंटी इंकम्बेंसी फैक्टर का लाभ उठाने की है.

बिहार की राजनीति में गठबंधन का इतिहास दशकों पुराना है. करीब 58 साल पहले कांग्रेस के खिलाफ 7 दलों ने मिलकर एक नया सियासी समीकरण बनाया था. उस समय गठबंधन सत्ता परिवर्तन की वजह से बना. अब एक बार फिर बिहार की राजनीति में महागठबंधन के रूप में 7 पार्टियां एक साथ आई हैं. सवाल है कि क्या इतिहास खुद को दोहराएगा और क्या यह गठबंधन RJD को मजबूती देने के साथ सत्ता की नई तस्वीर पेश करेगा?
बिहार में साल 1967 के बाद पहली बार 7 पार्टियों का गठबंधन बना, जिसने इस बार एनडीए गठबंधन यानी नीतीश कुमार की सरकार को चुनौती दी है. मौजूदा समय में भी राजनीतिक समीकरण और गठबंधन की चर्चाएं तेज हैं, जिससे पुराने दौर की याद ताजा कर दी है. क्या 2025 विधानसभा चुनाव में इतिहास खुद को दोहराएगा? हालांकि, 1967 में चुनाव पूर्व गठबंधन नहीं हुआ था.
NDA के 5 दल बनाम महागठबंधन की 7 पार्टियां
1967 के बाद 1977 में आपातकाल के बाद जनता पार्टी का जब गठन हुआ था तो उसमें कई दल शामिल हो गए थे. बाद में गठबंधन की सरकार बनी थीं, लेकिन बिहार को लेकर राजनीतिक विशेषज्ञों का कहना है कि बिना गठबंधन की सरकार बनना संभव नहीं है. ऐसा इसलिए कि एक तरफ एनडीए तो दूसरी तरफ महागठबंधन अपनी ताकत संवारने में लगा है. दोनों तरफ से दावे प्रतिदावे किए जा रहे हैं. इस बार एनडीए के पांच दल का मुकाबला महागठबंधन के 7 दल से नवंबर में होगा.
बिहार में गठबंधन सरकार का इतिहास: कब, क्या हुआ?
1. बिहार में इस साल 18वीं बार विधानसभा का चुनाव होगा. साल 2020 तक 17 बार विधानसभा का चुनाव हो चुका है. 1967 से ही गठबंधन का दौर जारी है. बिहार में आज के दौर में गठबंधन सरकार सियासी दलों की मजबूरी है. बिहार में इस साल 18वीं बार विधानसभा का चुनाव होगा.1967 से पहले तक कांग्रेस की सरकार बिहार में बनती रही. 1967 में बिहार और झारखंड दोनों एक राज्य हुआ करते थे. विधानसभा की कुल 312 सीटें होती थी. उस साल हुए विधानसभा चुनाव में कांग्रेस को 128, संयुक्त सोशलिस्ट पार्टी को 63, बीजेएस को 26, सीपीआई को 24, पीएससी को 18, जन क्रांति दल को 13, सीपीएम को 4, एसडब्लूयूएच को 3 और निर्दलीय को 33 सीटें मिली थी. यानी किसी भी दल को बहुमत नहीं मिला. कांग्रेस को सत्ता से दूर करने के लिए 7 विपक्षी दल एक साथ आए और उन्हें निर्दलीय विधायकों का भी समर्थन मिला. विपक्ष में सबसे बड़ी पार्टी संयुक्त सोशलिस्ट पार्टी थी और इसके नेता थे कर्पूरी ठाकुर, लेकिन कांग्रेस को सत्ता से बाहर करने के लिए उन्होंने जन क्रांति दल के महामाया प्रसाद को मुख्यमंत्री बनाया और खुद उपमुख्यमंत्री बने. ये सरकार ज्यादा दिनों तक नहीं चली.
