लड़का बनकर की थी क्रिकेट प्रैक्टिस, हीरो हैं सहवाग, अब वर्ल्ड कप फाइनल में बनीं रोल मॉडल; जानें कौन हैं हरियाणा की बेटी शेफाली
हरियाणा की शेफाली वर्मा ने कभी क्रिकेट खेलने के लिए खुद को लड़का बनाकर अकादमी में दाखिल कराया था. आज वही लड़की भारतीय महिला क्रिकेट की पहचान बन चुकी है. 2025 वर्ल्ड कप फाइनल में दक्षिण अफ्रीका के खिलाफ 87 रनों की पारी और दो विकेट लेकर उन्होंने भारत को ऐतिहासिक जीत दिलाई. संघर्ष, आत्मविश्वास और जुनून से भरी शफाली की कहानी यह साबित करती है कि सपने अगर सच्चे हों तो हर मुश्किल आसान हो जाती है.
हरियाणा की धरती ने कई जाबांज़ खिलाड़ी दिए हैं, लेकिन शेफाली वर्मा की कहानी सबसे अलग है. यह उस लड़की की कहानी है जिसने क्रिकेट सीखने के लिए खुद को लड़के का भेष बनाना पड़ा. जिसने परंपराओं को तोड़कर यह साबित किया कि प्रतिभा को लिंग से नहीं, मेहनत और हिम्मत से पहचाना जाता है.
रोहतक में जन्मी शेफाली के पिता संजय वर्मा एक ज्वेलरी की दुकान चलाते थे, लेकिन क्रिकेट उनके दिल की धड़कन था. उन्होंने अपनी बेटी की आंखों में चमक देखी और पहचाना कि यह बच्ची सिर्फ गेंद-बल्ले से खेलने नहीं, बल्कि इतिहास रचने के लिए आई है. मगर समस्या यह थी कि उनके शहर में लड़कियों के लिए कोई क्रिकेट अकादमी नहीं थी.
बॉयज़ क्रिकेट अकादमी से शुरू की यात्रा
फिर शुरू हुई एक अनोखी यात्रा. पिता ने शेफाली के बाल कटवा दिए, उसे लड़कों के कपड़े पहनाए और एक बॉयज़ क्रिकेट अकादमी में दाखिला दिला दिया. वहां लड़कों ने पहले मज़ाक उड़ाया, फिर हैरान रह गए जब 'वो लड़का' नेट्स में गेंद को सीमा रेखा के पार भेजने लगा. जब असलियत सामने आई, तब तक सब उसका सम्मान करने लगे. शेफाली ने साबित किया कि हिम्मत और हुनर को कोई छुपा नहीं सकता.
सहवाग से प्रेरणा, मैदान पर तूफान
शेफाली हमेशा कहती हैं कि उनका क्रिकेटिंग हीरो वीरेंद्र सहवाग हैं. “मैंने क्रिकेट खेलना सिर्फ इसलिए शुरू किया क्योंकि मैं सहवाग सर की तरह गेंद को मारना चाहती थी,” उन्होंने एक इंटरव्यू में कहा था. उनकी बल्लेबाज़ी का स्टाइल, आक्रामकता और आत्मविश्वास सब कुछ सहवाग की याद दिलाता है.
साल 2019 में उन्होंने वेस्टइंडीज़ के खिलाफ 49 गेंदों में 73 रन की आतिशी पारी खेली, जिसने उन्हें अंतरराष्ट्रीय मंच पर पहचान दिलाई. और सिर्फ 15 साल की उम्र में वह भारत की सबसे कम उम्र की महिला क्रिकेटर बन गईं, जिन्होंने राष्ट्रीय टीम में जगह बनाई.
वर्ल्ड कप 2025: एक और इतिहास
साल 2025 के महिला वनडे वर्ल्ड कप फाइनल में, किसने सोचा था कि टीम में चोटिल खिलाड़ी की जगह आई यह युवा बल्लेबाज़ मैच की हीरो बन जाएगी. प्रतीका रावल के चोटिल होने के बाद शेफाली को टीम में शामिल किया गया था. सेमीफाइनल में ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ वह सिर्फ 10 रन पर आउट हो गईं, लेकिन फाइनल में उन्होंने अलग ही रूप दिखाया.
