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1983 वर्ल्ड कप जीतने के 19 साल बाद लॉर्ड्स को गांगुली स्टाइल में जीती टीम इंडिया

1983 में लॉर्ड्स पर वर्ल्ड कप जीत के 19 साल बाद, टीम इंडिया ने 2002 के नेटवेस्ट सीरीज़ फाइनल में इंग्लैंड को हराकर ऐतिहासिक जीत दर्ज की. 326 रन के लक्ष्य का पीछा करते हुए युवराज सिंह (69) और मोहम्मद कैफ़ (87*) की दमदार साझेदारी ने भारत को 2 विकेट से जीत दिलाई. जीत के बाद कप्तान सौरव गांगुली का लॉर्ड्स बालकनी में टीशर्ट लहराना क्रिकेट इतिहास का एक आइकॉनिक पल बन गया - यह भारत के नए आत्मविश्वास और तेवर का प्रतीक था.

1983 वर्ल्ड कप जीतने के 19 साल बाद लॉर्ड्स को गांगुली स्टाइल में जीती टीम इंडिया
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( Image Source:  ANI )
अभिजीत श्रीवास्तव
By: अभिजीत श्रीवास्तव

Updated on: 10 July 2025 3:38 PM IST

इंग्लैंड की राजधानी लंदन में लॉर्ड्स का ऐतिहासिक मैदान भारतीय क्रिकेट के इतिहास में भी कई यादगार मैचों की गवाही देता आया है. भारत ने इसी मैदान पर अपना पहला टेस्ट मैच खेला था. यही वो मैदान है जहां उसने पहली बार वर्ल्ड कप का मैच खेला और पहली बार 1983 में वर्ल्ड कप जीतने का कारनामा किया.

लॉर्ड्स के मैदान पर 1983 के वर्ल्ड कप फ़ाइनल में वेस्ट इंडीज को हराकर इतिहास रचने के 19 वर्षों के बाद भारतीय टीम ने साल 2002 में एक बार फिर एक बेहद रोमांचक और कभी न भूलने वाला फ़ाइनल मुक़ाबला खेला. इस बार सामने थी वही इंग्लैंड की टीम जिसने पूरी दुनिया को क्रिकेट खेलना सिखाया.

यह मुक़ाबला नैटवेस्ट सिरीज़ के फ़ाइनल का था. हालांकि तब 1983 की तरह टीम इंडिया को पूरी तरह कमज़ोर नहीं माना जा रहा था, लेकिन टीम के खिलाड़ियों के मन में वनडे मुक़ाबलों के लगातार नौ फ़ाइनल हारने का डर उस दिन भी था.

उस फ़ाइनल मुक़ाबले में क्या हुआ था?

इंग्लैंड ने पहले बल्लेबाज़ी की. सलामी बल्लेबाज़ मार्कस ट्रेस्कोथिक और कप्तान नासिर हुसैन के शतकों की बदौलत इंग्लैंड ने 326 रनों का विशाल लक्ष्य रखा. लेकिन कभी हार नहीं मानने वाले कप्तान सौरव गांगुली (60 रन) ने वीरेंद्र सहवाग (45 रन) के साथ मिलकर पहले विकेट के लिए 14.3 ओवरों में 106 रन जोड़कर बहुत ही शानदार शुरुआत दी. जीत के लिए 6.54 की औसत से रन चाहिए थे, पर गांगुली इंग्लैंड के गेंदबाज़ों पर इस कदर बेरहम प्रहार कर रहे थे कि प्रति ओवर 7.41 की औसत से रन बन रहे थे. 43 गेंदों पर 10 चौके और एक छक्का जमाने के बाद जब गांगुली 60 रन बनाकर आउट हुए तो अचानक भारतीय पारी लड़खड़ा गई. 106 रन से अगले 40 रन बनने में आधी भारतीय टीम पवेलियन लौट आई.

सचिन के आउट होने पर भारत के घरों में टीवी सेट बंद

गांगुली के आउट होने के बाद वीरेंद्र सहवाग, दिनेश मोंगिया, राहुल द्रविड़ और सचिन तेंदुलकर जल्दी जल्दी आउट हो गए. तब भारत में रात के क़रीब आठ बज रहे थे. आधी टीम के 146 रन बनने तक आउट होने के बाद बड़ी संख्या में क्रिकेट के दर्शकों ने नाउम्मीदी में अपने टीवी सेट बंद कर दिए.

अब पिच पर भारत के अंतिम बल्लेबाज़ों की जोड़ी थी. एक तरफ़ नए बल्लेबाज़ के रूप में मोहम्मद कैफ़ अभी-अभी आए थे, तो दूसरी ओर युवराज सिंह तीन रन बना कर पिच पर मौजूद थे. वैसे तो दोनों पिछले कुछ समय से अच्छी बल्लेबाज़ी कर रहे थे लेकिन लगातार पिछले कई फ़ाइनल्स में हारने का दबाव और जीत के लिए 181 रन बनाने का दबाव सामने था, साथ ही इन दोनों के बाद बल्लेबाज़ी के लिए केवल गेंदबाज़ों की कतार ही बाकी थी.

X: @MohammadKaif

मोहम्मद कैफ़ ने उसी साल भारतीय टीम में डेब्यू किया था. जबकि युवराज सिंह अपना 40वां वनडे मैच खेल रहे थे और नैटवेस्ट सिरीज़ के पहले मैच में इंग्लैंड के ख़िलाफ़ लॉर्ड्स पर ही अर्धशतकीय पारी खेल कर भारत को जीत दिला चुके थे. जब तेंदुलकर आउट हुए तो युवराज केवल तीन रन बना कर खेल रहे थे. लेकिन 24वें ओवर में तेंदुलकर के आउट होने के बाद युवराज ने ही आगे बढ़ कर इस चुनौती का जवाब देने की ज़िम्मेदारी ली.

