कौन हैं पीपी चौधरी, जो One Nation One Election पर बनी JPC के चुने गए अध्यक्ष?
Who is P P Chaudhary: वन नेशन वन इलेक्शन को लेकर लोकसभा में पेश किए विधेयकों पर विचार करने के लिए 39 सदस्यीय जेपीसी का गठन किया गया है. इसका अध्यक्ष बीजेपी सांसद पीपी चौधरी को बनाया गया है. पीपी चौधरी कौन हैं और उनका राजनीतिक सफर कैसा रहा, आइए जानते हैं...

Who is PP Choudhary: देश में एक साथ लोकसभा और विधानसभा चुनाव कराने के लिए वन नेशन वन इलेक्शन बिल को लोकसभा में पेश करने के बाद संयुक्त संसदीय समिति यानी जेपीसी के पास भेज दिया गया. इस समिति में कुल 39 सदस्य हैं, जिनमें लोकसभा और राज्यसभा के सदस्य शामिल हैं. जेपीसी का अध्यक्ष पीपी चौधरी को चुना गया है.
पीपी चौधरी की अध्यक्षता वाली जेपीसी One Nation One Election लागू करने संबंधी दो विधेयकों पर विचार करेगी. इन विधेयकों में संविधान (129वां संशोधन) विधेयक, 2024 और केंद्र शासित प्रदेश कानून (संशोधन), विधेयक 2024 शामिल हैं. आइए, पीपी चौधरी के राजनीतिक सफर पर एक नजर डालते हैं...
कम उम्र में बने RSS के सदस्य
पीपी चौधरी ने कम उम्र में ही राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (RSS) के सदस्य बन गए. उन्होंने 2014 में मोदी लहर के दौरान अपना पॉलिटिकल डेब्यू किया और राजस्थान की पाली लोकसभा सीट से जीत दर्ज की. इससे पहले, वे सुप्रीम कोर्ट और राजस्थान हाईकोर्ट में वरिष्ठ अधिवक्ता के रूप में काम कर रहे थे. उन्होंने पाली सीट से 2024 में लगातार तीसरी बार जीत हासिल की.
चौधरी 2016 में अपने पहले कार्यकाल के दौरान, कई संसदीय समितियों का हिस्सा रहे थे. इसमें संयुक्त संसदीय स्थायी समिति के अध्यक्ष का पद भी शामिल था. उन्हें मोदी सरकार में कानून और न्याय मंत्रालय और इलेक्ट्रॉनिक्स और सूचना प्रौद्योगिकी मंत्रालय के केंद्रीय राज्य मंत्री के रूप में शामिल किया गया था. वे 2019 तक इस पद पर रहे.
विदेश मामलों की स्थायी समिति के रहे अध्यक्ष
सांसद के रूप में अपने दूसरे कार्यकाल के दौरान, पीपी चौधरी कई पैनलों के सदस्य और विदेश मामलों की स्थायी समिति के अध्यक्ष रहे. उन्हें 2021 में जन विश्वास (प्रावधानों में संशोधन) विधेयक, 2022 पर संयुक्त समिति का अध्यक्ष और व्यक्तिगत डेटा संरक्षण विधेयक, 2019 पर संयुक्त समिति का अध्यक्ष नियुक्त किया गया. सीमावर्ती पाली जिले से ताल्लुक रखने वाले 71 वर्षीय चौधरी ने जोधपुर के जय नारायण व्यास विश्वविद्यालय से कानून की पढ़ाई की और सर्वोच्च न्यायालय में जाने से पहले उच्च न्यायालय में वकालत की.
पाली के एक स्थानीय नेता ने नाम न बताने की शर्त पर बताया कि चौधरी जमीनी स्तर पर बहुत सक्रिय नहीं हैं, लेकिन भाजपा के कार्यक्रमों में उनकी प्रमुख उपस्थिति रहती है. नेता ने कहा कि आम तौर पर उनकी टीम के सदस्य ही जनता से संपर्क बनाए रखते हैं.
'वन नेशन वन इलेक्शन' का किया समर्थन
इस साल की शुरुआत में 'इंडियन एक्सप्रेस' के लिए लिखे गए एक लेख में पीपी चौधरी ने 'वन नेशन वन इलेक्शन' का समर्थन किया था. उन्होंने यह भी लिखा था कि बार-बार होने वाले चुनावों के लिए राज्य मशीनरी और चुनाव आयोग दोनों को संसाधनों का लगातार इस्तेमाल करना पड़ता है, जिससे चुनाव वाले क्षेत्रों में शासन, विकास और कल्याणकारी गतिविधियों पर नकारात्मक असर पड़ता है.
2019 में पेश किया प्राइवेट मेंबर बिल
चौधरी ने कहा कि जुलाई 2019 में उन्होंने एक प्राइवेट मेंबर बिल पेश किया था, जिसमें एक नया अनुच्छेद 324A जोड़ने की मांग की गई थी, ताकि ईसीआई को लोकसभा और सभी राज्यों की विधानसभाओं के चुनाव एक साथ कराने का निर्देश दिया जा सके. उन्होंने इस तर्क को भी खारिज कर दिया कि एक साथ चुनाव कराने का मतलब है कि क्षेत्रीय दल स्थानीय मुद्दों को मजबूती से नहीं उठा पाएंगे. इसके लिए उन्होंने आम चुनावों और 2019 में हुए चार विधानसभा चुनावों का उदाहरण दिया.
चौधरी ने कहा कि विधानसभा चुनाव में भाजपा का वोट शेयर लोकसभा चुनाव के दौरान मिले वोट शेयर से कम था. इसका मतलब है कि जिन लोगों ने लोकसभा चुनावों में भाजपा को वोट दिया, उन्होंने राज्य सरकार चुनते समय भाजपा को वोट नहीं दिया. यह उस साल के सभी चार राज्य चुनावों और 2014 में भी देखा जा सकता है.