2. साल 1969 में मध्यावधि चुनाव में भी कांग्रेस को केवल 118 सीट मिले. 16 फरवरी 1970 में इंदिरा गांधी की कांग्रेस ने प्रजातांत्रिक सोशलिस्ट पार्टी, शोषित दल, लोकतांत्रिक क्रांति दल जैसी पार्टियों के समर्थन से सरकार बनाई, लेकिन ये सरकार भी नहीं चली और दिसंबर 1970 में गिर गई. उसके बाद कर्पूरी ठाकुर के अगुवाई में सरकार बनी, जिसमें 5 दल जनसंघ, संगठन कांग्रेस, लोकतांत्रिक कांग्रेस, शोषित दल, भारतीय क्रांति दल जैसी पार्टियों ने समर्थन दिया.
3. 1972 में विधानसभा चुनाव हुए. इस चुनाव में एक बार फिर कांग्रेस बहुमत के साथ सत्ता में लौटी. कांग्रेस को 167 सीटों पर जीत मिली थी. 1977 तक कांग्रेस की सरकार चलती रही. आपातकाल के बाद चुनाव में केंद्र में भी कांग्रेस की सरकार चली गई और बिहार में जो विधानसभा चुनाव हुए उसमें समाजवादियों ने जनता पार्टी बनाया था. कई दल का विलय हुआ था. जनता पार्टी को 214 सीट मिला, कांग्रेस को केवल 57 सीट मिले थे. सीपीआई को 21, सीपीएम को चार, जेकेडी (जन क्रांति दल) के प्रत्याशी दो और निर्दलीय 24 सीट जीतने में सफल हुए थे. जनता पार्टी ने कर्पूरी ठाकुर के नेतृत्व में कांग्रेस विरोधी दल जन संघ, लोक दल और अन्य दलों के साथ सरकार बनाई थी.
4. बिहार में एक बार फिर 1980 में चुनाव हुए और इस बार कांग्रेस को पूर्ण बहुमत मिल गई. कांग्रेस इंदिरा को 167 सीटों पर जीत मिली. उसके बाद 1990 तक बिहार में कांग्रेस फिर से सत्ता पर काबिज रही.
5. 1995 से पहले जनता दल टूटने लगा. 1994 में नीतीश कुमार समता पार्टी बनाकर अलग हो गए. चुनावों में जनता दल ने 264 सीटों पर चुनाव लड़ा था और उसे 167 सीट पर जीत मिली थीं. वहीं, भाजपा को 41 सीटें जीतीं. इसके अलावा, समता पार्टी को 7 सीट पर जीत मिली और कांग्रेस को 29 सीट पर जीत हासिल हुई थीं. चारा घोटाला में लालू प्रसाद यादव के जेल जाने के कारण लालू प्रसाद ने राबड़ी देवी को मुख्यमंत्री बना दिया. इस पर काफी विवाद हुआ और 1997 में जनता दल से अलग होकर आरजेडी का लालू प्रसाद ने गठन किया. इसके बाद कांग्रेस के समर्थन से राबड़ी देवी मुख्यमंत्री बनीं.
6. बिहार का झारखंड के साथ अंतिम चुनाव था, क्योंकि इसके बाद झारखंड अलग हो गया इस चुनाव में बीजेपी ने समता पार्टी के साथ गठबंधन किया था और आरजेडी का एक वामपंथी दल के साथ गठबंधन था. आरजेडी ने 293 सीटों पर चुनाव लड़ा और उसे 124 सीटें मिली थीं. भाजपा को 168 में से 67 सीटें हासिल हुई थीं. इसके अलावा, समता पार्टी को 120 में से 34 और कांग्रेस को 324 में से 23 सीटें हासिल हुई थीं. नीतीश कुमार 7 दिनों के लिए मुख्यमंत्री बने थे लेकिन बहुमत साबित नहीं करने के कारण इस्तीफा दे दिया था. इसके बाद कांग्रेस की समर्थन से राबड़ी देवी मुख्यमंत्री बनीं और यह सरकार 2005 तक चली.
7. 2005 फरवरी में चुनाव हुआ जिसमें किसी को बहुमत नहीं मिला लेकिन नवंबर 2005 में हुए विधानसभा चुनाव में एनडीए को बहुमत मिल गया. इस चुनाव में NDA में भाजपा और जेडीयू का गठबंधन था. भाजपा 55 सीट जीती और JDU 88 सीट. आरजेडी 54, कांग्रेस 9, राकांपा एक, माकपा एक कुल 4 दल 65 सीट जीते थे. बहुमत के साथ NDA की सरकार बनी. नीतीश कुमार मुख्यमंत्री बने और सुशील कुमार मोदी को उप मुख्यमंत्री बनाया गया.