दक्षिण अफ्रीका के खिलाफ, उन्होंने शुरुआत से ही अटैकिंग मूड में बल्लेबाज़ी की. स्मृति मंधाना के साथ उन्होंने भारत को टूर्नामेंट का सबसे बड़ा पावरप्ले (64 रन) दिया. दोनों ने मिलकर 104 रन की साझेदारी की. जब मंधाना आउट हुईं, तब शफाली ने खुद मोर्चा संभाला और 87 रन (78 गेंदों, स्ट्राइक रेट 111) की शानदार पारी खेली. वह अपनी पहली शतक से सिर्फ 13 रन दूर रहीं.
गेंदबाज़ी में भी कमाल
बल्ले से धमाका करने के बाद शफाली ने गेंदबाज़ी में भी योगदान दिया. उन्होंने दक्षिण अफ्रीका की दो प्रमुख बल्लेबाज़ों सुन लूस और मरिज़ैन कैप को आउट किया और 7 ओवर में सिर्फ 36 रन दिए. इस ऑलराउंड प्रदर्शन के लिए उन्हें प्लेयर ऑफ द मैच चुना गया. 21 साल की उम्र में वह यह सम्मान पाने वाली सबसे युवा खिलाड़ी बन गईं, चाहे महिला या पुरुष विश्व कप हो.
मैच के बाद क्या बोलीं शेफाली?
फाइनल के बाद भावुक शेफाली ने कहा, “मैंने शुरुआत में ही कहा था कि भगवान ने मुझे कुछ अच्छा करने के लिए भेजा है. आज वो दिख गया. मैं बेहद खुश हूं कि हमने वर्ल्ड कप जीता. शब्द नहीं हैं इसे बयां करने के लिए. यह मुश्किल था लेकिन मुझे खुद पर भरोसा था कि अगर मैं शांत रहूं, तो कुछ भी कर सकती हूं.”
उन्होंने अपने परिवार और साथियों का शुक्रिया अदा करते हुए कहा, “मेरे माता-पिता, भाई, दोस्त सबने मेरा साथ दिया. हारमनप्रीत दी हमेशा मोटिवेट करती रहीं. पूरी टीम ने मुझसे कहा कि अपने गेम पर भरोसा रखो. जब इतनी स्पष्टता और समर्थन मिलता है, तो जीत पक्की हो जाती है.”
संघर्ष से सितारा बनने तक
शफाली की यह सफलता किसी चमत्कार का नतीजा नहीं, बल्कि कठोर परिश्रम, अनुशासन और आत्मविश्वास का परिणाम है. साल 2024 में उन्होंने U-19 भारतीय टीम की कप्तानी की और उसे T20 विश्व कप जिताया. इसी टूर्नामेंट में उन्होंने 7 मैचों में 172 रन बनाए.
वह इतिहास में सबसे युवा खिलाड़ी बनीं जिन्होंने भारत का प्रतिनिधित्व तीनों फॉर्मेट (टेस्ट, वनडे, टी20) में किया. 2023 में उन्होंने दक्षिण अफ्रीका के खिलाफ चेन्नई टेस्ट में 194 गेंदों में डबल सेंचुरी ठोकी, भारतीय महिला क्रिकेट के इतिहास की सबसे तेज़ डबल सेंचुरी.
निजी जीवन और रिकॉर्ड्स
- जन्म: 28 जनवरी 2004, रोहतक, हरियाणा
- पिता: संजय वर्मा
- मां: प्रवीण बाला
- भाई: साहिल वर्मा
- टेस्ट रिकॉर्ड: 5 मैच, 567 रन, एवरेज 63, 1 शतक
- वनडे रिकॉर्ड: 31 मैच, 741 रन, एवरेज 24.70
- टी20 रिकॉर्ड: 90 मैच, 2221 रन, एवरेज 26.12, 11 हाफ सेंचुरी
अब सिर्फ क्रिकेटर नहीं, प्रेरणा हैं शेफाली
आज शेफाली वर्मा सिर्फ एक क्रिकेटर नहीं, बल्कि एक प्रेरणा, एक प्रतीक हैं. उस नई भारत की, जो परंपराओं को चुनौती देता है. उन्होंने छोटे शहरों की उन लड़कियों के लिए रास्ता बनाया है जो अब क्रिकेट को “लड़कों का खेल” नहीं मानतीं. जब शफाली मैदान पर उतरती हैं, तो गेंदबाज़ी पक्ष की धड़कनें तेज़ हो जाती हैं, और दर्शकों को उम्मीद होती है कि कुछ असाधारण होने वाला है. और हर बार, वह उम्मीद को यथार्थ में बदल देती हैं- बल्ले की आवाज़ से, आत्मविश्वास की गूंज से.





