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Diwali 2025: दिवाली पूजन के लिए कैसी होनी चाहिए माता लक्ष्मी की मूर्ति? खरीदते समय इन 4 नियमों का रखें ध्यान

दिवाली का त्योहार मां लक्ष्मी की आराधना और समृद्धि का प्रतीक माना जाता है. इस दिन किए गए विधिवत पूजन से घर में सुख-समृद्धि और धन की वृद्धि होती है. मान्यता है कि दीपावली की रात स्वयं धन की देवी लक्ष्मी पृथ्वी लोक पर भ्रमण करती हैं और जहां स्वच्छता, नियम और श्रद्धा होती है, वहां स्थायी रूप से विराजमान होती हैं. इसलिए दिवाली पूजा के लिए माता लक्ष्मी की मूर्ति चुनते समय कुछ नियमों का ध्यान रखना बेहद आवश्यक माना गया है.

Diwali 2025: दिवाली पूजन के लिए कैसी होनी चाहिए माता लक्ष्मी की मूर्ति? खरीदते समय इन 4 नियमों का रखें ध्यान
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( Image Source:  Meta AI: Representative Image )
State Mirror Astro
By: State Mirror Astro

Updated on: 18 Oct 2025 6:00 AM IST

दीपावली सनातन धर्म का सबसे प्रमुख और बड़ा त्योहार माना जाता है. हिंदू पंचांग के अनुसार, हर वर्ष कार्तिक माह के कृष्ण पक्ष की अमावस्या तिथि को दीपावली मनाई जाती है. दीपावली लगातार पांच दिनों तक चलने वाला त्योहार होता है. धनतेरस से दिवाली की शुरूआत होती है और भाई दूज दिवाली का आखिरी पर्व होता है. दिवाली रौशनी, सुख-समृद्धि, धन-ऐश्वर्य और सपन्नता का पर्व है. दिवाली की शाम को माता लक्ष्मी, भगवान गणेश और कुबेर देव की पूजा का विशेष महत्व होता है. धार्मिक मान्यता है कि धन और सुख-समृद्धि की देवी मां लक्ष्मी हर वर्ष कार्तिक माह की अमावस्या की रात को स्वयं पृथ्वी पर वास करती हैं और भ्रमण पर रहती हैं. इस कारण से दिवाली पर प्रदोष काल और स्थिर लग्न में मां लक्ष्मी की विशेष रूप से पूजा आराधना की जाती है.

माता उन्ही घरों में वास करती हैं जहां पर विधि-विधान के साथ पूजन होता है. इस अलावा दिवाली पर लक्ष्मी पूजन के लिए माता की मूर्ति या तस्वीर के चुनाव का भी विशेष महत्व होता है. ऐसे में शास्त्र सम्मत माता लक्ष्मी मूर्ति होनी चाहिए. आइए जानते हैं माता लक्ष्मी की मूर्ति खरीदते समय किन-किन बातों का विशेष ध्यान देना चाहिए.

मां लक्ष्मी की बैठी हुई मुद्रा में मूर्ति या तस्वीर

शास्त्रों के अनुसार दिवाली पर माता लक्ष्मी के पूजन के लिए उनकी मूर्ति हमेशा बैठी हुई मुद्रा में ही होनी चाहिए. भूलकर भी खड़ी हुई मुद्रा में माता लक्ष्मी की मूर्ति का चुनाव नहीं करना चाहिए. खड़ी हुई मुद्रा में माता लक्ष्मी को चंचला और अस्थिर माना जाता है क्योंकि खड़ी हुई मुद्रा में माता लक्ष्मी उस स्थान से जाने के लिए तैयार रहती हैं. वहीं दूसरी तरफ बैठी हुई मुद्रा में मां लक्ष्मी की मूर्ति में घर में स्थाई रूप से विराजामन होती हैं. ऐसे में घर पर मां लक्ष्मी का वास हमेशा के लिए बना रहे तो इसके लिए बैठी हुई मुद्रा में ही मूर्ति लेना चाहिए.

कमल के फूल पर हों विराजमान

दिवाली पर मां लक्ष्मी की मूर्ति या तस्वीर में मां लक्ष्मी कमल के फूल पर बैठी हुईं होनी चाहिए. कमल के फूल में मां लक्ष्मी के विराजमान होने पर सुख-समृद्धि और शुभता का वास होता है.

वरदान मुद्रा में मां लक्ष्मी

दिवाली के लिए मां लक्ष्मी की मूर्ति का चुनाव करते समय माता लक्ष्मी का हाथ वरदान की मुद्रा में होना चाहिए. माता की मूर्ति में उनका दाहिना हाथ आशीर्वाद देते हुए होना चाहिए. इससे माता का आशीर्वाद सुख, समृद्धि और हर तरह की मनोकामनाओं की पूर्ति के लिए होता है. इससे मां लक्ष्मी आपके घर में हमेशा वास करते हुए कृपा बरसाती हैं.

हाथ से सोने के सिक्कों का गिरना

दिवाली के लिए माता लक्ष्मी की मूर्ति का चुनाव करते समय तस्वीर या मूर्ति ऐसी होनी चाहिए जिसमें उनके हाथों से सोने के सिक्के नीचे गिरते हुए या वर्षा करते हुए दिखाए गए हों. माता लक्ष्मी काी यह मुद्रा जीवन में समृद्धि की निरंतरता और अक्षय भंडार का प्रतीक है. इसके साथ ही लक्ष्मी माता के साथ हाथी का होना भी अत्यंत शुभ माना जाता है.

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