Diwali 2025: कब है दिवाली 20 या 21 अक्टूबर, जानिए पंच दीपोत्सव का कैलेंडर और महत्व
दीवाली 2025 का पंच दीपोत्सव 18 अक्टूबर से 23 अक्टूबर तक मनाया जाएगा. इसकी शुरुआत धनतेरस से होगी और समापन भाई दूज पर. इस बार अमावस्या तिथि 20 अक्टूबर दोपहर से 21 अक्टूबर शाम तक रहेगी, इसलिए लक्ष्मी पूजन और दीपावली का पर्व 20 अक्टूबर को मनाया जाएगा. प्रदोष काल में शाम 7:08 से रात 8:18 तक लक्ष्मी पूजन का शुभ मुहूर्त रहेगा. पांच दिवसीय पर्व में धनतेरस, छोटी दिवाली, दीपावली, गोवर्धन पूजा और भाई दूज का विशेष महत्व होता है.

दिवाली का पर्व पांच दिनों तक चलता है. पंच दीपोत्सव की शुरुआत धनतेरस से हो जाती है और यह भैया दूज पर समाप्त होती है. पांच दिनों तक चलने वाले दीवाली उत्सव में अमावस्या तिथि का विशेष महत्व होता है. इस दिन लक्ष्मी पूजन, गणेश पूजन और दिवाली पूजन का खास महत्व होता है.
हिंदू पंचांग के अनुसार कार्तिक माह के कृष्ण पक्ष की त्रयोदशी तिथि से लेकर कार्तिक शुक्ल पक्ष की द्वितीया तिथि देशभर में दीपावली का उत्सव बहुत हो उमंग के साथ मनाई जाती है. आइए जानते हैं पांच दिनों तक चलने वाले दीपोत्सव पर्व के हर एक दिन का महत्व के बारे में विस्तार से...
दिवाली कब है?
धनतेरस के दिन से पांच दिनों तक चलने वाले दीपोत्सव पर्व की शुरुआत होती है. दिवाली इसमें सबसे खास दिन होती है. अमावस्या तिथि पर दिवाली मनाई जाती है और इस दिन लक्ष्मी पूजन का विशेष महत्व होता है. इस वर्ष दिवाली का पर्व 20 अक्टूबर को मनाया जाएगा. पंचांग की गणना के अनुसार, कार्तिक अमावस्या तिथि की शुरुआत 20 अक्टूबर को दोपहर 03 बजकर 44 मिनट से शुरू होगी, जो 21 अक्टूबर को शाम 05 बजकर 54 मिनट तक रहेगी. शास्त्रों में दिवाली पर लक्ष्मी पूजन सूर्यास्त के बाद ही करने का विधान होता है ऐसे में दिवाली का त्योहार 20 अक्टूबर को मनाया जाएगा.
दिवाली पर लक्ष्मी पूजन का शुभ मुहूर्त
दिवाली की रात अमावस्या तिथि पर प्रदोष काल में लक्ष्मी पूजन सबसे शुभ समय माना जाता है. ऐसे में दिवाली पर लक्ष्मी पूजन के लिए 20 अक्टूबर को शाम 07 बजकर 08 मिनट से लेकर रात 08 बजकर 18 मिनट तक का समय शुभ रहेगा. इस दिन प्रदोष काल का मुहूर्त शाम 05 बजकर 46 मिनट से लेकर रात 08 बजकर 18 मिनट तक रहेगा. इस मुहूर्त में लक्ष्मी-गणेश स्थापित करना और पूजन करना अच्छा रहेगा.
दिवाली कैलेंडर 2025
पहला दिन- धरतेरस
धनतेरस का त्योहार पांच दिनों तक चलने वाले दीपोत्सव का पहला दिन होता है. धनतेरस के दिन से पर्व की शुरुआत हो जाती है. 18 अक्टूबर 2025 को धनतेरस रहेगा. धनतेरस पर शुभ चीजों की खरीदारी करने का विशेष महत्व होता है इस दिन माता लक्ष्मी और भगवान कुबेर की पूजा करने का महत्व होता है. धनतेरस पर सोना-चांदी और बर्तन की खरीदारी करने का विशेष महत्व होता है. धनतेरस पर शुभ खरीदारी का मुहूर्त दोपहर 12 बजकर 18 मिनट से लेकर दोपहर 01 बजकर 51 मिनट तक का रहेगा. इस मुहूर्त में खरीदारी करना शुभ रहेगा.
दूसरा दिन- नरक चतुर्दशी
पंच दीपोत्सव पर्व के दूसरे दिन नरक चतुर्दशी का उत्सव मनाया जाता है. 19 अक्टूबर 2025 को नरक चतुर्दशी है. नरक चतुर्दशी को छोटी दिवाली और रूप चौदस के नाम से भी जाना जाता है. नरक चतुर्दशी के दिन घर के दक्षिण दिशा में दीपक रखा जाता है. जिसे यम का दीपक भी बोला जाता है. रूप चौदस पर शरीर पर उबटन लगाया जाता है फिर स्नान करने की परंपरा होती है.
तीसरा दिन- दिवाली लक्ष्मी पूजा
दिवाली के तीसरे दिन यानी कार्तिक अमावस्या पर दिवाली का पर्व मनाया जाता है. इस दिन दीपों का पर्व शुभ दीपावली मनाई जाती है. इस दिन घरों को रंगोली और रंग-बिरंगी रोशनी से सजाया जाता है. दिवाली की रात को लक्ष्मी-गणेश पूजन का विशेष महत्व होता है. इस रात को धन प्राप्ति के लिए कई तरह के उपाय भी किए जाते हैं. 20 अक्टूबर को दिवाली है.
चौथा दिन- गोवर्धन पूजा
22 अक्टूबर को गोवर्धन पूजा है. जिसे अन्नकूट के नाम भी मनाया जाता है. हर वर्ष कार्तिक शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा तिथि को यह पर्व मनाया जाता है.
पांचवां दिन- भाई दूज
पंचदीपोत्सव के आखिरी दिन भाई दूज का त्योहार मनाया जाता है. यह 23 अक्टूबर को है. भाई दूज का त्योहर भाई-बहन के आपसी प्रेम और पवित्र रिश्तों का पर्व है. इस दिन बहन भाई को टीका लगती हैं.