Begin typing your search...

क्या है हॉट फ्लैशेस? जिस पर खुलकर बात करना चाहती हैं Twinkle Khanna

जॉन हॉपकिंस मेडिसिन के अनुसार, हॉट फ्लैशेस आमतौर पर महिलाओं को 40 साल की उम्र के बाद अनुभव होने लगते हैं और यह मोनोपॉज से पहले, दौरान या बाद में हो सकते हैं. इसका सबसे प्रमुख कारण होता है शरीर में एस्ट्रोजन नामक हार्मोन का कम होना.

क्या है हॉट फ्लैशेस? जिस पर खुलकर बात करना चाहती हैं Twinkle Khanna
X
( Image Source:  Instagram : twinklerkhanna )
रूपाली राय
Edited By: रूपाली राय

Updated on: 1 Jun 2025 12:18 AM IST

बॉलीवुड पूर्व एक्ट्रेस और ऑथर ट्विंकल खन्ना (Twinkle Khanna) अक्सर अपनी बेबाक सोच और कॉमेडी से भरपूर अंदाज से गंभीर मुद्दों को रोचक बना देती हैं. हाल ही में उन्होंने एक ऐसा टॉपिक छेड़ा, जिस पर आमतौर पर खुलकर बात नहीं की जाती. वह मेनोपॉज के दौरान होने वाला एक आम लेकिन परेशान करने वाला लक्षण, हॉट फ्लैशेस (Hot Flashes).

51 साल की ट्विंकल ने इंस्टाग्राम पर एक मज़ेदार पोस्ट शेयर की जिसमें उन्होंने खुद की और अपने पालतू कुत्ते की एक तस्वीर पोस्ट करते हुए लिखा, 'हम दोनों ही पीड़ित हैं. मैं गर्मी की वजह से, वह कान में खुजली. हम में से एक, हमेशा की तरह, अपनी ही दुम का पीछा कर रहा है। अनुमान लगाइए कौन?.' यह मज़ाकिया अंदाज भले ही हल्का लगे, लेकिन इस पोस्ट के ज़रिए ट्विंकल ने एक ऐसी अहम हेल्थ कंडीशन को सामने रखा जिसे कई महिलाएं चुपचाप सहती हैं और अक्सर बिना किसी समर्थन या सही जानकारी के.

क्या होता है हॉट फ्लैश?

हॉट फ्लैश एक ऐसी स्थिति है जिसमें अचानक शरीर में तेज गर्मी महसूस होती है, खासकर चेहरे, गर्दन और सीने पर. यह कुछ सेकंड से लेकर 5 मिनट तक रह सकती है और अक्सर पसीना, चेहरे पर रेडनेस, तेज धड़कन और बेचैनी का कारण बनती है. अगर यह रात में होती है, तो इसे नाइट स्वेट्स (Night Sweats) कहा जाता है. इस दौरान महिलाएं न केवल शारीरिक असहजता से जूझती हैं, बल्कि उन्हें नींद में खलल, थकावट, चिड़चिड़ापन और कंसंट्रेशन में कमी जैसी परेशानियों का भी सामना करना पड़ सकता है.

कब और क्यों होता है हॉट फ्लैश?

जॉन हॉपकिंस मेडिसिन के अनुसार, हॉट फ्लैशेस आमतौर पर महिलाओं को 40 साल की उम्र के बाद अनुभव होने लगते हैं और यह मोनोपॉज से पहले, दौरान या बाद में हो सकते हैं. इसका सबसे प्रमुख कारण होता है शरीर में एस्ट्रोजन नामक हार्मोन का कम होना. मेयो क्लिनिक के मुताबिक, एस्ट्रोजन में गिरावट के कारण मस्तिष्क का हाइपोथैलेमस, जो शरीर का तापमान कंट्रोल करता है, ज़रा-सी गर्मी को भी खतरे की तरह महसूस करता है. इसके परिणामस्वरूप शरीर तुरंत पसीना बहाना शुरू कर देता है ताकि खुद को ठंडा कर सके, और यही हॉट फ्लैश कहलाता है. हालांकि इसमें अन्य कारण भी शामिल हो सकते हैं जैसे- कुछ दवाओं का सेवन (जैसे एंटी-डिप्रेसेंट्स), थायरॉयड संबंधी समस्याएं, अत्यधिक तनाव और चिंता कुछ कैंसर या मेडिकल ट्रीटमेंट.

इससे कैसे निपटें?

हॉट फ्लैशेस का कोई एक समाधान नहीं है, लेकिन सही गाइडेंस और लाइफस्टाइल में बदलाव से इसे काफी हद तक कंट्रोल किया जा सकता है. जॉन हॉपकिंस मेडिसिन द्वारा सुझाए गए उपाय के अनुसार.

-ढीले और सांस लेने वाले कपड़े पहनें

-कैफीन, शराब और मसालेदार चीज़ों से बचें

-शरीर का तापमान कंट्रोल रखने के लिए पंखा या ठंडे पेय का उपयोग करें

-ध्यान, योग या डीप ब्रीथ के प्रैक्टिस से तनाव कम करें

-एक्यूपंक्चर कई महिलाओं को राहत देता है

-गंभीर मामलों में, डॉक्टर हार्मोनल रिप्लेसमेंट थेरेपी (HRT) या अन्य दवाएं सुझा सकते हैं

-हां, ध्यान दें: किसी भी प्रकार की दवा या थेरेपी शुरू करने से पहले अपने स्त्री रोग विशेषज्ञ या हेल्थकेयर प्रोफेशनल से सलाह अवश्य लें।

क्यों ज़रूरी है इस विषय पर खुलकर बात करना?

ट्विंकल खन्ना जैसे जानी-मानी शख्सियत द्वारा इस टॉपिक को सामने लाना सिर्फ एक स्वास्थ्य समस्या पर ध्यान देना नहीं है. यह एक सोशल साइलेंस तोड़ने की दिशा में कदम है. भारत में आज भी मोनोपॉज और उससे जुड़ी समस्याओं को लेकर खुलकर बात नहीं की जाती. महिलाएं अक्सर खुद को कमज़ोर दिखाने के डर से चुप रह जाती हैं. परंतु सच यह है कि यह एक नेचुरल प्रोसेस है और इसके लक्षणों से जूझना न तो शर्म की बात है और न ही अकेले सहने की ज़रूरत.

हेल्‍थ
अगला लेख