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कब है मार्गशीर्ष माह का पहला प्रदोष व्रत, जानिए पूजा का महत्व और शुभ मुहूर्त

मार्गशीर्ष माह का पहला प्रदोष व्रत इस बार भक्तों के लिए खास महत्व लेकर आ रहा है. भगवान शिव को समर्पित यह पावन व्रत हर महीने त्रयोदशी तिथि को रखा जाता है, लेकिन मार्गशीर्ष मास में इसका महत्व और भी बढ़ जाता है क्योंकि इस अवधि को देवताओं का प्रिय समय माना गया है. माना जाता है कि प्रदोष काल में की गई पूजा से शिवजी प्रसन्न होकर साधक की सभी मनोकामनाएं पूर्ण करते हैं और जीवन के कष्ट दूर करते हैं.

कब है मार्गशीर्ष माह का पहला प्रदोष व्रत, जानिए पूजा का महत्व और शुभ मुहूर्त
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( Image Source:  AI Perplexity )
State Mirror Astro
By: State Mirror Astro

Updated on: 16 Nov 2025 8:00 AM IST

हिंदू धर्म में प्रदोष व्रत का खास महत्व होता है. प्रदोष व्रत का सीधा संबंध भगवान शिव से होता है. शिव पुराण में प्रदोष व्रत के महत्व के बारे में बताया गया है. प्रदोष व्रत भगवान शिव को प्रसन्न करने का श्रेष्ठ अवसर होता है. धार्मिक मान्यताओं के अनुसार प्रदोष व्रत, पूजन और विशेष दान करने से जीवन के सभी कष्ट दूर होते हैं.

जो भी भक्त प्रदोष व्रत रखता है भगवान भोलेनाथ की पूजा-अर्चना करता है उसकी सभी तरह की मनोकामनाएं पूरी होती हैं. सोमवार के दिन पड़ने के कारण सोम प्रदोष व्रत कहा जाता है. आइए जानते हैं प्रदोष व्रत, तिथि और महत्व.

सोम प्रदोष व्रत तिथि 2025

हिंदू पंचांग के अनुसार, मार्गशीर्ष माह के कृष्ण पक्ष की त्रयोदशी तिथि की शुरुआत 17 नवंबर को सुबह 4 बजकर 46 मिनट से आरंभ होकर अगले दिन 18 नवंबर की सुबह 7 बजकर 11 मिनट तक रहेगा. ऐसे में उदया तिथि के आधार पर सोम प्रदोष व्रत रखा जाएगा.

व्रत का महत्व

सनातन धर्म में प्रदोष व्रत का विशेष महत्व होता है. सोमवार का दिन भगवान शिव और चंद्रदेव को समर्पित होता है. सोमवार का संबंध भगवान शिव और चंद्रमा से होता है. ऐसे में सोमवार का व्रत रखने से चंद्र दोष से मुक्ति मिलती है. इसके अलावा भगवान शिव और माता की पूजा करने से दांपत्य जीवन में सुख-समृद्धि आती है. सोम प्रदोष व्रत पर भगवान शिव को बेल पत्र, चंदन, भांग, अधूरा और फूल अर्पित करना चाहिए. प्रदोष व्रत पर भगवान शिव की पूजा प्रदोष काल में करना बहुत ही श्रेष्ठ माना जाता है. धार्मिक शास्त्रों के अनुसार, प्रदोष काल में भगवान शिव सपरिवार कैलाश से पृथ्वी पर आते हैं और अपने भक्तों को दर्शन देते हैं. इस समय जो भी श्रद्धापूर्वक व्रत रखकर पूजन करता है, उसे विशेष पुण्य और शिव कृपा प्राप्त होती है.

पूजन विधि

सोम प्रदोष व्रत में प्रातः स्नान कर व्रत का संकल्प लें. दिनभर फलाहार रहें और शाम को प्रदोष काल भगवान शिव का रुद्राभिषेक करें. बेलपत्र, धतूरा, आक, शमीपत्र, गाय का कच्चा दूध, शहद, दही, गंगाजल आदि से शिवलिंग का अभिषेक करें. "ॐ नमः शिवाय" और "महामृत्युंजय मंत्र" का जाप करें.

सोम प्रदोष व्रत शुभ मुहूर्त 2025

प्रदोष व्रत की पूजा प्रदोष काल में करने का विधान होता है. प्रदोष काल का समय सूर्यास्त के डेढ़ घंटे बाद का होता है. प्रदोष काल में भगवान शिव की पूजा, जलाभिषेक और प्रदो, स्त्रोत का पाठ करना बहुत अत्यंत शुभ फलदायी होता है. वहीं अभिजीत मुहूर्त में पूजा करना बहुत ही शुभ माना जाता है. इस दिन अभिजीत मुहूर्त का समय 11 बजकर 45 मिनट से शुरू होकर 12 बजकर 27 मिनट तक रहेगा.

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