कभी बिहार का होता था अपना PM, राज्य में कब बनी थी पहली निर्वाचित सरकार और कांग्रेस ने क्यों किया था विरोध?
Bihar First PM Name: बहुत कम लोग जानते हैं कि कभी बिहार का होता था अपना प्रधानमंत्री. कांग्रेस ने किया था बिहार की पहली निर्वाचित सरकार का जोरदार विरोध. बिहार के पहले पीएम मोहम्मद यूनुस बने थे. उनके के नेतृत्व में सरकार बनाए जाने के अगले ही दिन कांग्रेस ने बिहार बंद का आह्वान किया था. ब्रिटिश सरकार के इस फैसले का लोकनायक जय प्रकाश नारायण ने तीखी आलोचना की थी. ये बात अलग है कि दो महीने बाद यूनुस की सरकार गिर गई थी.

Muhammad Yunus Bihar First PM: भारत के इतिहास में बिहार सहित ब्रिटिश शासित सभी तत्कालीन 11 प्रांतों में चुनाव की परंपरा हिज मैजेस्टी के शासन के दौरान ही शुरू हो गई थी. साल 1937 में पहली बार अंग्रेजी हुकूमत ने प्रांतीय स्तर पर चुनाव संपन्न कराए थे. अंग्रेजी हुकूमत के दौरान भारत में कुल 11 प्रांत हुआ करते थे. इनमें से एक बिहार भी था. साल 1937 के चुनाव के बाद बिहार में मुस्लिम इंडिपेंडेंट पार्टी के अध्यक्ष मोहम्मद यूनुस ने सरकार बनाई थी. उन्होंने 1 अप्रैल 1937 को बिहार के पहले प्रधानमंत्री पद की शपथ ली थी. तब प्रांतीय सरकार के मुखिया को प्रधानमंत्री ही कहा जाता था.
देश की आजादी के बाद जब भारतीय संविधान के अनुसार 1952 में चुनाव हुए तो प्रांतीय सरकार के मुखिया को मुख्यमंत्री पदनाम दिया गया. दिलचस्प है कि प्रदेश में पहली निर्वाचित सरकार के गठन का स्वतंत्रता संग्राम के दौरान देश की सबसे बड़ी पार्टी कांग्रेस ने जोरदार विरोध किया था.
कांग्रेस ने इसलिए किया था विरोध
कांग्रेस के युवा नेता जय प्रकाश नारायण ने मोहम्मद यूनुस द्वारा सरकार बनाने का निमंत्रण स्वीकार करने के लिए कड़ी आलोचना की थी. इस चुनाव में बिहार में कांग्रेस सबसे बड़ी पार्टी बनकर उभरी थी, लेकिन अंग्रेजी हुकूमत से कई मुद्दों पर मतभेद की वजह से कांग्रेस ने देश की किसी भी प्रांत में सरकार बनाने से इनकार कर दिया था. इसके बाद अंग्रेज गवर्नर ने दूसरी पार्टियों को सरकार बनाने के लिए न्योता दिया था. इसी वजह से मोहम्मद यूनुस को बिहार का पहला प्रधानमंत्री बनने का मौका मिला. उनकी सरकार बनने के अगले ही दिन कांग्रेस की ओर से बिहार बंद का आह्वान किया गया. कांग्रेस अल्पमत वाले दल को सरकार बनाने के लिए न्योता देने से नाराज थी.
आरक्षित आधी सीटें जीत गई थी यूनुस की पार्टी
बिहार में अल्पमत की सरकार के विरोध में कांग्रेस की ओर से बुलाई गई हड़ताल काफी असरदार रही. हड़ताल के दौरान फ्रेजर रोड स्थित मोहम्मद यूनुस के आवास के सामने से कई प्रदर्शनकारियों को गिरफ्तार किया गया. कांग्रेस नेताओं और कार्यकर्ताओं का कहना था था कि अल्पमत वाली पार्टी को सरकार बनाने का मौका देना उचित नहीं है. आजादी की लड़ाई से परेशान ब्रिटिश हुकूमत ने प्रांतीय स्तर पर स्थानीय स्वशासन को बढ़ावा देने के लिए चुनाव कराने शुरू किए थे. इसके लिए 1935 में गवर्नमेंट ऑफ इंडिया एक्ट बनाया गया.
बिहार के चुनाव में 40 सीटें मुसलमानों के लिए आरक्षित रखी गई थी. इनमें से 20 सीटों पर मोहम्मद यूनुस की पार्टी मुस्लिम इंडिपेंडेंट पार्टी ने जीत हासिल की थी. मुसलमानों के लिए आरक्षित सीटों में से केवल 4 सीटें ही कांग्रेस जीत पाई थी.
कैसे बनी यूनुस की सरकार?
साल 1937 में चुनाव के बाद मोहम्मद यूनुस ने कांग्रेस के साथ मिलकर भी सरकार बनाने की कोशिश की थी. उनका कहना था कि उनकी पार्टी ही बिहार में मुसलमानों की असली प्रतिनिधि है. इसलिए, उनकी पार्टी का सरकार में रहना जरूरी है. हालांकि, कांग्रेस इस पर राजी नहीं हुई. फिर कांग्रेस ने ब्रिटिश सरकार से कई मसलों पर मतभेद के कारण बहुमत होने के बाद भी सरकार बनाने से इनकार कर दिया था. करीब 3 महीने के बाद के बाद मोहम्मद यूनुस की अल्पमत वाली सरकार को जाना पड़ा.
कांग्रेस की हठधर्मी ने पाकिस्तान को दिया जन्म
मोहम्मद यूनुस सरकार गिरने के बाद कांग्रेस के श्रीकृष्ण सिंह के नेतृत्व में बिहार में सरकार बनी. इस सरकार में डॉ. एएन सिन्हा उप प्रधानमंत्री बनाए गए थे. मोहम्मद यूनुस के बेटे बैरिस्टर मोहम्मद यासीन यूनुस ने कहा था कि कांग्रेस हठधर्मी रवैये की वजह से ही पाकिस्तान की नींव पड़ी. अगर कांग्रेस सरकार में मुस्लिम इंडिपेंडेंट पार्टी को भी शामिल कर लेती तो शायद ऐसा नहीं होता.
नीतीश के दौर में चर्चा में आए पहले पीएम
बताया जाता है कि आजादी के बाद तैयार भारतीय इतिहास में इस दौर का समुचित दस्तावेजीकरण नहीं किया गया. इसका नतीजा यह हुआ कि इस दौर से जुड़े बहुत कम प्रमाण मिल सरकारी दस्तावेजों में मिल पाते हैं. खुद बिहार में मोहम्मद यूनुस को बहुत कम लोग जानते हैं. प्रांत के तौर पर बिहार के पहले निर्वाचित मुखिया को राज्य में पर्याप्त सम्मान नहीं मिल सका. कुछ वर्ष पहले तक तो इसको लेकर जानकारी का काफी अधिक अभाव था. बिहार में मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की सरकार बनने के बाद मोहम्मद यूनुस की जयंती पर कुछ कार्यक्रम आयोजित होने लगे.