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क्‍या 2047 तक खत्‍म हो जाएगा सिकल सेल एनीमिया? आदिवासी इलाकों में मचाई तबाही, जानें कितनी खतरनाक है ये बीमारी

भारत में सिकल सेल एनीमिया घातक रूप लेती जा रही है. इस बीमारी से खासतौर पर आदिवासी लोग प्रभावित हो रहे हैं. यह एक जेनेटिक रेड ब्लड सेल्स से जुड़ी बीमारी है, जिसके चलते शरीर के कुछ अंगों को नुकसान पहुंचता है. अब सरकार ने सिकल सेल एनीमिया को 2047 तक खत्‍म करने का अभियान शुरू किया है.

क्‍या 2047 तक खत्‍म हो जाएगा सिकल सेल एनीमिया? आदिवासी इलाकों में मचाई तबाही, जानें कितनी खतरनाक है ये बीमारी
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( Image Source:  Freepik )
हेमा पंत
Edited By: हेमा पंत

Updated on: 27 May 2025 12:36 PM IST

कल्पना कीजिए एक छोटा सा गांव, जहां एक परिवार के कई सदस्य बार-बार तेज दर्द, कमजोरी और अस्पताल के चक्कर से परेशान हैं. यह कहानी है स्वाति और लहरू लोहारा जैसे हजारों परिवारों की, जिनकी जिंदगी सिकल सेल एनीमिया नाम की बीमारी ने बदल दी है. यह एक जेनेटिक बीमारी है, जो रेड ब्लड सेल्स पर असल डालती है.

भारत में यह बीमारी खासतौर पर ओडिशा, झारखंड, छत्तीसगढ़, मध्य प्रदेश और महाराष्ट्र के आदिवासी इलाकों में ज्यादा मिलती है. यह बीमारी कितनी खतरनाक है आप इस बात से पता लगा सकते हैं कि इन जगहों पर हर 86 में से एक आदिवासी बच्चा इस बीमारी के साथ जन्म लेता है. वजह यह है कि इन समुदायों में आपस में शादी करने से वही जीन बार-बार आगे बढ़ता है. यह बीमारी इतनी खतरनाक है कि अब इसे खत्म करने के लिए सरकार ने कदम उठाने शुरू कर दिए हैं.

क्या है सिकल सेल एनीमिया बीमारी?

आमतौर पर ये सेल्स गोल और मुलायम होते हैं, लेकिन इस बीमारी में वे हंसिया (सिकल) या चांद की तरह सख्त और टेढ़ी हो जाती हैं. ऐसे सेल्स खून की नलियों में फंस जाते हैं, जिससे शरीर के अंगों तक ऑक्सीजन नहीं पहुंच पाता और मरीज को तेज दर्द, थकावट और कई अंगों को नुकसान हो सकता है.

बीमारी के लक्षण

इस बीमारी के कई लक्षण हैं. अगर आपके हाथ-पैर, सीने, पेट और जोड़ों में अचानक तेज दर्द होने लगे, तो हो सकता है कि यह सिकल सेल एनीमिया का कारण हो. इसके अलावा बार-बार कमजोरी और थकान महसूस होना. साथ ही, संक्रमण जल्दी होना, बच्चों की बढ़वार धीमी होना. अंगों जैसे स्प्लीन, फेफड़े, दिल, किडनी और आंखों को नुकसान भी शामिल है.

सरकार और समाज की कोशिशें

सरकार ने 2047 तक इस बीमारी को खत्म करने का लक्ष्य रखा है. इसके तहत खासकर आदिवासी इलाकों में 2023-26 के बीच 7 करोड़ लोगों की जांच की जाएगी. ICMR ने सामाजिक कलंक को कम करने के लिए नया टूल (ISSSI) बनाया है. अब HPLC जैसी आधुनिक तकनीक से सही जांच और AIIMS भोपाल में नवजात शिशुओं की स्क्रीनिंग होगी.

कैसे बचें और क्या करें?

इस बीमारी से बचने के लिए समय पर जांच कराएं. खासकर अगर परिवार में किसी को यह बीमारी है. इसके अलावा, खूब पानी पिएं और डॉक्टर की सलाह से दवाएं लें. शादी से पहले जेनेटिक काउंसलिंग लें, ताकि बीमारी आगे न बढ़े. सिकल सेल एनीमिया एक गंभीर बीमारी है, लेकिन समय पर जांच, सही इलाज और जागरूकता से इस पर काबू पाया जा सकता है. सरकार, डॉक्टर और समाज मिलकर इस बीमारी से लड़ रहे हैं, ताकि हर परिवार को एक स्वस्थ और दर्द रहित जिंदगी मिल सके.

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