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'लॉन्ग टर्म प्लान, कोई फिक्स फॉर्मूला नहीं...'; ओपनिंग को लेकर क्या सोचते थे सचिन तेंदुलकर?

दुनिया के महान बल्लेबाज सचिन तेंदुलकर ने एक किताब में ओपनिंग को लेकर अपनी सोच का जिक्र किया है. तेंदुलकर ने कहा कि उन्होंने अपने करियर में ओपनिंग को हमेशा लॉन्ग टर्म प्लान की तरह लिया. विरोधी टीम कौन सी है, उसके पास कैसे गेंदबाज हैं, किस देश और मैदान में खेल रहे हैं और वहां की पिच कैसी है... ऐसे तमाम सवालों का जवाब सोचने के बाद वे पारी की शुरुआत करते थे. तेंदुलकर ने और क्या कुछ कहा? आइए जानते हैं...

लॉन्ग टर्म प्लान, कोई फिक्स फॉर्मूला नहीं...; ओपनिंग को लेकर क्या सोचते थे सचिन तेंदुलकर?
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( Image Source:  ANI )

Sachin Tendulkar's Thinking On Opening In Cricket: मास्टर ब्लास्टर सचिन तेंदुलकर को क्रिकेट का भगवान कहा जाता है. उनके नाम टेस्ट में 15 हजार और वनडे में 18 हजार से ज्यादा रन दर्ज हैं. इसके अलावा, उन्होंने इंटरनेशनल क्रिकेट में सेंचुरी की सेंचुरी भी लगाई है. टेस्ट में उनके नाम 51 जबकि वनडे में 49 शतक दर्ज हैं. सचिन ने टीम इंडिया के लिए कई मैचों में ओपनिंग की है. ओपनिंग को लेकर उन्होंने क्या कुछ कहा, आइए जानते हैं...

पत्रकार शिवेंद्र कुमार सिंह की किताब 'ओपनर्स' की सचिन तेंदुलकर ने भूमिका लिखी है. इसमें उन्होंने ओपनर्स और मिडिल ऑर्डर में खेलने वाले बल्लेबाजों की मानसिकता के बारे में बताया है.

''मैंने हमेशा ओपनिंग को एक मौके की तरह लिया''

तेंदुलकर ने कहा, ''जब आप पारी की शुरुआत करते हैं तो आप अपनी तरह से पारी को चला सकते हैं, पूरे मैच को नियंत्रित कर सकते हैं. इसलिए मैंने हमेशा ओपनिंग को एक मौके की तरह लिया. सलामी बल्लेबाज पर विरोधी टीम के गेंदबाज अपनी पूरी ताकत से अटैक करते थे. मुझे ये अच्छा लगता था, क्योंकि मुझे इस बात का भरोसा रहता था कि अगर मैंने अच्छी बल्लेबाजी की तो मेरे पास अपनी टीम के लिए रन बनाने का बड़ा मौका होगा.''

''ओपनर्स खुद उस मैच की सिएचुशन को बनाते हैं''

सचिन तेंदुलकर ने कहा, ''जब मैंने टेस्ट क्रिकेट में नंबर-4 पर बल्लेबाजी की, लेकिन वहां जब आप बल्लेबाजी करने जाते हैं तो आपको मैच की सिचुएशन के हिसाब से बल्लेबाजी करनी होती है. मसलन कई बार ऐसा होता है , जब स्कोरबोर्ड पर 20-22 रन पर या इससे कम पर भी दो गिर चुके होते हैं और कभी 200 रन पर दो विकेट होते हैं, लेकिन ओपनिंग में आप हमेशा शून्य से ही शुरू करते हैं. इसे कोई बदल नहीं सकता. आप खुद उस मैच की सिएचुशन को बनाते हैं.''

''दोनों ही जीरो से शुरुआत करते हैं''

तेंदुलकर ने कहा, ''मेरे जेहन में ये बात हमेशा रहती थी कि पारी की शुरुआत सिर्फ मैं ही नहीं कर रहा हूं, बल्कि विरोधी टीम के गेंदबाज भी कर रहे हैं. यानी दोनों ही जीरो से शुरू कर रहे हैं. ऐसे में मैं अपने हिसाब से बल्लेबाजी कर सकता हूं. मैं हमेशा मैदान के बीच में जाकर अपनी टीम के लिए कुछ खास करना चाहता था. चौथे नंबर पर बल्लेबाजी में कई बातों का इंतजार करना होता है, जबकि ओपनिंग में पता है कि पारी की शुरुआत आपको ही करनी है.''

''मैंने ओपनिंग को हमेशा लॉन्ग टर्म प्लान की तरह लिया''

सचिन तेंदुलकर ने कहा, ''मैंने अपने करियर में ओपनिंग को हमेशा लॉन्ग टर्म प्लान की तरह लिया. विरोधी टीम कौन सी है, उसके पास कैसे गेंदबाज हैं, किस देश और मैदान में खेल रहे हैं और वहां की पिच कैसी है... ऐसे तमाम सवालों का जवाब सोचने के बाद मैं पारी की शुरुआत करता था. इसके अलावा, ये भी अहम था कि मेरा अपना रिदम कैसा चल रहा है, फॉर्म कैसी चल रही है... और इन सबसे भी कहीं ज्यादा जरूरी पहलू ये होता था कि उस मैच में टीम का प्लान क्या है, टीम की जरूरत क्या है. मैंने हमेशा इन स्थितियों को देखकर इस जिम्मेदारी को निभाया. मेरे लिए ओपनिंग का कोई एक फिक्स फॉर्मूला नहीं था.''

कौन हैं शिवेंद्र कुमार सिंह?

शिवेंद्र कुमार सिंह का जन्म उत्तर प्रदेश के प्रयागराज जिले में हुआ. उन्होंने 1998 में इलाहाबाद यूनिवर्सिटी से बीकॉम किया. उन्होंने दो दशक से ज्यादा समय से क्रिकेट की कवरेज कर रहे हैं, जिसमें कई वर्ल्डकप भी शामिल है. इन्होंने क्रिकेट के अनसुने किस्से नाम की किताब पहले लिख चुके हैं. इसके अलावा, उन्होंने 'ये जो है पाकिस्तान' और 'विजय चौक लाइव' उपन्यास भी लिखा है.

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