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Gen Z की नई क्लास: अब चावल बनाना और टायर बदलना भी कोर्स में आया, जानें क्या है Adulting 101 क्रैश कोर्स

जेन जी अब Adulting 101 क्रैश कोर्स कर रहा है, जिसमें बेसिक चीजें जैसे खाना जलने से कैसे बचाएं. साथ ही, टायर कैसे बदले जैसी चीजें सिखाई जाएंगी, जो एक दौर में हर किसी को आती थी, लेकिन अब बच्चे इन्हीं चीजों को भूलते जा रहे हैं.

Gen Z की नई क्लास: अब चावल बनाना और टायर बदलना भी कोर्स में आया, जानें क्या है Adulting 101 क्रैश कोर्स
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( Image Source:  Create By Grok AI )
हेमा पंत
Edited By: हेमा पंत

Updated on: 16 Nov 2025 10:56 AM IST

जरा सोचिए, क्या आप अपनी कार का टायर बदल सकते हैं? या अपने कपड़े खुद सिल सकते हैं? क्या आपको पता है किराए, बिजली-पानी के बिल या बैंक के कागज कैसे संभालते हैं? अगर जवाब 'नहीं' है, तो फिक्र मत कीजिए, आप अकेले नहीं हैं!

आज की जनरेशन ज़ेन ज़ी यानी वे लोग जो 1997 से 2012 के बीच पैदा हुए. अब बड़े हो रहे हैं. लेकिन उनके सामने एक अलग तरह की परेशानी है. पहले जो काम आम बात माने जाते थे, जैसे चावल पकाना, कपड़े धोना या टायर बदलना, अब इन्हीं कामों में Gen Z को दिक्कत हो रही है.

'एडल्टिंग 101'-जिंदगी का क्रैश कोर्स

इसी जरूरत को समझते हुए अब कई कॉलेज और यूनिवर्सिटी 'एडल्टिंग 101' नाम का कोर्स चला रहे हैं. जैसे वाटरलू यूनिवर्सिटी ने 2023 में एक ऑनलाइन कोर्स शुरू किया, जिसमें कई टॉपिक्स कवर किए जाते हैं, जैसे खाना जलने से कैसे बचाएं. रिश्ते कैसे संभालें. किराने की खरीदारी कैसे करें. घर की देखभाल कैसे करें. सेहतमंद खाना कैसे चुनें. यह कोर्स स्टूडेंट्स को रोजमर्रा की जिम्मेदारियां निभाना सिखाता है, ताकि वे आत्मनिर्भर बन सकें.

Gen Z के पास नहीं है जरूरी हुनर

सैन डिएगो स्टेट यूनिवर्सिटी की प्रोफेसर जीन ट्वेंग ने कहा कि 'Gen Z के पास वे जरूरी हुनर नहीं हैं, जो उन्हें होने चाहिए. वो मानती हैं कि इसका एक बड़ा कारण माता-पिता का बच्चों पर जरूरत से ज्यादा ध्यान देना है. इससे बच्चे खुद से सीख ही नहीं पाए.'

क्या सॉल्यूशन है?

जीन ट्वेंग का कहना है कि इसका सॉल्यूशन भी है. उन्होंने कहा कि ' एडल्टिंग 101' जैसे कोर्स तो जरूरी हैं ही, लेकिन असली हल बचपन से ही बच्चों को छोटी-छोटी जिम्मेदारियां देना है. जैसे कपड़े तह करना, खाना बनाना, बिल भरना, या छोटी-मोटी मरम्मत करना.

आज के युवा जब रोजमर्रा की छोटी-छोटी चीजों में उलझ रहे हैं, तो साफ है कि सिर्फ किताबों से काम नहीं चलेगा हमें उन्हें जिंदगी जीने के असली तरीके भी सिखाने होंगे,ताकि वे सचमुच आत्मनिर्भर और मजबूत बन सकें. आखिर, अडल्ट बनना सिर्फ डिग्री लेने से नहीं, असली जिंदगी को समझने और संभालने से आता है!

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