8. साल 2010 में एनडीए में फिर से एक बार जेडीयू और भाजपा एक साथ लड़ी. जेडीयू को 115 और भाजपा को 91 सीटों पर जीत मिली. एनडीए को कुल ?206 सीट मिले और उनकी सरकार बिहार में बनी. विपक्ष की बात करें तो आरजेडी को 22 सीट तो लोजपा को तीन सीट पर जीत मिली. कांग्रेस अकेले चुनाव लड़ी थी. 2010 में एनडीए का अब तक का सबसे शानदार प्रदर्शन रहा.
9. बिहार में नीतीश कुमार के आरजेडी के साथ जाने के कारण महागठबंधन का निर्माण हुआ इसमें आरजेडी 80, जेडीयू 71, कांग्रेस 27 सीटों पर जीती. तीनों ने एक साथ लड़ा और 178 सीट पर जीत हासिल की. एनडीए में बीजेपी 53, लोजपा दो, रालोसपा 2 और हम सेकुलर ने एक सीट पर जीत हासिल की. नीतीश कुमार के नेतृत्व में महागठबंधन की सरकार बनी. तेजस्वी यादव को उपमुख्यमंत्री बनाया गया.
10. विधानसभा चुनाव २०२० में एनडीए में जेडीयू, बीजेपी, हम और वीआईपी एक साथ चुनाव लड़ी. दूसरी तरफ महागठबंधन में आरजेडी, कांग्रेस और तीनों वामपंथी दल एक साथ थे. एनडीए के चार दल के मुकाबले महागठबंधन के पांच दलों का मुकाबला हुआ.एनडीए को 125 सीट मिला था तो महा गठबंधन को 110 सीट.लोजपा अकेले चुनाव लड़ी और 134 सीट पर एक में जीत और 9 सीट पर दूसरे नम्बर पर रही. वामपंथी दल 16 सीट जीतने में कामयाब हुए.
NDA बनाम महागठबंधन
बिहार में एनडीए में पांच दल हैं. बीजेपी, जेडीय़ू, हम, लोजपा रामविलास और राष्ट्रीय लोक मोर्चा. 2025 विधानसभा चुनाव में 225 सीट जीतने का दावा कर रहे हैं. दूसरी तरफ महागठबंधन में आरजेडी, कांग्रेस, वीआईपी और वामपंथी दलों की तीनों दल मिलकर 6 दल और यदि पशुपति पारस भी उसमें शामिल होते हैं तो 7 दल हो जाता है. दोनों गठबंधन के तरफ से अभी से ही जीत के दावे हो रहे हैं.
गठबंधन सरकार, कई CM का दौर खत्म
बिहार में 1990 के दशक की शुरुआत ही गठबंधन की सरकार से हुई. इस समय तक कांग्रेस की सियासी हालत खराब हो चुकी थी. विपक्ष में भी नए युवा अपनी राजनीतिक पहचान बना चुके थे. इसी परिप्रेक्ष्य में 1990 का विधानसभा चुनाव हुआ. 1990 विधानसभा चुनाव कई दलों के विलय से बने जनता दल ने पहली बार बिहार चुनाव लड़ा था. जनता दल 276 सीटों पर चुनाव लड़कर 122 सीटें जीता और सबसे बड़ी पार्टी बन गई. दूसरी तरफ कांग्रेस को 323 सीटों में से 71 सीटें और भाजपा को 237 सीटों में से 39 सीटें हासिल हुईं. कम्युनिस्ट पार्टी ऑफ इंडिया ने 109 सीटों पर चुनाव लड़कर 23 सीटें जीती थीं. जेएमएम 82 में से 19 सीटें जीत पाई थी. तब बिहार में लालू यादव के नेतृत्व में जनता दल की सरकार बनी थी. इन चुनावों के बाद ही बिहार में एक ही कार्यकाल में कई मुख्यमंत्री बनने का दौर भी खत्म हो गया अभी तक जारी है.