कैफ़ और युवराज के बीच शतकीय साझेदारी

25वें ओवर में युवराज के चौके के बावजूद आवश्यक रन रेट 7 से ऊपर जा पहुंचा. युवराज भी थोड़े धीमे हुए पर 29वें ओवर में उन्होंने लगातार दो चौके जड़े, फिर एक ओवर बाद छक्का जमाया. उधर कैफ़ विकेटों के बीच तेज़ भागते हुए रन बटोर रहे थे और उनका स्ट्राइक रेट भी 100 चल रहा था. अचानक 24 गेंदों में केवल 16 रन बना कर खेल रहे युवराज सिंह ने गियर शिफ़्ट किया और दनदनाते चौके, छक्के जमाने लगे. उधर मोहम्मद कैफ़ भी अपने रंग में आ गए. दोनों ने 13 गेंदों में पांच चौके, एक छक्के समेत 30 रन बटोरे और मैच यहां से इंग्लैंड की गिरफ़्त से बाहर होना शुरू हो गया था. युवराज ने एंड्रयू फ़्लिंटॉफ़ की गेंदों पर लगातार तीन चौके जमाते हुए केवल 53 गेंदों पर अपना अर्धशतक पूरा किया.

मैच के 42वें ओवर की दूसरी गेंद पर मोहम्मद कैफ़ ने भी अपना अर्धशतक पूरा किया लेकिन उसी ओवर की चौथी गेंद पर युवराज सिंह 69 रन बनाकर आउट हो गए. जो युवराज 24 गेंदों पर केवल 16 रन बनाए थे, उन्होंने अगले 53 रन केवल 39 गेंदों पर बना डाले. युवराज जब आउट हुए तब जीत के लिए 60 रन और चाहिए थे. लेकिन कैफ़ और हरभजन ने तुरंत ही अपने इरादे स्पष्ट कर दिए. दोनों तेज़ी से रन बटोरने लगे, छक्के-चौके भी जमाए और टीम इंडिया का स्कोर 46वें ओवर में 300 के पार चला गया.

कैफ़ बने प्लेयर ऑफ़ द मैच

48वें ओवर में एंड्रयू फ़्लिंटॉफ़ ने हरभजन सिंह और अनिल कुंबले का विकेट लेकर भारत को दोहरा झटका देते हुए बैकफ़ुट पर धकेलने की कोशिश की, पर तब जीतने के लिए अंतिम दो ओवरों में महज़ 12 रन चाहिए थे. आख़िर मोहम्मद कैफ़ और ज़हीर ख़ान की जोड़ी ने तीन गेंद बाकी रहते भारत को दो विकेट से वो ऐतिहासिक जीत दिला दी. मोहम्मद कैफ़ को उनकी 87 रन की नाबाद पारी के लिए ‘प्लेयर ऑफ़ द मैच’ चुना गया.



लॉर्ड्स में टीशर्ट लहराते गांगुली (स्‍क्रीनग्रैब - Youtube/England & Wales Cricket Board)

जब लॉर्ड्स में गांगुली ने टीशर्ट लहराई

पर क़रीब 25 सालों बाद भी आज उस मैच का वो अंतिम पल भारतीय क्रिकेट को चाहने वाला कोई शख़्स नहीं भूला है, तो उसकी वजह, जीत के बाद का वो आइकॉनिक जश्न है... जो कप्तान सौरव गांगुली ने लॉर्ड्स की बालकनी में मनाया था. उस दिन कप्तान सौरव गांगुली ने क्रिकेट के मैदान पर शिष्टाचार की परंपरा को एक तरफ़ रखते हुए, जज़्बातों के सैलाब में बहकर कुछ ऐसा कर दिखाया, जो आज भी हमारी यादों में ज़िंदा है. जैसे ही ज़हीर ख़ान ने विजयी रन बनाए, गांगुली लॉर्ड्स की बालकनी में अपना टीशर्ट उतार कर हवा में लहराते हुए जीत का जश्न मनाने लगे. गांगुली का वो ऐतिहासिक जश्न सिर्फ़ एक भावुक पल नहीं था बल्कि उनके अपने आक्रामक अंदाज़ में एक जवाब था.

उस साल की शुरुआत में जब इंग्लैंड की टीम भारत के दौरे पर थी तब उनके ऑलराउंडर एंड्र्यू फ़्लिंटॉफ़ ने मुबंई में भारत को हराने के बाद ठीक उसी तरह अपने टीशर्ट को उतार कर जश्न मनाया था, लॉर्ड्स की बालकनी में सौरव गांगुली ने उसी की प्रतिक्रिया में अपने तेवर दिखाए थे. यह टीम इंडिया के नए तेवर का भी प्रतीक बन गया, जिसकी अगुवाई सौरव गांगुली कर रहे थे और टीम का आत्मविश्वास आने वाले वक़्त में टीम इंडिया के पराक्रम का आभास दे रहा था. कुछ लोगों ने गांगुली के टीशर्ट उतारकर जश्न मनाने को क्रिकेट की शालीनता के विरुद्ध माना तो बहुतों ने इसे क्रिकेट के प्रति सच्चे जुनून और दिल से निकले जज़्बात का प्रतीक माना जो हमेशा हमेशा के लिए क्रिकेट के इतिहास में दर्ज हो गया. इधर लॉर्ड्स में टीम इंडिया जीती, उधर भारत आधी रात को जश्न में डूब गया. जिन घरों में टीवी सेट तेंदुलकर के आउट होने के बाद बंद किए गए थे उन्हें पड़ोस से आती जश्न की आवाज़ों से जीत का पता चला, और वो भी जश्न में साथ हो लिए.

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