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शनि-मंगल की द्दष्टि से 2 राशि वालों को 13 सितंबर तक रहना होगा सतर्क, बढ़ सकती हैं मुश्किलें

आपको बता दें कि इस समय ग्रहों की चाल कुछ खास है. मंगल और शनि दोनों एक-दूसरे पर दृष्टि डाल रहे हैं, जिसे ज्योतिष में अत्यंत प्रभावशाली और चुनौतीपूर्ण स्थिति माना जाता है. मंगल, जो ऊर्जा, क्रोध और जोश का प्रतीक है, जब शनि पर दृष्टि डालता है, तो वह उसके धैर्य और स्थिरता को प्रभावित करता है. इससे व्यक्ति के जीवन में जल्दबाज़ी, टकराव या फैसलों में उतावलापन बढ़ सकता है.

शनि-मंगल की द्दष्टि से 2 राशि वालों को 13 सितंबर तक रहना होगा सतर्क, बढ़ सकती हैं मुश्किलें
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( Image Source:  Instagram- @shanidev_lovers )
State Mirror Astro
By: State Mirror Astro

Updated on: 23 Aug 2025 6:09 PM IST

वैदिक ज्योतिष शास्त्र में शनि और मंगल को पापी ग्रह माना जाता है. कुंडली में शनि-मंगल की अशुभ स्थिति से जातकों के जीवन में कई तरह-तरह की परेशानियों का सामना करना पड़ता है. शनि अभी मीन राशि में विराजमान हैं और मंगल कन्या राशि में गोचर कर रहे हैं. ऐसे में ये दोनों ही ग्रह एक दूसरे के सामने आ गए हैं. मंगल और शनि की यह दुर्लभ स्थिति का प्रभाव 13 सितंबर 2025 की रात 08 बजकर 18 मिनट तक रहेगा.

इसके बाद मंगल का गोचर तुला राशि में होगा जिससे मंगल और शनि की संयुक्त द्दष्टि एक दूसरे पर खत्म हो जाएगी. शनि को न्याय का देवता और मंगलदेव को ग्रहों का सेनापति कहा जाता है ऐसे में जब ये दोनों ही एक-दूसरे के आमने-सामने बैठे होंगे तब अनुशासन में रहते हुए एक अशुभ स्थिति का निर्माण करते हैं. ऐसे में कुछ राशि वालों को कई तरह की परेशानियों का सामना करना पड़ सकता है. शनि-मंगल की संयुक्त द्दष्टि से इन राशियों पर सबसे ज्यादा प्रभाव देखने को मिलेगा.

कन्या राशि

कन्या राशि द्विस्भाव की राशि होती है. कन्या राशि वालों के लिए मंगलदेव तीसरे और आठवें भाव के स्वामी होते हैं और अभी आपके लग्न भाव में विराजमान हैं. वहीं शनि आपकी कुंडली के पंचम और छठे भाव के स्वामी होकर सातवें भाव में विराजममान हैं. ऐसे में लग्न और सप्तम भाव में ऊर्जा का प्रभाव है. शनि- मंगल दोनों की ही संयुक्त द्दष्टि आपके लिए तमाम तरह की परेशानियां ला सकती है. ऐसे में दांपत्य जीवन और बिजनेस में पार्टनशिप के लिए दिक्कतों को सामना करना होगा. आपके लग्न भाव में मंगल का होना आपके गुस्से में बढ़ोतरी ला सकता है. वहीं कुंडली का सातवां भाव में शनि की द्दष्टि से आपके कामकाज में देरी ला सकता है. कार्यक्षेत्र में आपको कई तरह के उतार-चढ़ाव का सामना करना पड़ सकता है. इसके अलावा युद्ध और भूमि के कारक ग्रह मंगल की द्दष्टि आपके चौथे भाव पर होने से घर-परिवार में तनाव का माहौल हो सकता है. ऐसे में आपको सतर्क रहना पड़ सकता है.

मीन राशि

मीन राशि वालों के लिए मंगलदेव आपके दूसरे और नवम भाव के स्वामी होते हैं, वहीं दूसरी तरफ शनिदेव आपके ग्यारहवें और बारहवें भाव के स्वामी हैं. ऐसे में मीन राशि के जातकों के लिए शनिदेव आपके लग्न भाव में स्थित हैं और मंगलदेव आपके सातवें भाव में मौजूद हैं. ऐसे में दोनों ग्रह एक दूसरे के आमने-सामने स्थित हैं. ज्योतिष शास्त्र के अुनसार कुंडली के सप्तम भाव में मंगल की स्थिति को शुभ नहीं माना जाता है. वहीं इसके उलट न्याय और कर्मफलदाता शनि लग्न भाव मे उपस्थिति होकर आपके कार्यो में धीमापन ला सकते हैं. शनि और मंगल दोनों ही एक-दूसरे के विरोधी माने जाते हैं और मीन राशि के जातकों को कई तरह की परेशानियों का सामना करना पड़ सकता है.

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