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पापांकुशा एकादशी आज, इस दिन भगवान पद्मनाभ की उपासना और दान का महत्व

पापांकुशा एकादशी 03 अक्टूबर 2025 को मनाई जा रही है. आश्विन मास के शुक्ल पक्ष की इस एकादशी का विशेष महत्व है. धार्मिक मान्यताओं के अनुसार इस दिन भगवान विष्णु और माता लक्ष्मी की पूजा तथा व्रत रखने से सभी दुख, रोग और पापों से मुक्ति मिलती है. साथ ही मृत्यु के बाद स्वर्गलोक की प्राप्ति होती है. इस व्रत पर दान का भी खास महत्व है, विशेषकर तिल, गौ, अन्न, भूमि और जल का दान पुण्यदायी माना जाता है.

पापांकुशा एकादशी आज, इस दिन भगवान पद्मनाभ की उपासना और दान का महत्व
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( Image Source:  Sora AI )
State Mirror Astro
By: State Mirror Astro

Updated on: 3 Oct 2025 6:00 AM IST

03 अक्टूबर को पापांकुशा एकादशी है. हिंदू पंचांग के अनुसार हर साल आश्विन माह के शुक्ल पक्ष की एकादशी तिथि को पापांकुशा एकादशी के नाम से मनाया जाता है. हिंदू धर्म में हर माह पड़ने वाली एकादशी का विशेष महत्व होता है. एकादशी पर भगवान विष्णु और माता लक्ष्मी की पूजा होती और इस दिन व्रत रखा जाता है.

धार्मिक मान्यताओं के अनुसार जो लोग पापांकुशा एकादशी व्रत रखते हैं उनके हर एक दुख, रोग और परेशानियों से मुक्ति मिल जाती है. इस व्रत को रखने से मृत्यु के बाद स्वर्गलोक की प्राप्ति होती है. आइए जानते हैं पापांकुश एकादशी की तिथि, मंत्र, महत्व और पूजा विधि.

पापांकुशा एकादशी 2025

हिंदू पंचांग के अनुसार आश्विन माह के शुक्ल पक्ष की एकादशी तिथि की शुरुआत 02 अक्टूबर को शाम 07 बजकर 11 मिनट से होगी, जिसका समापन 03 अक्टूबर को शाम 06 बजकर 33 मिनट पर होगा. ऐसे में पापांकुशा एकादशी 03 अक्टूबर को है.

पापांकुशा एकादशी 2025 पूजा विधि

पापांकुश एकादशी पर सुबह जल्दी उठकर नित्यकर्म करते हुए स्नान करें और साफ-सुथरे कपड़े धारण करें. फिर सूर्यदेव अर्घ्य देकर व्रत और पूजा का संकल्प लें. इसके बाद भगवान विष्णु और माता लक्ष्मी की पूजा आरंभ करें. पूजा में सबसे पहले भगवान विष्णु को पंचामृत से अभिषेक करें. इसके बाद भगवान विष्णु को फूल, माला, चंदन, अक्षत और तुलसी दल का भोग अर्पित करें. फिर इसके बाद घी का दीपक जलाकर भववान विष्णु की आरती करें. इस दौरान भगवान विष्णु के मंत्रों , चालीसा और एकादशी व्रत कथा का पाठ करें. शाम के समय दोबारा से भगवान विष्णु की पूजा और आरती करें. इसके बाद व्रत का पारण द्वाद्वशी तिथि पर करें. हिंदू पंचांग के अनुसार पापांकुशा एकादशी व्रत का पारण 4 अक्टूबर 2025 को सुबह 06 बजकर 23 मिनट से लेकर 08 बजकर 44 मिनट तक है.

पापांकुशा एकादशी पर पापों का होता है प्रायश्चित

हिंदू धर्म में हर एक एकादशी का विशेष महत्व होता है. पापाकुंशा एकादशी का व्रत रखने और भगवान विष्णु की पूजा करने से जाने-अनजाने में हुए सभी पापों का प्रायश्चित हो जाता है. इस व्रत का प्रभाव इतना होता है कि शास्त्रों में कहा गया है कि इस व्रत का पालन करने वाले को विष्णु लोक की प्राप्ति होती है.

पापांकुशा एकादशी पर दान का विशेष महत्व

पापांकुशा एकादशी पर दान करना बहुत भी अत्यंत पुण्यदायी होता है. इस दिन व्यक्ति को तिल, भूमि, गौ, अन्न, जल, जूते और छाते का दान करना चाहिए. पापाकुंशा एकादशी को दान-पुण्य का श्रेष्ठ दिन माना जाता है.

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